शिमला: हिमाचल में ब्लैक फंगस का मामला सामने आया है. आईजीएसमी के कोरोना वार्ड में हमीरपुर की महिला में ब्लॉक फंगस की पुष्टि एमएस जनकराज ने की है. हिमाचल में ब्लैक फंगस का ये पहला मामला है. लक्ष्ण दिखने के बाद महिला के सैंपल लिए गए थे. टेस्ट में सैंपल रिपोर्ट पॉजिटिव आई है.
ब्लैक फंगस के लक्षण दिखते ही महिला को अन्य मरीजों से अलग कर दिया गया है. महिला चार मई को कोरोना पॉजिटिव पाई गई थी और बाद में आठ मई को सांस की तकलीफ के चलते हमीरपुर से नेरचौक रेफर हुई थी. 19 मई को महिला आईजीएमसी रेफर किया गया. हालांकि अब महिला की हालत स्थिर है और आईजीएमसी में उसका उपचार चल रहा है. ईएनटी डॉक्टर महिला पर नजर बनाए हुए हैं.
भारत में लगातार बढ़ रहे ब्लैक फंगस के मामले
पूरा देश कोरोना वायरस की दूसरी लहर से लड़ रहा है, तो वहीं अब देश अब ब्लैक फंगस से जूझ रहा है. भारत में अब लगातार इस फंगस के मामले बढ़ते जा रहे हैं. म्यूकोरमायकोसिस, जिसे ब्लैक फंगस कहा जा रहा है. इसे भी कोरोना वायरस से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है.
कोरोना मरीजों को ब्लैक संक्रमण का खतरा
ब्लैक फंगस की चपेट में ज्यादातर वो मरीज आ रहे हैं, जिन्हें पहले कोरोना संक्रमण हुआ था. कोरोना वायरस तो ठीक हो गया, लेकिन ब्लैक फंगस ने उनको जकड़ लिया है. कोरोना वायरस के कारण मरीजों की इम्यूनिटी पहले ही कमजोर हो चुकी होती है. ऐसे में ब्लैक फंगस का खतरा बना रहता है.
डेथ रेट ज्यादा
इसके शुरुआती लक्ष्ण नाक से पानी आना, सर में दर्द होना जैसी चीजें हैं. अगर ब्लैक फंगस का समय से तुरंत इलाज न किया जाए तो मरीज की मौत हो जाती है. कोरोना वायरस के मुकाबले ब्लैक फंगस का डेथ रेट बहुत ज्यादा है. मेडिकल एक्सपर्ट के मुताबिक 100 मरीज में से सिर्फ 5 की जान बच पाती है.
आंखों पर करता है हमला
इस बारे जानकारी देते हुए सीएमओ ऊना डॉ. रमन कुमार शर्मा ने कहा कि ब्लैक फंगस कोरोना संक्रमितों की आंखों पर हमला करता है. उन्होंने कहा कि शुरुआत में ब्लैक फंगस से संक्रमित व्यक्ति को जुकाम, नाक बंद होना, नाक से खून आना, दर्द, चेहरे पर सूजन व कालापन आना जैसे लक्षण आते हैं. संक्रमण फैलने पर मरीज बेहोश होने लगता है व अन्य मानसिक दिक्कतें शुरू हो जाती हैं. इस रोग से आंखों, फेफड़ों व अंदरूनी अंगों पर प्रभाव पड़ता है और यह पहले से ही कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले व्यक्तियों पर आसानी से हमला करता है.
इन मरीजों को होता है ज्यादा खतरा
सीएमओ ने कहा कि जिन मरीजों को शुगर की बीमारी है या जो स्टेरॉयड दवाओं का इस्तेमाल करते हैं, उन पर इसका खतरा अधिक है. उन्होंने कहा कि कैंसर का इलाज करा रहे मरीज या किसी पुरानी बीमारी से पीड़ित मरीजों को भी ब्लैक फंगस प्रभावित कर रहा है. कोरोना पीड़ित गंभीर मरीज जो ऑक्सीजन मास्क या वेंटिलेटर के जरिए ऑक्सीजन स्पोर्ट पर हैं, ऐसे मरीजों को सतर्क रहने की जरूरत है.
ब्लैक फंगस से बचाव के लिए रखना होगा खानपान का ध्यान
साथ में कहा कि अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद भी 7 दिन तक घर पर भी मास्क लगा कर रखें. उन्होंने कहा कि ब्लैक फंगस से बचाव के लिए अपने खान-पान का ध्यान रखना आवश्यक है. अपने खाने में जिंक, मल्टीविटामिन और प्रोटीन की मात्रा बढ़ाएं व अगर ब्लैक फंगस के लक्षण आएं तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें.
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