शिमला: भारी-भरकम कर्ज के बोझ तले दबे हिमाचल प्रदेश को 15वें वित्त आयोग से बहुत बड़ी राहत मिली है. राहत इस कदर बड़ी है कि जयराम सरकार की बल्ले-बल्ले हो गई है. वित्त आयोग ने हिमाचल का राजस्व घाटा अनुदान यानी रेवेन्यू डेफेसिट ग्रांट को 45 फीसदी बढ़ा दिया है.
बड़ी बात है कि वित्त आयोग में हिमाचल कैडर के सीनियर आईएएस अफसर अरविंद मेहता बतौर सचिव हैं. वे हिमाचल की दिक्कतों को अच्छे से समझते हैं. अरविंद मेहता ने हिमाचल में लंबे अरसे तक काम किया है और वे भली-भांति जानते हैं कि हिमाचल की कमाई कम और खर्च अधिक है. फिर हिमाचल सरकार ने भी 15वें वित्तायोग के समक्ष अपना पक्ष मजबूती से रखा था. इसी का परिणाम है कि वित्त आयोग ने कई तोहफे दिए हैं.
पहली सौगात तो रेवेन्यू डेफेसिट ग्रांट में 45 फीसदी बढ़ोतरी की है. दूसरी सौगात फॉरेस्ट कवर के बदले 10 फीसदी टैक्स मिला है. जिला परिषद और बीडीसी का बजट बहाल किया गया है. हिमाचल के लिए सबसे बड़ी खुशी की बात है कि राजस्व घाटा अनुदान बढ़ने से सरकार को हर महीने कर्मचारियों के वेतन के लिए खजाने से रकम खर्च करने की चिंता नहीं रहेगी. दिलचस्प बात ये थी कि राजस्व घाटा अनुदान की अवधि 2020 में खत्म होने वाली थी. अब ये बढ़ा दी गई है. वित्त आयोग ने 2020-21 के लिए अंतरिम रिपोर्ट जारी कर दी है.
आइए, अब समझते हैं कि वित्त आयोग ने बड़ी सौगातें क्या दी हैं और इसका क्या लाभ होगा. इससे पहले के वित्त आयोग ने जिला परिषद और बीडीसी को मिलने वाला बजट खत्म कर दिया था. यानी 14वें वित्त आयोग ने इसे पिछले पांच साल के लिए बंद कर दिया था और धनराशि सिर्फ पंचायतों को ही सीधे ट्रांसफर हो रही थी.
हिमाचल में आपदाओं की स्थिति को समझते हुए मौजूदा वित्त आयोग ने स्टेट डिजास्टर रिलीफ फंड की राहत राशि भी 40 फीसदी बढ़ाई है. इससे हिमाचल को हर साल करीब 450 करोड़ रुपए की सहायता मिल सकेगी. हिमाचल सरकार की मांग पर वित्त आयोग ने राज्य में वन आवरण के बदले टैक्स आवंटन में प्रदेश के हिस्से को 7.5 फीसदी से बढ़ाकर अब 10 फीसदी कर दिया है. ये बढ़ोतरी फारेस्ट कवर के बदले मुआवजे के तौर पर रहेगी.
राज्य में ग्रीन फेलिंग पर बैन के कारण पेड़ काटने पर प्रतिबंध है. यहां बता दें कि वित्त आयोग हर राज्य की जरूरतों पर सभी राज्य का दौरा करता है. 15वें वित्तायोग के चेयरमैन एनके सिंह की अगुवाई में वित्त आयोग ने 27 सितंबर 2018 को हिमाचल का तीन दिन का दौरा किया था. दौरे के बाद सीएम जयराम ठाकुर व अफसरों के साथ शिमला में बैठक हुई.
वित्त आयोग के समक्ष मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने हिमाचल का पक्ष रखते हुए कहा था कि उनका राज्य रेवेन्यू डेफेसिट स्टेट है और सरकार को लोन लेकर विकास कार्य अंजाम तक पहुंचाने पड़ते हैं. सीएम ने आग्रह किया था कि वित्त आयोग हिमाचल की ये ग्रांट बढ़ा दे. अगर तकनीकी तौर पर बात की जाए तो हिमाचल की कुल कमाई 33,747 करोड़ रुपए है. इसी प्रकार हिमाचल का खर्च 36,089 करोड़ रुपए है.
इससे राज्य को राजस्व घाटा 2,342 करोड़ रुपए का झेलना पड़ रहा है. प्रदेश का राजकोषीय घाटा 7,352 करोड़ रुपए है. ऐसे में हिमाचल के लिए हर साल नेट लोन लिमिट 5,068 करोड़ रुपए बनती है. सरकार इस वित्त वर्ष में चार हजार करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है.