शिमला: हिमाचल के बिजली कर्मचारियों, पेंशनरों और इंजीनियरों ने काम छोड़कर मांगों को लेकर शिमला में धरना प्रदर्शन किया. इसके लिए सैंकड़ों की संख्या में कर्मचारी और इंजीनियर शिमला स्थिति बिजली बोर्ड के मुख्य कार्यालय पहुंचे थे. इस दौरान बिजली बोर्ड कर्मचारी ने ओपीएस की बहाली और ये बिजली बोर्ड के एमडी हरिकेश मीणा को हटाने की मांग को लेकर नारेबाजी की. कर्मचारियों ने बिजली बोर्ड में स्थाई एमडी की नियुक्ति न होने तक आंदोलन को जारी रखने का भी अल्टीमेटम दिया. राज्य बिजली बोर्ड कर्मचारी यूनियन एवम इंजीनियर संयुक्त संघर्ष समिति का कहना है कि कांग्रेस सरकार चुनावी गारंटी के तहत सभी विभागों में कर्मचारियों को OPS दे चुकी है, लेकिन वहीं बिजली बोर्ड में अभी तक OPS की बहाली नहीं हुई है.
बिजली बोर्ड से जुड़े हैं 40 हजार परिवार: बिजली बोर्ड कर्मचारियों के साथ 40 हजार परिवार जुड़े हैं. वर्तमान में बोर्ड में 16 हजार से ज्यादा कर्मचारी और इंजीनियर कार्यरत हैं. इनमें से करीब 6600 को OPS मिलनी है, वहीं बिजली बोर्ड में 23 हजार से अधिक पेंशनर हैं. इन सभी ने भी हड़ताल का हिस्सा हैं. बिजली बोर्ड गठन के बाद से 52 सालों में बिजली कर्मचारियों और पेंशनरों के खाते में पहली बार देती से सैलरी पड़ है. वहीं सैलरी के लिए कर्मचारियों ने पांच दिन प्रदेशभर में प्रदर्शन किया. इसके बाद ही छह जनवरी को कर्मचारियों के खाते में सैलरी पड़ी. इसी तरह पेंशनर को भी छह जनवरी को ही पेंशन दी गई. प्रदेश के बिजली कर्मचारी और पेंशनर 2 जनवरी से निरंतर अपने-अपने दफ्तरों के बाहर दोपहर एक बजे से प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन आज प्रदेशभर से कर्मचारी और इंजीनियर शिमला पहुंचे हैं.
लगातार बढ़ रही उपभोक्ताओं की संख्या: हिमाचल का बिजली बोर्ड कुछ साल पहले तक राज्य सरकार को लोन देता था और इसकी पावर प्रोजेक्ट व बिजली से अच्छी कमाई थी. मगर, पिछले कुछ सालों से सरकारों की नीतियों की वजह से बोर्ड निरंतर घाटे में दबता गया. इसकी दो बड़ी वजह मानी जा रही हैं. एक तो वोट बैंक के लिए मुफ्त बिजली और कम दरों पर बिजली देना है. पांच दशक पहले प्रदेश में 5 लाख विद्युत उपभोक्ता थे, जिसके लिए 44 हजार फील्ड कर्मचारी थे. वहीं अब उपभोक्ताओं की संख्या बढ़कर 23 लाख पहुंच गई है और फील्ड कर्मचारियों की संख्या घटकर 14 हजार के करीब रह गई हैं.
राज्य बिजली बोर्ड कर्मचारी यूनियन एवम इंजीनियर संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक लोकेश ठाकुर का कहना है कि बिजली बोर्ड के कर्मचारी और इंजीनियर 2 जनवरी से सैलरी और पेंशन के लिए भले ही प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन हमारी मुख्य स्थाई एमडी की नियुक्ति ओपीएस की बहाली को लेकर है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में एमडी के पास तीन विभागों की जिम्मेवारी है. जिस वजह से वे बोर्ड में पूरा ध्यान नहीं दे पा रहे हैं. यहीं से समस्या शुरू हुई है. उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि आज के प्रदर्शन के बाद हमारी बात को सुना जाएगा. अगर मांग नहीं मानी गई तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा.
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