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लॉकडाउन का असर, मजदूर नहीं मिलने पर खुद खेतों में जुटे किसान-बागवान

पहले ग्रामीण क्षेत्रों में किसान व बागवान अपने खेतों में प्रवासी मजदूरों से खेती बाड़ी व बगीचों का कार्य करवाते थे. वहीं, अब यह कार्य किसान व बागवानों को खुद ही करने पड़ रहे हैं.

gardeners working In fields
खेतों में काम कर रहे लोग
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Published : May 14, 2020, 8:58 PM IST

Updated : May 15, 2020, 1:54 PM IST

रामपुर/शिमला: प्रदेश में किसान-बागवान मजदूर नहीं मिलने की सूरत में अब खुद ही खेतों में काम करने में जुट गए हैं. कोरोना काल में लॉकडाउन का असर अब किसानों-बागवानों पर सीधे तौर पर पड़ने लगा है. जो काम पहले किसान-बागवान मजदूरों से करवाने पड़ते थे वो उन्हें खुद ही करने पड़ रहे हैं.

कोटगढ़ क्षेत्र के बागवान मनजीत चौहान ने बताया कि उन्होंने अपने खेतों में सेब की नर्सरी उगाई हुई है. नर्सरी में आए दिन अधिक खरपतवार उग गया है. ऐसे में इसकी निदाई करना अनिवार्य हो गया था. इसलिए ग्रामीण महिलाएं नर्सरी से खरपतवार निकालने में खुद ही जुट गई हैं. उन्होंने कहा कि इसके चलते इन्हें रोजगार भी मिल रहा है.

वीडियो

वहीं, इसे लेकर पूर्व जिला परिषद भूपेश धीमान ने कहा कि कोरोना माहमारी के कारण हुए लॉकडाउन ने लोगों को खुद खेतों में कार्य करना सीखा दिया है. उन्होंने कहा कि यहां के बागवान व किसान प्रवासी मजदूरों पर ही निर्भर रहते थे. अपने खेतों के सभी कार्य मजदूरों से ही करवाते थे, लेकिन लॉकडाउन के दौरान बागवानों व किसानों को खुद खेतों में काम करना पड़ा.

भूपेश धीमान ने कहा कि जब प्रवासी यहां पर नहीं आते थे, उस वक्त भी यहां के लोग खुद ही किसानी का कार्य करते थे. वहीं, प्रवासी मजदूरों के आने के बाद यहां के लोगों ने खुद काम करना छोड़ दिया, लेकिन अब फिर से बागवान व किसान स्वयं अपने खेतों में काम करते हुए देखे जा रहे हैं.

ये भी पढ़ें: हिमाचल को बचाना है: ठियोग पुलिस ने नष्ट की अफीम की खेती, महिला से चिट्टे की खेप बरामद

रामपुर/शिमला: प्रदेश में किसान-बागवान मजदूर नहीं मिलने की सूरत में अब खुद ही खेतों में काम करने में जुट गए हैं. कोरोना काल में लॉकडाउन का असर अब किसानों-बागवानों पर सीधे तौर पर पड़ने लगा है. जो काम पहले किसान-बागवान मजदूरों से करवाने पड़ते थे वो उन्हें खुद ही करने पड़ रहे हैं.

कोटगढ़ क्षेत्र के बागवान मनजीत चौहान ने बताया कि उन्होंने अपने खेतों में सेब की नर्सरी उगाई हुई है. नर्सरी में आए दिन अधिक खरपतवार उग गया है. ऐसे में इसकी निदाई करना अनिवार्य हो गया था. इसलिए ग्रामीण महिलाएं नर्सरी से खरपतवार निकालने में खुद ही जुट गई हैं. उन्होंने कहा कि इसके चलते इन्हें रोजगार भी मिल रहा है.

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वहीं, इसे लेकर पूर्व जिला परिषद भूपेश धीमान ने कहा कि कोरोना माहमारी के कारण हुए लॉकडाउन ने लोगों को खुद खेतों में कार्य करना सीखा दिया है. उन्होंने कहा कि यहां के बागवान व किसान प्रवासी मजदूरों पर ही निर्भर रहते थे. अपने खेतों के सभी कार्य मजदूरों से ही करवाते थे, लेकिन लॉकडाउन के दौरान बागवानों व किसानों को खुद खेतों में काम करना पड़ा.

भूपेश धीमान ने कहा कि जब प्रवासी यहां पर नहीं आते थे, उस वक्त भी यहां के लोग खुद ही किसानी का कार्य करते थे. वहीं, प्रवासी मजदूरों के आने के बाद यहां के लोगों ने खुद काम करना छोड़ दिया, लेकिन अब फिर से बागवान व किसान स्वयं अपने खेतों में काम करते हुए देखे जा रहे हैं.

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Last Updated : May 15, 2020, 1:54 PM IST
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