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बर्फीली वादियों के बीच बेहद खूबसूरत है मां भीमाकाली का ये मंदिर, अज्ञातवास के दौरान यहां रूके थे पांडव! - himachal news

पर्यटक स्थल नारकंडा में हाटु मंदिर देशभर में है प्रसिद्ध. आज भी यहां पांडवों के यहां रूकने के मिलते हैं प्रमाण. ज्येष्ठ मास के हर रविवार को मंदिर में लगा रहता है श्रद्धालूओं का तांता.

हाटु मंदिर.
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Published : May 21, 2019, 4:08 AM IST

Updated : May 21, 2019, 5:19 PM IST

शिमला: देवभूमि हिमाचल के प्रसिद्ध पर्यटक स्थल नारकंडा में गगन चूमती बर्फीली पहाड़ियों और चारों तरफ प्रकृति के सौंदर्य से घिरा मां भीमाकाली का हाटु मंदिर देशभर में प्रसिद्ध है. शिमला से 70 किलोमीटर दूर 3400 मीटर की ऊंचाई पर बना ये मंदिर विशालकाय देवदार के पेड़ों से घिरा है.

hatu temple
हाटु मंदिर.

माना जाता है कि ये मंदिर पांडवों ने अपने अज्ञातवास के समय बनाया था, जिसका प्रमाण आज भी यंहा मिलता है. कहा जाता है कि यंहा पर आज भी अगर खुदाई की जाए तो यंहा से जला हुआ कोयला मिलता है, जो इस बात का प्रमाण है कि इस जगह पर पांडवों एक रसोई भी हुआ करती थी. मंदिर परिसर में बड़ी-बड़ी चट्टानों के बीच कोयला मिलता है.

ज्येष्ठ मास के हर रविवार को मंदिर में श्रद्धालूओं का तांता लगा रहता है. खासकर महीने के पहले रविवार यानी ज्येष्ठ मास के जेठे रविवार को मंदिर में लोगों का हुजूम उमड़ता है. नवनिर्मित मंदिर में प्राचीन कला की अद्भुत आकृतियां उकेरी गई हैं, जो पर्यटकों और श्रद्धालुओं की लिए आकर्षण का केंद्र है. मंदिर के रखरखाव व इसकी सुंदरता और सुरक्षा को बनाये रखने के लिए कमेटी का गठन किया गया है.

हाटु मंदिर के प्रधान कंवर भूपेंद्र सिंह का कहना है कि पांडवों के समय में मंदिर के आसपास भीमसेन के समय के चूल्हे खोदने पर कोयले निकलते हैं. उन्होंने कहा कि सदियों से मंदिर में राजा-रजवाड़ों का खास लगाव रहा है और पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पिछले 40 सालों से लगातार इस मंदिर में आकर पूजा अर्चना करते हैं. मां भीमाकाली यह मंदिर कुमारसैन, रामपुर, ठियोग, कोटखाई, रोहड़ू सहित प्रदेशभर में आस्था का प्रतीक है.

शिमला: देवभूमि हिमाचल के प्रसिद्ध पर्यटक स्थल नारकंडा में गगन चूमती बर्फीली पहाड़ियों और चारों तरफ प्रकृति के सौंदर्य से घिरा मां भीमाकाली का हाटु मंदिर देशभर में प्रसिद्ध है. शिमला से 70 किलोमीटर दूर 3400 मीटर की ऊंचाई पर बना ये मंदिर विशालकाय देवदार के पेड़ों से घिरा है.

hatu temple
हाटु मंदिर.

माना जाता है कि ये मंदिर पांडवों ने अपने अज्ञातवास के समय बनाया था, जिसका प्रमाण आज भी यंहा मिलता है. कहा जाता है कि यंहा पर आज भी अगर खुदाई की जाए तो यंहा से जला हुआ कोयला मिलता है, जो इस बात का प्रमाण है कि इस जगह पर पांडवों एक रसोई भी हुआ करती थी. मंदिर परिसर में बड़ी-बड़ी चट्टानों के बीच कोयला मिलता है.

ज्येष्ठ मास के हर रविवार को मंदिर में श्रद्धालूओं का तांता लगा रहता है. खासकर महीने के पहले रविवार यानी ज्येष्ठ मास के जेठे रविवार को मंदिर में लोगों का हुजूम उमड़ता है. नवनिर्मित मंदिर में प्राचीन कला की अद्भुत आकृतियां उकेरी गई हैं, जो पर्यटकों और श्रद्धालुओं की लिए आकर्षण का केंद्र है. मंदिर के रखरखाव व इसकी सुंदरता और सुरक्षा को बनाये रखने के लिए कमेटी का गठन किया गया है.

हाटु मंदिर के प्रधान कंवर भूपेंद्र सिंह का कहना है कि पांडवों के समय में मंदिर के आसपास भीमसेन के समय के चूल्हे खोदने पर कोयले निकलते हैं. उन्होंने कहा कि सदियों से मंदिर में राजा-रजवाड़ों का खास लगाव रहा है और पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पिछले 40 सालों से लगातार इस मंदिर में आकर पूजा अर्चना करते हैं. मां भीमाकाली यह मंदिर कुमारसैन, रामपुर, ठियोग, कोटखाई, रोहड़ू सहित प्रदेशभर में आस्था का प्रतीक है.


---------- Forwarded message ---------
From: Suresh Sharma <journalist.suresh86@gmail.com>
Date: Mon, May 20, 2019, 8:17 PM
Subject: हाटु मन्दिर
To: <rajneeshkumar@etvbharat.com>


देव भूमि हिमाचल के प्रसिद्ध पर्यटक स्थल नारकण्डा में गगन चूमती बर्फ से लदी पहाड़ियों और चारो तरफ प्रकृति के सौंदर्य से घिरा बादलो को छूता माँभीमाकाली का हाटु मंदिर प्रदेश में एक अद्धभुत मन्दिर है।शिमला से 70 किलोमीटर दूर 3400 मीटर की ऊंचाई पर बना ये मंदिर।।विशालकाय देवदार के पेड़ो से हरा भरा है। ज्येष्ठ मास के हर रविवार को यंहा पर लोगों का तांता लगा रहता है। खास कर पहले रविवार यानी ज्येष्ठ मास के ज्येठे रविवार को।यंहा पर लोगों का हुजूम उमड़ पड़ता है।

माना जाता है कि ये मंदिर पांडवो ने अपने अज्ञातवास के समय बनाया। जिसका प्रमाण आज भी यंहा मिलता है।कहा जाता है कि यंहा पर आज भी अगर खुदाई की जाए तो यंहा से जला हुआ कोयला मिलता है। जो इस बात का प्रमाण दर्शाता है कि पाण्डव की इस जगह पर एक रसोई भी हुआ करती थी। और पाण्डव इस जगह पर खाना बनाया करते थे।बड़ी बड़ी चट्टानों के बीच आज भी यंहा कोयला मिलता है। नवनिर्माण हुए इस मंदिर में प्राचीन कला की अदभुत आकृतिया उकेरी गई है जो पर्यटकों और श्रद्धालुओं की लिए आकर्षण का है।मन्दिर के रख रखाव व इसकी सुंदरता और सुरक्षा को बनाये रखने के लिए कमेटी का गठन किया गया है। जो हर समय मन्दिर की व्यवस्था में जुटे रहते है।हाटु मन्दिर के प्रधान कंवर भूपेंद्र सिंह का कहना है कि पांडवों के समय में मन्दिर के आस पास भीमसेन के समय के चूल्हे अगर आज भी खोद जाये तो भी कोयले निकलते है । उन्होंने कहा कि इस मंदिर से राजों ओर रजवाड़ों का पूर्वजों के समय से खास लगाव रहा है और पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पिछले 40 सालों से लगातार इस मंदिर में आकर पूजा अर्चना करते है।ओर इससे पूर्व के राजाओं का भी इस मंदिर से सदियों से नाता रहा है।

आपको बता दे कि माँ भीमाकाली यह मन्दिर कुमारसैन, रामपुर, ठियोग, कोटखाई, रोहड़ू सहित प्रदेशभर ओर दूसरे प्रदेशो और तो क्या विदेशों में भी आस्था का प्रतीक बना हुआ है।

बाईट,,, कंवर भूपेंद्र सिंह
प्रधान मंदिर कमेटी हाटू

 
Last Updated : May 21, 2019, 5:19 PM IST
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