शिमला: नशीली दवाओं के सेवन और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दिवस का आयोजन राज्य पुलिस मुख्यालय में किया गया. राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कार्यक्रम में भाग लिया. इस अवसर पर अपने संबोधन में राज्यपाल ने सीमावर्ती क्षेत्रों में गैर कानूनी तस्करी को रोकने के लिए अधिक सतर्कता और सतत प्रयासों पर बल दिया.
राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि नशाखोरी से न केवल एक व्यक्ति या परिवार बल्कि पूरा समाज प्रभावित होता है. उन्होंने कहा कि पुलिस प्रशासन को इस सामाजिक बुराई के उन्मूलन के लिए अधिक प्रयास करने की नितांत आवश्यकता है. उन्होंने प्रसन्नता जताई कि पुलिस प्रशासन इस बुराई को रोकने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है. उन्होंने लोगों से नशे के विरुद्ध अभियान में पुलिस से सहयोग करने की अपील की.
खूफिया विभाग को किया जाए सुदृढ़
राज्यपाल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश देवभूमि के नाम से जाना जाता है औऱ इसकी संस्कृति, जीवन शैली, विचारधारा बहुत समृद्ध है, लेकिन यह दुर्भाग्य की बात है कि राज्य में नशाखोरी की समस्या एक विकराल रूप धारण कर चुकी है. यदि इसे शीघ्र न रोका गया तो आने वाले दिनों में स्थिति और अधिक खराब हो सकती है. दत्तात्रेय ने राज्य सरकार की ओर से गैर कानूनी तस्करी को रोकने के लिए ड्रग फ्री हिमाचल ऐप्प को आरंभ करने की पहल का स्वागत किया और कहा कि हम तकनीक की सहायता से समाज में परिवर्तन ला सकते हैं. उन्होंने पुलिस के खुफिया विभाग को सुदृढ़ करने की भी सलाह दी. उन्होंने गैर सरकारी संस्थाओं को नशे के विरूद्ध जागरूकता अभियान में शामिल करने का भी सुझाव दिया.
नशे से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस प्रण का प्रतीक
राज्यपाल ने कहा कि नशीली दवाओं के सेवन और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दिवस विश्व समुदाय इस समस्या से निपटने के लिए हमारे सांझे प्रण और सहयोग का प्रतीक है. उन्होंने कहा कि आज हम दो मोर्चों पर लड़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि दोनों मोर्चों पर हमारा पुलिस बल बेहतरीन कार्य कर रहा है. उन्होंने कहा कि पंचायती राज संस्थान, शैक्षणिक संस्थान, गैर सरकारी संस्थान, सामाजिक संगठन और प्रत्येक व्यक्ति को समाज को नशाखोरी की बुराई से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका है. उन्होंने कहा कि हमारा पुलिस बल इन संस्थाओं को इस अभियान में भागीदारी के लिए प्रेरित कर रहा है.
5.7 करोड़ लोग शराब से प्रभावित
राज्यपाल ने कहा कि अभिभावक, शिक्षक, चिकित्सक और स्वयंसेवी संस्थाओं को प्रशिक्षित करके स्वास्थ्य और पुनर्वास के लिए बड़े स्तर पर प्रयास किए जाने चाहिए. उन्होंने अधिक पुनर्वास केंद्र स्थापित करने पर भी बल दिया. उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के नेशनल ड्रग डिपेंडेंस ट्रीटमेंट सेंटर की ओऱ से पदार्थों के प्रतिमान और अधिकतम उपयोग पर एक राष्ट्रीय सर्वे किया गया है.
सर्वे में यह बात सामने आई है कि 10 से 75 वर्ष की आयु के 14.6 प्रतिशत लोग शराब का प्रयोग करते हैं, जिनकी संख्या लगभग 16 करोड़ है. लगभग 5.2 प्रतिशत लोग जिनकी संख्या अनुमानत 5.7 करोड़ है, शराब के कारण प्रभावित हैं, जिसका अभिप्राय यह है कि भारत में हर तीसरे शराब पीने वाले व्यक्ति को सहायता की आवश्यकता है और हम इस प्रकार यह समझ सकते हैं कि यह समस्या कितनी गंभीर है.