शिमला: जीएसटी सिस्टम में धोखाधड़ी रोकने के लिए कर एवं आबकारी विभाग ने एसओपी तैयार किए हैं. इससे शुरूआती चरण में ही धोखाधड़ी को रोका जा सकेगा. राज्य कर एवं आबकारी आयुक्त यूनुस ने कहा है कि विभाग ने जीएसटी प्रणाली में धोखाधड़ी करने वालों को रजिस्ट्रेशन के समय ही रोकने के लिए ओसपी तैयार किए हैं. युनूस ने कहा कि अधिकारियों को विभाग को रजिस्ट्रेशन आवेदनों में नियमित रूप से फर्जी विवरण लोगों से मिल रहे हैं.
इसके लिए टैक्स अधिकारियों द्वारा एसओपी का अनुपालन किया जाएगा, जिससे टैक्स धोखाधड़ी करने वालों को जीएसटी सिस्टम में रजिस्ट्रेशन से पहले ही रोका जा सकेगा. इसके तहत रजिस्ट्रेशन की तारीख के 30 दिनों के भीतर बिजली बिल, किराए के समझौते, खरीद दस्तावेजों का उचित मूल्यांकन और फिजिकल वेरिफिकेशन अनिवार्य बनाया गया है.
आधार कार्ड से जानकारी किया जाएगा मूल्यांकन- राज्य कर एवं आबकारी आयुक्त युनूस ने कहा कि टैक्स अधिकारी आवेदक द्वारा दी जानकारी का आधार कार्ड से भी मूल्यांक करेंगे. अगर आवेदक हिमाचल का निवासी नहीं है, तो अन्य संदर्भ पहचान से उसका सावधानीपूर्वक मूल्यांकन किया जाएगा. उन्होंने कहा कि रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया निर्धारित समयावधि में पूर्ण की जाएगी, इसलिए डीम्ड अनुमोदन को नहीं माना जाएगा. उन्होंने कहा कि विभाग के सभी जोनल व जिला प्रभारियों को समय-समय पर समीक्षा कर इस प्रक्रिया का प्रभावी कार्यान्वयन करने के निदेश दिए गए हैं.
क्या होता है गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST)?- बता दें कि जीएसटी को भारत में 1 जुलाई 2017 में लागू किया गया था. जिसे लागू करने के लिए भारतीय संविधान में संशोधन किया गया था. भारत में इसे लागू किया गया था ताकि पूरे देश में कर यानी टैक्स की दरों में असमानताओं को दूर किया जा सके. इससे केंद्र और राज्य के कई करों को मिला दिया गया है.
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