शिमलाः हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल के तौर पर नियुक्त होने के बाद राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर पहले सार्वजनिक कार्यक्रम में शामिल हुए. हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के 52 वें स्थापना दिवस के मौके पर राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने कहा कि वह गोवा के समुद्र की गहराइयों और हिमाचल प्रदेश के पहाड़ों की ऊंचाइयों को एक साथ लाने का प्रयास करेंगे.
राज्यपाल ने कहा कि वे गौरवशाली इतिहास और परंपरा वाले विश्वविद्यालय के कुलाधिपति का दायित्व निभाने पर गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं. इस दौरान हल्के माहौल में राज्यपाल ने आचार्य सिकंदर कुमार से उन्हें विश्वविद्यालय का विद्यार्थी बनाने के लिए कहा. इस पर सभागार में जोरदार तालियां गूंज उठी. राज्यपाल ने कहा कि जीवन काल में व्यक्ति की शिक्षा का भी पूरी नहीं होती. वे आजीवन विद्यार्थी ही रहता है. अर्लेकर ने कहा कि शिक्षक और विद्यार्थी दोनों को अपना लक्ष्य के बारे में जानकारी होनी चाहिए.
राज्यपाल ने प्रोफेसर सोमनाथ सिंह की पुस्तक एजुकेशन इन एनसिएंट इंडिया का जिक्र करते हुए कहा कहा कि "We are physically Indians and mentally westerns" यानी हम शारीरिक तौर पर तो भारतीय हैं, लेकिन मानसिक तौर पर पश्चिमी सभ्यता के हो गए हैं. राज्यपाल ने कहा कि विदेशी आतताई शक्तियों ने हमारे तक्षशिला और नालंदा जैसे विश्वविद्यालयों पर हमला किया, क्योंकि यह विश्वविद्यालय हमारी संस्कृति के वाहक और विचारक थे.
उन्होंने कहा कि विदेशी शक्तियों के विश्वविद्यालय पर हमले से हम लोगों को ज्ञात हुआ कि हम काफी कुछ खो चुके हैं. राज्यपाल ने कहा कि हमें यह सोचने की आवश्यकता है कि हम आम हम अपनी शिक्षा के जरिए किस राह पर जा रहे हैं. राज्यपाल ने देश के युवाओं पर देश का भविष्य निर्भर होने की बात कही. उन्होंने कहा कि देश का भविष्य कैसा होगा, यह पूर्ण रूप से युवाओं पर ही निर्भर करता है. ऐसे में शिक्षा देश की के भविष्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.
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