शिमला: प्रदेश सरकार ने बुनकरों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए विभिन्न योजनाएं चलाई हुई और दस्तकारों एवं बुनकरों की सहायता के लिए ठोस कदम उठाए गए. उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह ठाकुर ने गेयटी थियेटर में (Exhibition opening at Gaiety Theater)वस्तु मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से हिमाचल प्रदेश राज्य हथकरघा एवं हस्तशिल्प निगम द्वारा आयोजित प्रदर्शनी का शुभारंभ (Exhibition at the Gaiety Theater)किया. उन्होंने कहा कि वर्तमान में लगभग 15 हजार लोग इस व्यवसाय से जुड़े हुए. हथकरघा उद्योग को युवा वर्ग की पसंद बनाने के लिए विभिन्न डिजाइनर अग्रणी संस्थाओं के साथ कार्य कर रहे और उत्पादों को युवाओं की रुचि के अनुरूप बनाने के लिए प्रयत्नशील है. मूल हथकरघा उत्पादों में स्थानीय ऊन, याक वूल, अंगोरा वूल एवं मरीनो वूल का प्रयोग होता है, जोकि मंहगा धागा है.
इस मौके पर शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने शहरी विकास मंत्री ने महिला दिवस पर बधाई देते हुए कहा कि हथकरघा एवं हस्तशिल्प उद्योग से हमारे ग्रामीण परिवेश की महिलाएं सीधे तौर पर जुड़ी और अपने परिवार की आर्थिकी सुदृढ़ करने के साथ ही पारम्परिक हिमाचली हस्तकला के संरक्षण में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रही. उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के दौरान सभी व्यवसायों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा और इस तरह की प्रदर्शनियों के माध्यम से बुनकरों को अपने उत्पादों के विपणन के लिए एक मंच उपलब्ध होता है. इस प्रदर्शनी में राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत बुनकरों के उत्पाद बिक्री के लिए रखे गए है.
उन्होंने कहा कि कुल्लू व किन्नौरी शॉल के डिजाइन को जीआई मार्क मिलाऔर प्रदेश सरकार अन्य उत्पादों को भी इसके अन्तर्गत लाने के लिए प्रयासरत है. हथकरघा एवं हस्तशिल्प निगम की प्रबन्ध निदेशक कुमुद सिंह ने बताया कि 8 से 14 मार्च तक आयोजित इस प्रदर्शनी में वहीं बुनकर पात्र हैं, जिनके पास केन्द्र सरकार द्वारा प्रदत हैंडलूम मार्क है या उन्होंने इसके लिए आवेदन किया है. इस सात दिवसीय प्रदर्शनी में प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए 25 बुनकरों को अपने उत्पाद सीधे ग्राहकों को बेचने का अवसर उपलब्ध करवाया गया. योजना के अन्तर्गत पात्र बुनकरों को 500 रुपए प्रतिदिन की दर से दैनिक भत्ता और 4 हजार रुपए यात्रा भत्ता एवं सामान ढुलाई के रूप में दिया जाएगा.
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