रोहड़ू: हिमाचल में जल्द ही सेब सीजन शुरू होने वाला है. ऐसे में कोरोना वायरस बागवानों को भारी नुकसान पहुंचा सकता है. शिमला जिला के रोहड़ू, जुब्बल, कोटखाई, चिड़गांव और टिक्कर में सेब की फसल लगभग तैयार हो चुकी है. लॉकडाउन के चलते नेपाली मजदूरों की कमी से लेकर बाहरी राज्यों में सेब की सप्लाई जैसी कई समस्याएं सेब बागवानों की परेशानी का कारण बनी हुई है.
बता दें कि जुलाई महीने के अंत तक मार्किट में सेब का कारोबार लगभग शुरू हो जाता है. मजदूर ना मिलने से सेब विक्रेताओं को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. वहीं, प्रदेश सरकार सेब सीजन के दौरान लेबर की कमी पूरी करने की बार कर रही है.
कई दशकों से ऊपरी शिमला की बागवानी पूरी तरह से नेपाली लेबर पर आश्रित है. इस साल लॉकडाउन की वजह से हजारों मजदूर अपने गृह राज्य चले गए. ऐसे में बागवानों की चिंता लाजमी है. लेबर की डिमांड के लिए सेब कारोबारी बागवानी विभाग और एसडीएम कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं.
इस साल बागवान सेब सीजन किस तरह निपटाएंगे इस बात का जवाब कोई नहीं जानता. प्रदेश सरकार ने बागवानों को आश्वासन दिया है कि वह बाहरी राज्यों से लेबर लाने की कोशिश कर रही है, लेकिन धरातल पर फिलहाल कुछ नजर नहीं आ रहा. वहीं, बागवान अपने स्तर पर भी दूसरे राज्यों से मजदूरों को लाने की कोशिश कर रहे हैं.
बागवानों के सामने इस वक्त दूसरी सबसे बड़ी समस्या सेब खरीददार की है. भले ही प्रशासन जगह-जगर सेटैलाइट मंडियां बनाने की बात कर रहा है, लेकिन इन मंडियों में कितने खरीददार आएंगे यह कहना फिलहाल मुश्किल है. प्रशासन ने प्रदेश के विभिन्न इलाकों के लिए प्रोटोकॉल निर्धारित किए हैं.
बता दें कि हिमाचल आने से पहले खरीददार को अपना कोरोना टेस्ट करवाना होगा. प्रशासन का कहना है कि सेब सीजन को सही से निपटाने के लिए उनकी तरफ से सभी इंतजाम किए गए हैं.
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