रामपुर/शिमला: प्रदेश में किसान-बागवान मजदूर नहीं मिलने की सूरत में अब खुद ही खेतों में काम करने में जुट गए हैं. कोरोना काल में लॉकडाउन का असर अब किसानों-बागवानों पर सीधे तौर पर पड़ने लगा है. जो काम पहले किसान-बागवान मजदूरों से करवाने पड़ते थे वो उन्हें खुद ही करने पड़ रहे हैं.
कोटगढ़ क्षेत्र के बागवान मनजीत चौहान ने बताया कि उन्होंने अपने खेतों में सेब की नर्सरी उगाई हुई है. नर्सरी में आए दिन अधिक खरपतवार उग गया है. ऐसे में इसकी निदाई करना अनिवार्य हो गया था. इसलिए ग्रामीण महिलाएं नर्सरी से खरपतवार निकालने में खुद ही जुट गई हैं. उन्होंने कहा कि इसके चलते इन्हें रोजगार भी मिल रहा है.
वहीं, इसे लेकर पूर्व जिला परिषद भूपेश धीमान ने कहा कि कोरोना माहमारी के कारण हुए लॉकडाउन ने लोगों को खुद खेतों में कार्य करना सीखा दिया है. उन्होंने कहा कि यहां के बागवान व किसान प्रवासी मजदूरों पर ही निर्भर रहते थे. अपने खेतों के सभी कार्य मजदूरों से ही करवाते थे, लेकिन लॉकडाउन के दौरान बागवानों व किसानों को खुद खेतों में काम करना पड़ा.
भूपेश धीमान ने कहा कि जब प्रवासी यहां पर नहीं आते थे, उस वक्त भी यहां के लोग खुद ही किसानी का कार्य करते थे. वहीं, प्रवासी मजदूरों के आने के बाद यहां के लोगों ने खुद काम करना छोड़ दिया, लेकिन अब फिर से बागवान व किसान स्वयं अपने खेतों में काम करते हुए देखे जा रहे हैं.
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