शिमला/ठियोग: प्रदेश के ऊपरी इलाकों की मुख्य आर्थिकी सेब लोगों की आय का मुख्य साधन है. इस साधन को बढ़ावा देने और नई तकनीकों का प्रयोग कर कुछ नया करने के जज्बे के साथ कोटखाई के प्रगतिशील बागवान प्रेम चौहान ने एक अनूठी मिसाल पेश की है.
प्रेम चौहान ने अपनी 15 बीघा जमीन पर करीब 15 हजार पौधे तैयार की है. प्रेम चौहान पिछले 17 सालों से बागवानी का काम कर रहे हैं और लगातार कड़ी मेहनत से आज उन्होंने ये मुकाम हासिल किया है. बगीचे को देखने के लिए लोग प्रदेश व दूसरे राज्य से भी लोग आते हैं.
प्रेम चौहान ने तैयार की सेब की नई किेस्म
लगातार कई सालों कि मेहनत की बाद प्रेम चौहान ने अपनी ही एक नई किस्म तैयार की है, जिसका नाम ऐप्स है. इस किस्म को लेकर उन्होंने लगातार कई प्रयास किए हैं. पिछले साल इस वैरायटी को बाजार में 3800 का दाम मिला, लेकिन इस बार बगीचे से पेटी के अच्छे दाम मिल रहे हैं.
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प्रेम चौहान का कहना है कि ये किस्म विदेशी सेब पर भारी है. इस बार ये बाजार में धूम मचाने को तैयार है. उन्होंने कहा कि इस किस्म के पेटेंट की प्रक्रिया जारी है. कश्मीर यूनिवर्सिटी से एक टीम इसके निरीक्षण के लिए आई थी और अब ये प्रक्रिया अंतिम दौर पर है. उन्होंने कहा कि ये वैरायटी वाशिंगटन सेब को भी मात दे रही है. उन्होंने कहा कि विदेशी सेब की सबसे अच्छी किस्म भी 1400 तक बिकी थी, लेकिन ऐप्स का बॉक्स 3800 रुपये बिका था.
प्रेम चौहान का कहना है कि प्रदेश के छोटे किसानों के लिए ये एक अच्छी तकनीक है. इस तकनीक के माध्यम से छोटे किसान कम जमीन पर ज्यादा पैदावार तैयार कर सकते हैं. ये दुनिया के किसी देश ने अभी तक नहीं किया है. उनका कहना है कि हर एक पौधे से एक पेटी सेब की निकल जाए तो इससे बागवानों को बहुत फायदा हो जाएगा.
प्रेम चौहान का कहना है कि सेब की बहुत ज्यादा मांग होने के चलते विदेशी सेब आता है. इसका मुकाबला करने के लिए नई किस्म और अधिक सेब की पैदावार करनी होगी. उन्होंने कहा कि युवाओं को बागवानी जनून के साथ करनी चाहिए और छोटी सी जमीन पर भी युवा अच्छी कमाई कर सकता है.
चौहान ने कहा कि युवा इसे अपना नया करियर मान कर अपना भविष्य संवार सकते हैं. उन्होंने कहा कि युवाओं को रोजगार की तलाश में इधर-उधर नहीं भटकना चाहिए. बागवानी में रोजगार के अच्छे अवसर हैं, जिसको अपनाकर युवा अपना और समाज का विकास कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि बागवानी की जानकारी के लिए युवा कभी भी उनके पास आकर जानकारी ले सकते हैं.
गौरतलब है कि प्रेम चौहान के बगीचे में कई तरह की किस्में लगाई गई हैं, जिसमें स्टोन फ्रूट की भी कई वैरायटी है. सेब की पैदावार को बढ़ाने और विदेशों से आ रहे नई किस्म के सेब को देने के लिए प्रेम चौहान का ये प्रयास सच में काबिले तारीफ है. इस प्रयास के लिए प्रदेश सरकार इसे रोल मॉडल मानकर आगे बढ़ाने की जरूरत है, जिससे लोगों की आर्थिक स्थिति मजबूत हो. साथ ही छोटे किसान भी इस तकनीक से अच्छी कमाई कर विदेशी सेब को मात दे सकें.
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