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क्रिश्चियन समुदाय में ईस्टर पर्व की धूम, ऐतिहासिक क्राइस्ट चर्च में हुई विशेष प्रेयर

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Published : Apr 21, 2019, 4:36 PM IST

ईसाई समुदाय की मान्यता है कि आज के ही दिन प्रभु यीशु मसीह दोबारा जीवित हुए थे.

शिमला क्राइस्ट चर्च

शिमला: राजधानी शिमला में रविवार को ईसाई समुदाय के लोगों ने ईस्टर का पर्व धूमधाम से मनाया. इस अवसर पर शिमला के सभी गिरिजाघरों में विशेष प्रेयर की गई और शांति अमन की कामना की गई. शिमला के ऐतिहासिक क्राइस्ट चर्च में भी ईस्टर पर विशेष आयोजन किया गया. गुड फ्राइडे के बाद वाले संडे को ईस्टर के रूप में मनाया जाता है.

समुदाय की मान्यता है कि आज के ही दिन प्रभु यीशु मसीह दोबारा जीवित हुए थे. इस दिन पर क्राइस्ट चर्च में विशेष प्रार्थना सभाओं का आयोजन किया गया. इसमें ईसाई समुदाय के लोगों के साथ ही पर्यटकों ने भी भाग लिया. ईसाई धर्म को मानने वाले लोगों की मान्यता है कि गुड फ्राइडे के तीन दिन बाद यानी कि रविवार को ईसा मसीह सूली पर चढ़ने के बाद दोबारा जीवित हो गए थे. वह दोबारा जीवित होने के बाद 40 दिन तक अपने शिष्यों के बीच रहे थे और अंत में स्वर्ग चले गए. तभी से यह दिन ईस्टर के रूप में मनाया जाता है.

शिमला क्राइस्ट चर्च के पादरी सोहन लाल

यह दिन क्षमा और दया को समर्पित कर मनाया जाता है, क्योंकि इस दिन दोबारा जीवित होने के बाद प्रभु यीशु मसीह ने उन लोगों को माफ कर दिया था, जिन्होंने उन्हें कष्ट दिया था. इसी के चलते इस दिन पर आपसी बैर भुलाकर ईसाई धर्म के लोग विश्व के कल्याण की कामना करते हैं. शिमला क्राइस्ट चर्च के पादरी सोहन लाल ने बताया कि ईस्टर पर सुबह 6 बजे ओर फिर 8 बजे दो विशेष प्रार्थना सभाएं की गई. इसके बाद ईसाई समुदाय के लोगों ने अपने घरों में ईस्टर मनाया.

शिमला: राजधानी शिमला में रविवार को ईसाई समुदाय के लोगों ने ईस्टर का पर्व धूमधाम से मनाया. इस अवसर पर शिमला के सभी गिरिजाघरों में विशेष प्रेयर की गई और शांति अमन की कामना की गई. शिमला के ऐतिहासिक क्राइस्ट चर्च में भी ईस्टर पर विशेष आयोजन किया गया. गुड फ्राइडे के बाद वाले संडे को ईस्टर के रूप में मनाया जाता है.

समुदाय की मान्यता है कि आज के ही दिन प्रभु यीशु मसीह दोबारा जीवित हुए थे. इस दिन पर क्राइस्ट चर्च में विशेष प्रार्थना सभाओं का आयोजन किया गया. इसमें ईसाई समुदाय के लोगों के साथ ही पर्यटकों ने भी भाग लिया. ईसाई धर्म को मानने वाले लोगों की मान्यता है कि गुड फ्राइडे के तीन दिन बाद यानी कि रविवार को ईसा मसीह सूली पर चढ़ने के बाद दोबारा जीवित हो गए थे. वह दोबारा जीवित होने के बाद 40 दिन तक अपने शिष्यों के बीच रहे थे और अंत में स्वर्ग चले गए. तभी से यह दिन ईस्टर के रूप में मनाया जाता है.

शिमला क्राइस्ट चर्च के पादरी सोहन लाल

यह दिन क्षमा और दया को समर्पित कर मनाया जाता है, क्योंकि इस दिन दोबारा जीवित होने के बाद प्रभु यीशु मसीह ने उन लोगों को माफ कर दिया था, जिन्होंने उन्हें कष्ट दिया था. इसी के चलते इस दिन पर आपसी बैर भुलाकर ईसाई धर्म के लोग विश्व के कल्याण की कामना करते हैं. शिमला क्राइस्ट चर्च के पादरी सोहन लाल ने बताया कि ईस्टर पर सुबह 6 बजे ओर फिर 8 बजे दो विशेष प्रार्थना सभाएं की गई. इसके बाद ईसाई समुदाय के लोगों ने अपने घरों में ईस्टर मनाया.

Intro:राजधानी शिमला में रविवार को ईसाई समुदाय के लोगों ने ईस्टर का पर्व धूमधाम से मनाया। इस अवसर पर शिमला के सभी गिरिजाघरों में विशेष प्रेयर की गई ओर शांति अमन की कामना की गई। शिमला के ऐतिहासिक क्राइस्ट चर्च में भी ईस्टर पर विशेष आयोजन किया गया। गुड फ्राइडे के बाद वाले संडे को ईस्टर के रूप में मनाया जाता है। समुदाय की मान्यता है कि आज के ही दिन प्रभु यीशु मसीह दोबारा जीवित हुए थे।


Body:इस दिन पर क्राइस्ट चर्च में विशेष प्रार्थना सभाओं का आयोजन किया गया। इसमें ईसाई समुदाय के लोगों के साथ ही पर्यटकों ने भी भाग लिया। ईसाई धर्म को मानने वाले लोगों की मान्यता है कि गुड फ्राइडे के तीन दिन बाद यानी कि रविवार को ईसा मसीह सूली पर चढ़ने के बाद दोबारा जीवित हो गए थे। वह दोबारा जीवित होने के बाद 40 दिन तक अपने शिष्यों के बीच रहे थे और अंत मे स्वर्ग चले गए।


Conclusion:तभी से यह दिन ईस्टर के रूप में मनाया जाता है। इस दिन क्षमा ओर दया को समर्पित कर मनाया जाता है क्योंकि इस दिन दोबारा जीवित होने के बाद प्रभु यीशु मसीह ने उन लोगों को माफ कर दिया था,जिन्होंने उन्हें कष्ट दिया था। इसी के चलते इस दिन पर आपसी बैर भुलाकर ईसाई धर्म के लोग विश्व के कल्याण की कामना करते है। शिमला क्राइस्ट चर्च के पादरी सोहन लाल ने बताया कि ईस्टर पर सुबह 6 बजे ओर फिर 8 बजे दो विशेष प्रार्थना सभाएं की गई। इसके बाद ईसाई समुदाय के लोगों ने अपने घरों में ईस्टर मनाया।

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