शिमला: पहाड़ों की रानी शिमला में रोपवे लगाने को लेकर सरकार तेजी से प्रयास कर रही है. 14.13 किलोमीटर लंबा सड़क के ट्रैफिक जाम से निजात तो दिलाएगा ही साफ में इसका सफर रोमांचकारी भी होगा. रोपवे बनाने को लेकर ड्रोन से सर्वे पूरा कर लिया गया और अब इसकी डीपीआर तैयार की जा रही है. माना जा रहा है कि इसी माह डीपीआर बनकर तैयार हो जाएगी. पहाड़ी इलाकों और दूरदराज के क्षेत्रों में एक कुशल परिवहन नेटवर्क विकसित करना एक बड़ी चुनौती है.
परिवहन के पारंपरिक साधनों जैसे सड़क, रेल और वायु मार्ग का उपयोग करके ऐसे क्षेत्रों में सुदृढ़ परिवहन नेटवर्क स्थापित करने के लिए कई तकनीकी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. शहरी इलाकों की बात की जाए तो यहां पर ट्रैफिक जाम एक बड़ी समस्या उभरकर सामने आ रही है. इसे देखते हुए सरकार रोपवे स्थापित करने की दिशा में काम कर रही है. पहाड़ों की रानी शिमला को ट्रैफिक जाम से निजात दिलाने के लिए भी प्रदेश सरकार रोप-वे परियोजना पर काम कर रही है.
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि शिमला रोपवे 14.13 किलोमीटर लंबा होगा जो कि शहर के विभिन्न स्थानों पर 15 स्टेशनों को आपस में जोड़ेगा. इस महत्वाकांक्षी परियोजना की कुल परियोजना लागत लगभग 1546.40 करोड़ रुपये है. यह शहरी रोपवे परियोजना दुनिया में अपनी तरह की दूसरी और भारत में पहली होगी. उन्होंने कहा कि इससे शिमला शहर की यातायात व्यवस्था को सुचारू करने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार धर्मशाला और मनाली शहर में इसी तरह की शहरी रोप-वे परियोजनाओं को विकसित करने की योजना बना रही है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि शिमला शहर के लिए यह परियोजना रोप-वे एंड रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (आरटीडीसी) के माध्यम से संचालित की जाएगी और इसकी डीपीआर बनाने का काम तेजी से किया जा रहा है,जिसके 30 जून तक पूरा होने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि इसके लिए ड्रोन सर्वेक्षण पूरा हो चुका है. इसके अलावा, भू-तकनीकी जांच और ईएसआईए की अध्ययन प्रक्रिया जारी है.
मुख्यमंत्री का कहना है कि रोप-वे परिवहन के एक सुविधाजनक, सुरक्षित और पसंदीदा साधन के रूप में उभरा है, जो हिमाचल जैसे पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्रों में तीव्र सम्पर्क सुविधा प्रदान करने के साथ-साथ शहरों को भीड़-भाड़ से भी राहत प्रदान करने में सहायक साबित होगा. उन्होंने कहा कि पर्यावरण के अनुकूल, स्वच्छ और हरित परिवहन साधन होने के अलावा यह ग्रीन व क्लीन हिमाचल के लिए राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को साकार करने में मदद करेगा.
शिमला में हर साल पहुंचते हैं 40 लाख सैलानी: शिमला की जनसंख्या लगभग 3.08 लाख है और यहां वार्षिक लगभग 40 लाख पर्यटक पहुंचते हैं. शहर के दोनों तरफ आवास या अन्य भवन होने के साथ संकरी सड़कें हैं, जो पर्यटन सीजन के दौरान शिमला पहुंचने वाले हजारों पर्यटक वाहनों के साथ और भी जटिल हो जाती हैं, जिससे यात्रियों को ट्रैफिक जाम से भारी असुविधा का सामना करना पड़ता है. शिमला आने वाले पर्यटन शहर के एंट्री प्वाइंट पर अपनी गाड़ियां पार्क कर रोप-वे से यहां मनोहर पहाड़ियों की प्राकृतिक सुंदरता और यहां के शांत वातावरण का आनंद ले सकेंगे.