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युग हत्याकांड: सजा-ए-मौत के पुष्टिकरण पर हाईकोर्ट में 13 जून को अंतिम सुनवाई

युग हत्याकांड में दोषियों के मृत्युदंड पर सुनवाई 13 जून को निर्धारित (final hearing in Shimla Yug murder case) की गई है. मामला सत्र न्यायाधीश की ओर से रेफरेंस के तौर पर हाईकोर्ट के समक्ष रखा गया है. इस मामले में तीनों दोषियों ने भी अपील के माध्यम से सत्र न्यायाधीश के फैसले को चुनौती दी है.

final hearing in Shimla Yug murder case
युग हत्याकांड में 13 जून को अंतिम सुनवाई
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Published : Apr 26, 2022, 10:13 PM IST

शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट में फिरौती के लिए बच्चे की हत्या करने वाले दोषियों के मृत्युदंड पर सुनवाई 13 जून को निर्धारित (final hearing in Shimla Yug murder case) की गई है. अभी न्यायाधीश सबीना व न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ के समक्ष इस मामले पर सुनवाई हुई. मामला सत्र न्यायाधीश की ओर से रेफरेंस के तौर पर हाईकोर्ट के समक्ष रखा गया है.

इस मामले में तीनों दोषियों ने भी अपील के माध्यम से सत्र न्यायाधीश के फैसले को चुनौती दी है. उल्लेखनीय है कि तीन दोषियों को फिरौती के लिए चार साल के मासूम युग की अपहरण के बाद निर्मम हत्या करने पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश शिमला की अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है. 6 सितम्बर 2018 को तीनों दोषी चंद्र शर्मा, तेजिंद्र पाल और विक्रांत बख्शी को सजा सुनाते हुए न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की अदालत ने इस अपराध को दुर्लभ में दुर्लभतम श्रेणी के दायरे में पाया था.

तीनों दोषियों ने 14 जून, 2014 को शिमला के रामबाजार से फिरौती के लिए युग का अपहरण किया था. अपहरण के दो साल बाद अगस्त 2016 में भराड़ी पेयजल टैंक से युग का कंकाल बरामद किया गया था. तीनों ने मासूम के शरीर में पत्थर बांध कर उसे जिंदा पानी से भरे टैंक में फेंक दिया.

युग हत्याकांड में कब-कब हुई सुनवाई: शिमला की स्थानीय अदालत ने पांच सितंबर 2018 को 3 दोषियों विक्रांत बक्शी, तेजेंद्र पाल व चंद्र शर्मा को फांसी की सजा दी थी. अदालत ने इसे रेयरेस्ट ऑफ रेयर मामला (rarest of rare crime in shimla) बताते हुए तीनों को फांसी की सजा सुनाई. 25 सितंबर 2018 को हाईकोर्ट में दोषियों की फांसी की सजा के पुष्टिकरण के लिए सुनवाई थी. तब सरकारी पक्ष के पास रिकॉर्ड न होने के कारण सुनवाई 9 अक्टूबर 2018 तक टाल दी गई थी. फिर 10 अक्टूबर 2018 को हाईकोर्ट के तत्कालीन न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल व न्यायमूर्ति सीबी बारोवालिया ने खुद को सुनवाई से अलग किया था.

जस्टिस करोल की खंडपीठ ने खुद को सुनवाई से अलग किया और बाद में सजा की पुष्टि के लिए मामला हाईकोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत के विवेक के अनुसार किसी अन्य खंडपीठ के समक्ष सौंपने के आदेश दिए थे. उसके बाद तीन नवंबर 2018 को इस मामले की सुनवाई फिर से 18 दिसंबर तक टाल दी गई थी. तब न्यायमूर्ति धर्मचंद चौधरी व न्यायमूर्ति संदीप शर्मा की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई तय हुई थी. 27 सितंबर 2019 को हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश धर्मचंद चौधरी व न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ ने सजा के पुष्टिकरण मामले में नए रोस्टर के मुताबिक दूसरी खंडपीठ में तय की.

हालांकि न्यायमूर्ति धर्मचंद चौधरी की बैंच ने मासूम बच्चे के कंकाल को उसके पिता को सौंपने के आदेश जरूर जारी (himachal pradesh high court on yug murder case) किए थे. बाद में लंबे समय तक मामले में सुनवाई नहीं हुई और एक अप्रैल 2022 को मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक व न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने सुनवाई की तारीख 18 अप्रैल तय की थी. सोमवार को मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली खंडपीठ में किन्हीं कारणों से सुनवाई नहीं हो सकी और इस मामले में 6 हफ्ते बाद सुनवाई तय की गई.

ये भी पढ़ें: युग हत्याकांड में न्यायाधीश सीबी बारोवालिया ने सुनवाई से खुद को किया अलग

शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट में फिरौती के लिए बच्चे की हत्या करने वाले दोषियों के मृत्युदंड पर सुनवाई 13 जून को निर्धारित (final hearing in Shimla Yug murder case) की गई है. अभी न्यायाधीश सबीना व न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ के समक्ष इस मामले पर सुनवाई हुई. मामला सत्र न्यायाधीश की ओर से रेफरेंस के तौर पर हाईकोर्ट के समक्ष रखा गया है.

इस मामले में तीनों दोषियों ने भी अपील के माध्यम से सत्र न्यायाधीश के फैसले को चुनौती दी है. उल्लेखनीय है कि तीन दोषियों को फिरौती के लिए चार साल के मासूम युग की अपहरण के बाद निर्मम हत्या करने पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश शिमला की अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है. 6 सितम्बर 2018 को तीनों दोषी चंद्र शर्मा, तेजिंद्र पाल और विक्रांत बख्शी को सजा सुनाते हुए न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की अदालत ने इस अपराध को दुर्लभ में दुर्लभतम श्रेणी के दायरे में पाया था.

तीनों दोषियों ने 14 जून, 2014 को शिमला के रामबाजार से फिरौती के लिए युग का अपहरण किया था. अपहरण के दो साल बाद अगस्त 2016 में भराड़ी पेयजल टैंक से युग का कंकाल बरामद किया गया था. तीनों ने मासूम के शरीर में पत्थर बांध कर उसे जिंदा पानी से भरे टैंक में फेंक दिया.

युग हत्याकांड में कब-कब हुई सुनवाई: शिमला की स्थानीय अदालत ने पांच सितंबर 2018 को 3 दोषियों विक्रांत बक्शी, तेजेंद्र पाल व चंद्र शर्मा को फांसी की सजा दी थी. अदालत ने इसे रेयरेस्ट ऑफ रेयर मामला (rarest of rare crime in shimla) बताते हुए तीनों को फांसी की सजा सुनाई. 25 सितंबर 2018 को हाईकोर्ट में दोषियों की फांसी की सजा के पुष्टिकरण के लिए सुनवाई थी. तब सरकारी पक्ष के पास रिकॉर्ड न होने के कारण सुनवाई 9 अक्टूबर 2018 तक टाल दी गई थी. फिर 10 अक्टूबर 2018 को हाईकोर्ट के तत्कालीन न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल व न्यायमूर्ति सीबी बारोवालिया ने खुद को सुनवाई से अलग किया था.

जस्टिस करोल की खंडपीठ ने खुद को सुनवाई से अलग किया और बाद में सजा की पुष्टि के लिए मामला हाईकोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत के विवेक के अनुसार किसी अन्य खंडपीठ के समक्ष सौंपने के आदेश दिए थे. उसके बाद तीन नवंबर 2018 को इस मामले की सुनवाई फिर से 18 दिसंबर तक टाल दी गई थी. तब न्यायमूर्ति धर्मचंद चौधरी व न्यायमूर्ति संदीप शर्मा की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई तय हुई थी. 27 सितंबर 2019 को हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश धर्मचंद चौधरी व न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ ने सजा के पुष्टिकरण मामले में नए रोस्टर के मुताबिक दूसरी खंडपीठ में तय की.

हालांकि न्यायमूर्ति धर्मचंद चौधरी की बैंच ने मासूम बच्चे के कंकाल को उसके पिता को सौंपने के आदेश जरूर जारी (himachal pradesh high court on yug murder case) किए थे. बाद में लंबे समय तक मामले में सुनवाई नहीं हुई और एक अप्रैल 2022 को मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक व न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने सुनवाई की तारीख 18 अप्रैल तय की थी. सोमवार को मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली खंडपीठ में किन्हीं कारणों से सुनवाई नहीं हो सकी और इस मामले में 6 हफ्ते बाद सुनवाई तय की गई.

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