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अब भूकंप आने से पहले ही मिल जाएगी जानकारी, जयराम सरकार ने भेजा आईआईटी रुड़की को प्रस्ताव

प्रदेश में भूकंप पूर्व चेतावनी (ईईडब्ल्यू) प्रणाली को विकसित करने के लिए प्रधान सचिव राजस्व और आपदा प्रबंधन ओंकार चंद शर्मा की अध्यक्षता में बैठक आयोजित की गई. अर्ली वार्निंग सिस्टम स्थापित करने से भविष्य में भूकंप आने से पहले ही, समय पर कार्रवाई करने से कई लोगों की जान बच सकती है.

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Published : Jul 20, 2019, 11:14 PM IST

मुख्य मंत्री जयराम ठाकुर की कैबिनेट


शिमला: हिमाचल में भूकंप जैसी आपदा से निपटने के लिए सरकार ने प्रयास तेज कर दिए हैं. प्रदेश सरकार ने भूकंप अर्ली वार्निंग सिस्टम स्थापित करने के लिए आईआईटी रुड़की को प्रस्ताव भेजा है. सरकार के इस प्रयास से भूकंप आने की जानकारी पहले ही मिल जाएगी.


प्रदेश में भूकंप पूर्व चेतावनी (ईईडब्ल्यू) प्रणाली को विकसित करने के लिए प्रधान सचिव राजस्व और आपदा प्रबंधन ओंकार चंद शर्मा की अध्यक्षता में बैठक आयोजित की गई. उन्होंने कहा कि आईआईटी रुड़की के प्रस्ताव के अनुसार हिमाचल, राज्य के विभिन्न भागों में भूकंप सेंसर लगा सकता है, जो रियल टाइम में भूकंप संबंधित जानकारी का पता लगाएगा. यह चेतावनी सायरन के नेटवर्क द्वारा आम जनता को दी जा सकती है.

मुख्य मंत्री जयराम ठाकुर  की कैबिनेट
मुख्य मंत्री जयराम ठाकुर की कैबिनेट

उन्होंने बताया कि अगर भूकंप का केंद्र कांगड़ा या मंडी क्षेत्रों में है तो राज्य की राजधानी में लोगों को 30 से 35 सेकंड तक का प्रतिक्रिया समय मिलेगा. शर्मा ने कहा कि राज्य का अधिकतम क्षेत्र हिमालय में स्थित है जो कि दुनिया के सबसे भूकंप संभावित क्षेत्रों में से एक है.

राज्य में भूकंप संबंधित खतरों को कम करने की दिशा में विकसित भूकंप अर्ली वार्निंग सिस्टम एक महत्वपूर्ण प्रयास हो सकता है. उन्होंने कहा कि इस संबंध में आईआईटी रुड़की ने भूकंप पूर्व चेतावनी प्रणाली स्थापित करने के लिए राज्य सरकार को एक प्रस्ताव भेजा था.

आपको बता दें कि आईआईटी रुड़की ने पहले ही राज्य सरकार की सहायता से उत्तराखंड में इस तरह के भूकंप अर्ली सिस्टम को स्थापित किया है, जो भूकंप की घटनाओं का डेटाबेस तैयार करके सार्वजनिक जागरूकता पैदा करने और भूकंपीय गतिविधियों पर विस्तृत शोध करके बहुत प्रभावी ढंग से चल रहा है.


शिमला: हिमाचल में भूकंप जैसी आपदा से निपटने के लिए सरकार ने प्रयास तेज कर दिए हैं. प्रदेश सरकार ने भूकंप अर्ली वार्निंग सिस्टम स्थापित करने के लिए आईआईटी रुड़की को प्रस्ताव भेजा है. सरकार के इस प्रयास से भूकंप आने की जानकारी पहले ही मिल जाएगी.


प्रदेश में भूकंप पूर्व चेतावनी (ईईडब्ल्यू) प्रणाली को विकसित करने के लिए प्रधान सचिव राजस्व और आपदा प्रबंधन ओंकार चंद शर्मा की अध्यक्षता में बैठक आयोजित की गई. उन्होंने कहा कि आईआईटी रुड़की के प्रस्ताव के अनुसार हिमाचल, राज्य के विभिन्न भागों में भूकंप सेंसर लगा सकता है, जो रियल टाइम में भूकंप संबंधित जानकारी का पता लगाएगा. यह चेतावनी सायरन के नेटवर्क द्वारा आम जनता को दी जा सकती है.

मुख्य मंत्री जयराम ठाकुर  की कैबिनेट
मुख्य मंत्री जयराम ठाकुर की कैबिनेट

उन्होंने बताया कि अगर भूकंप का केंद्र कांगड़ा या मंडी क्षेत्रों में है तो राज्य की राजधानी में लोगों को 30 से 35 सेकंड तक का प्रतिक्रिया समय मिलेगा. शर्मा ने कहा कि राज्य का अधिकतम क्षेत्र हिमालय में स्थित है जो कि दुनिया के सबसे भूकंप संभावित क्षेत्रों में से एक है.

राज्य में भूकंप संबंधित खतरों को कम करने की दिशा में विकसित भूकंप अर्ली वार्निंग सिस्टम एक महत्वपूर्ण प्रयास हो सकता है. उन्होंने कहा कि इस संबंध में आईआईटी रुड़की ने भूकंप पूर्व चेतावनी प्रणाली स्थापित करने के लिए राज्य सरकार को एक प्रस्ताव भेजा था.

आपको बता दें कि आईआईटी रुड़की ने पहले ही राज्य सरकार की सहायता से उत्तराखंड में इस तरह के भूकंप अर्ली सिस्टम को स्थापित किया है, जो भूकंप की घटनाओं का डेटाबेस तैयार करके सार्वजनिक जागरूकता पैदा करने और भूकंपीय गतिविधियों पर विस्तृत शोध करके बहुत प्रभावी ढंग से चल रहा है.

Intro:

हिमाचल में भूकंप जैसी आपदा से निपटने के लिए सरकार ने प्रयास तेज कर दिए है ! हिमाचल प्रदेश में भूकंप पूर्व चेतावनी (ईईडब्ल्यू) प्रणाली को विकसित करने के लिए प्रधान सचिव राजस्व और आपदा प्रबंधन ओंकार चंद शर्मा की अध्यक्षता में बैठक आयोजित की गई। शर्मा ने कहा कि राज्य का अधिकतम क्षेत्र हिमालय में स्थित है, जो कि दुनिया के सबसे भूकंप संभावित क्षेत्रों में से एक है। राज्य में भूकंप संबंधित खतरों को कम करने की दिशा में विकसित भूकंप अर्ली वार्निंग सिस्टम एक महत्वपूर्ण प्रयास हो सकता है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में, आईआईटी रुड़की ने भूकंप पूर्व चेतावनी प्रणाली स्थापित करने के लिए राज्य सरकार को एक प्रस्ताव भेजा था। आईआईटी रुड़की ने पहले ही राज्य सरकार की सहायता से उत्तराखंड में इस तरह के भूकंप अर्ली सिस्टम को स्थापित किया है, जो भूकंप की घटनाओं का डेटाबेस तैयार करके, सार्वजनिक जागरूकता पैदा करने और भूकंपीय गतिविधियों पर विस्तृत शोध करके बहुत प्रभावी ढंग से चल रहा है।

Body:उन्होंने कहा कि आईआईटी रुड़की के प्रस्ताव के अनुसार हिमाचल, राज्य के विभिन्न भागों में भूकंप सेंसर लगा सकता है जो रियल टाईम में भूकंप संबंधित जानकारी का पता लगाएगा। यह चेतावनी सायरन के नेटवर्क द्वारा आम जनता को दी जा सकती है।

उन्होंने बताया कि अगर भूकंप का केंद्र कांगड़ा या मंडी क्षेत्रों में है, तो राज्य की राजधानी में लोगों को 30 से 35 सेकंड तक का प्रतिक्रिया समय मिलेगा। इसी तरह, प्रमुख शहरों के लिए अपेक्षित लीड समय यदि 1905 में हुआ कांगड़ा भूकंप माना जाए तो सोलन 42 सेकंड, मंडी 20 सेकंड, डलहौजी 8 सेकंड, देहरादून 77 सेकंड, चंडीगढ़ 43 सेकंड, लुधियाना 37 सेकंड, अमृतसर 38 सेकंड, पानीपत 93 सेकंड और दिल्ली 123 सेकंड होगा।

शर्मा ने कहा कि भविष्य में इस तरह राज्य में भूकंप आने पर समय पर कार्रवाई से कई लोगों की जान बच सकती है और इस तरह की प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली लागू हो और इसे संस्थागत रूप दिया जा सकता है, जिससे ईईडब्ल्यूएस राज्य में भूकंप के डेटाबेस को बनाने और भूकंप सुरक्षा पर व्यापक जागरूकता पैदा करने में सहायक होगा।







Conclusion:विस्तृत विचार-विमर्श के बाद, ओंकार शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार इस संबंध में विचार कर सकती है और भविष्य में सुरक्षा की संस्कृति पैदा करके उच्च तीव्रता वाले राज्य में आने वाले भूकंपों के कारण अपेक्षित नुकसान और क्षति को कम करने के लिए इस प्रस्ताव को लागू करने के लिए और चर्चा की जाएगी और आम जनता में भूकंप सुरक्षा के लिए जागरुकता पैदा की जाएगी।

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