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कार्यालयों में सोशल डिस्टेंसिंग एक बड़ी चुनौती, ऑफिस पहुंचने में भी परेशानी - himachal health department

प्रदेश सरकार ने अनलॉक वन शुरू होने के बाद कार्यालयों में सभी कर्मचारियों का आना जरूरी कर दिया था. इसके बाद कर्मचारियों का ऑफिस पहुंचना शुरू हो गया है. ऐसे में कर्मचारियों को अब आवाजाही में भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है.

Employees problems shimla
कार्यालयों में सोशल डिस्टेंसिंग एक बड़ी चुनौती
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Published : Jun 12, 2020, 2:25 PM IST

Updated : Jun 12, 2020, 3:03 PM IST

शिमला: प्रदेश के सरकारी कार्यालयों में कर्मचारियों का आना शुरू हो गया है. प्रदेश सरकार के आदेशानुसार अब सभी कर्मचारियों को कार्यालय आना होगा. कार्यालयों में सोशल डिस्टेंसिंग और स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जारी गाइडलाइन का पालन करना भी जरूरी है, लेकिन इस दौरान कर्मचारियों को सबसे बड़ी दिक्कत यातायात व्यवस्था की हो रही है. कर्मचारियों को घरों से ऑफिस पहुंचने और दफ्तर से घर जाने में काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है.

प्रदेश सरकार ने अनलॉक वन शुरू होने के बाद कार्यालयों में सभी कर्मचारियों का आना जरूरी कर दिया था. इसके बाद कर्मचारियों का ऑफिस पहुंचना शुरू हो गया है. ऐसे में कर्मचारियों को अब आवाजाही में भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है. हालांकि, प्रदेश सरकार ने पब्लिक ट्रांसपोर्ट शुरू कर दिया है, लेकिन बसों में सोशल डिस्टेंसिंग के अनुसार केवल 60 फीसदी सीटों पर ही सवारियां बैठाने की अनुमति दी गई है. इससे लोगों को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है.

वीडियो रिपोर्ट

कर्मचारियों को बस स्टॉप पर घंटों बसों का इंतजार करना पड़ रहा है. प्राइवेट बस ऑपरेटरों ने घाटा होने के कारण रूटों पर बसें चलाना बंद कर दिया है. प्राइवेट बस ऑपरेटरों की मांग है कि सरकारी निर्देशानुसार केवल 60 फीसदी सीटों पर ही सवारियां बिठाई जा सकती है. ऐसे में खाली बची 40 फीसदी सीटों का खर्च प्रदेश सरकार वहन करें.

सरकार के ऐसा न करने पर प्राइवेट बस ऑपरेटर बसें नहीं चलाएंगे. इसका सबसे बड़ा खामियाजा हर रोज आवाजाही करने वाले कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है. प्राइवेट बसों के न चलने के कारण कर्मचारियों को टैक्सी में ऑफिस पहुंचना पड़ रहा है. इसके अलावा कुछ कर्मचारियों को घंटों बस का इंतजार करना पड़ रहा है. जल्द इस समस्या का समाधान न निकालने पर कर्मचारियों को भारी दिक्कत पेश आएगी.

कर्मचारियों की समस्या पर हिमाचल प्रदेश सचिवालय कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष संजीव कुमार ने कहा कि कार्यालयों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा रहा है, लेकिन प्रदेश सचिवालय में मंत्रियों और विधायकों के साथ बहुत से लोग प्रवेश करते हैं. इसके अलावा कई अधिकारियों और मंत्रियों से मिलने के लिए भी लोगों का तांता लगा रहता है. उन्होंने कहा कि ऐसे में सचिवालय के कर्मचारियों को भारी दिक्कतें झेलनी पड़ रही है. ऐसे में हमेशा कर्मचारियों पर कोरोना वायरस का खतरा बना रहता है.

हालांकि, इसके लिए प्रदेश सचिवालय कर्मचारी संघ की ओर से सिक्योरिटी गार्ड से एक रजिस्टर रखने के लिए भी कहा गया है. अनावश्यक सचिवालय आने वाले लोगों को प्रवेश ना दिए जाने की मांग की जा रही है, ताकि यहां भीड़ इकट्ठी होने से रोकी जा सके.

संजीव कुमार ने कहा कि सचिवालय में नियमित रूप से सेनिटाइजेशन भी किया जा रहा है. साथ ही सचिवालय में प्रवेश करने वाले लोगों के हाथ भी सेनिटाइज करवाए जा रहे हैं, ताकि सचिवालय के कर्मचारियों को कोरोना वायरस से बचाव हो सके.

शिमला: प्रदेश के सरकारी कार्यालयों में कर्मचारियों का आना शुरू हो गया है. प्रदेश सरकार के आदेशानुसार अब सभी कर्मचारियों को कार्यालय आना होगा. कार्यालयों में सोशल डिस्टेंसिंग और स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जारी गाइडलाइन का पालन करना भी जरूरी है, लेकिन इस दौरान कर्मचारियों को सबसे बड़ी दिक्कत यातायात व्यवस्था की हो रही है. कर्मचारियों को घरों से ऑफिस पहुंचने और दफ्तर से घर जाने में काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है.

प्रदेश सरकार ने अनलॉक वन शुरू होने के बाद कार्यालयों में सभी कर्मचारियों का आना जरूरी कर दिया था. इसके बाद कर्मचारियों का ऑफिस पहुंचना शुरू हो गया है. ऐसे में कर्मचारियों को अब आवाजाही में भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है. हालांकि, प्रदेश सरकार ने पब्लिक ट्रांसपोर्ट शुरू कर दिया है, लेकिन बसों में सोशल डिस्टेंसिंग के अनुसार केवल 60 फीसदी सीटों पर ही सवारियां बैठाने की अनुमति दी गई है. इससे लोगों को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है.

वीडियो रिपोर्ट

कर्मचारियों को बस स्टॉप पर घंटों बसों का इंतजार करना पड़ रहा है. प्राइवेट बस ऑपरेटरों ने घाटा होने के कारण रूटों पर बसें चलाना बंद कर दिया है. प्राइवेट बस ऑपरेटरों की मांग है कि सरकारी निर्देशानुसार केवल 60 फीसदी सीटों पर ही सवारियां बिठाई जा सकती है. ऐसे में खाली बची 40 फीसदी सीटों का खर्च प्रदेश सरकार वहन करें.

सरकार के ऐसा न करने पर प्राइवेट बस ऑपरेटर बसें नहीं चलाएंगे. इसका सबसे बड़ा खामियाजा हर रोज आवाजाही करने वाले कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है. प्राइवेट बसों के न चलने के कारण कर्मचारियों को टैक्सी में ऑफिस पहुंचना पड़ रहा है. इसके अलावा कुछ कर्मचारियों को घंटों बस का इंतजार करना पड़ रहा है. जल्द इस समस्या का समाधान न निकालने पर कर्मचारियों को भारी दिक्कत पेश आएगी.

कर्मचारियों की समस्या पर हिमाचल प्रदेश सचिवालय कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष संजीव कुमार ने कहा कि कार्यालयों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा रहा है, लेकिन प्रदेश सचिवालय में मंत्रियों और विधायकों के साथ बहुत से लोग प्रवेश करते हैं. इसके अलावा कई अधिकारियों और मंत्रियों से मिलने के लिए भी लोगों का तांता लगा रहता है. उन्होंने कहा कि ऐसे में सचिवालय के कर्मचारियों को भारी दिक्कतें झेलनी पड़ रही है. ऐसे में हमेशा कर्मचारियों पर कोरोना वायरस का खतरा बना रहता है.

हालांकि, इसके लिए प्रदेश सचिवालय कर्मचारी संघ की ओर से सिक्योरिटी गार्ड से एक रजिस्टर रखने के लिए भी कहा गया है. अनावश्यक सचिवालय आने वाले लोगों को प्रवेश ना दिए जाने की मांग की जा रही है, ताकि यहां भीड़ इकट्ठी होने से रोकी जा सके.

संजीव कुमार ने कहा कि सचिवालय में नियमित रूप से सेनिटाइजेशन भी किया जा रहा है. साथ ही सचिवालय में प्रवेश करने वाले लोगों के हाथ भी सेनिटाइज करवाए जा रहे हैं, ताकि सचिवालय के कर्मचारियों को कोरोना वायरस से बचाव हो सके.

Last Updated : Jun 12, 2020, 3:03 PM IST
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