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डॉ. वाईएस परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय: कुलपति राजेश्वर सिंह ने कहा, पारंपरिक और आधुनिक तकनीकों को देंगे बढ़ावा

डॉ. वाईएस परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय (Dr. YS Parmar University of Horticulture and Forestry)के नवनियुक्त कुलपति प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल ने कहा कि आधुनिक और पारंपरिक दोनों ही तकनीकों तथा बीजों का प्रयोग करके बागवानी को और बेहतर बनाया जा सकता है. ईटीवी भारत से बात करते हुए प्रो. चंदेल ने कहा कि आज पूरी दुनिया में पुरातन को संजोए रखने की बात भी चली है. इसके अलावा आधुनिकतम को को कितना प्रयोग करना इसपर भी निर्णय करना ज़रूरी है.

कुलपति प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल
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Published : May 11, 2022, 10:06 AM IST

शिमला. डॉ. वाईएस परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय (Dr. YS Parmar University of Horticulture and Forestry)के नवनियुक्त कुलपति प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल ने कहा कि आधुनिक और पारंपरिक दोनों ही तकनीकों तथा बीजों का प्रयोग करके बागवानी को और बेहतर बनाया जा सकता है. ईटीवी भारत से बात करते हुए प्रो. चंदेल ने कहा कि आज पूरी दुनिया में पुरातन को संजोए रखने की बात भी चली है. इसके अलावा आधुनिकतम को को कितना प्रयोग करना इसपर भी निर्णय करना ज़रूरी है. प्रो. चंदेल ने कहा कि दोनों का प्रयोग ज़रूरी है चाहे बीज की बात हो, पौधों का विषय हो या फिर तकनीक आधुनिक और पारंपरिक दोनों का सही चयन ज़रूरी है. उन्होंने कहा कि बीज को लेकर प्रदेश सरकार ने एक विस्तरित योजना तैयार की. इस योजना के अनुसार जो पुराना बीज प्रदेश के किसान लम्बे समय से प्रयोग कर रहे हैं उसको रखने और प्रयोग करने में बेहद कम खर्च आता है. इसलिए उसके बेहतर उपयोग पर भी कार्य किया जा रहा है.


प्राकृतिक खेती में हिमाचल के किसान कर रहे देश का नेतृत्व: एक सवाल के जवाब में प्रो. चंदेल ने कहा कि प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना हिमाचल में सफलता से चल रही है. प्रदेश में अधिकांश छोटे किसान है. ऐसे में खेती की यह तकनीक अच्छा परिणाम दे रही है. प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल ने कहा कि भविष्य की खाद्य जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सतत खाद्य प्रणाली और स्व प्रमाणीकरण प्रणाली का प्रारूप तैयार किया है, जिसे देश की नीति निर्धारक संस्था नीति आयोग और दुनिया भर में खाद्य प्रणाली से जुड़ी सबसे बड़ी संस्था संयुक्त राष्ट्र खाद्य संघ, आईफोम इंटरनेशनल, इनरा फ्रांस और बायोविजन समेत नामी संस्थाओं ने सराहा है. प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल वर्तमान में प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना में कार्यकारी निदेशक के पद पर भी तैनात हैं. वहीं .उन्होंने कहा कि आज प्राकृतिक खेती में हिमाचल के किसान देश का नेतृत्व कर रहे हैं.

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कृषि और वानिकी में रिसर्च को देंगे और बढ़ावा: प्रो. चंदेल ने कहा कि बागवानी और कृषि दोनों में ही रिसर्च का महत्व बेहद अहम है. विश्विद्यालय में इसपर वर्षों से काम हो भी रहा है. रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे. प्रो. चंदेल देश भर के कृषि और वानिकी विश्वविद्यालयों में प्राकृतिक खेती विषय का पाठ्यक्रम तैयार करने वाली कमेटी के भी सदस्य सचिव हैं. दो दर्जन से अधिक पुस्तकों का सफल प्रकाशन, 200 से अधिक रिसर्च पेपर, 22 प्रोजेक्ट रिपोर्ट प्रकाशित करने सहित विभिन्न नामी समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में लेख प्रकाशित किए हैं. प्रो. चंदेल देश-विदेश की नामी संस्थाओं द्वारा पोषित परियोजनाओं के प्रमुख और विविध टीमों के सदस्य हैं. इसके अलावा वे कई शोध पत्रिकाओं के संपादक और संपादन समीति के सदस्य भी रहे हैं. प्रो. चंदेल को उनके कृषि, बागवानी, शिक्षण, अनुसंधान और किसान कल्याण के लिए कई नामी संस्थाओं की ओर से दर्जनों प्रशस्ति पत्र और पुरस्कार देकर भी सम्मानित किया गया. प्रो चंदेल कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सेमीनार में प्रमुख वक्ता के तौर पर व्याख्यान दे चुके हैं. इसके साथ ही वे भारत सरकार की कृषि प्रमाणीकरण कमेटी के भी सदस्य हैं. प्राकृतिक खेती के प्रसार के लिए प्रो चंदेल के प्रयासों की सराहना देश के प्रधानमंत्री कई मंचों में कर चुके हैं. ये प्रो चंदेल के प्रयासों का ही नतीजा है कि आज हिमाचल प्रदेश प्राकृतिक खेती राज्य बनने की ओर अग्रसर है. देश के अन्य राज्यों के लिए आदर्श राज्य बनकर उभरा व ये राज्य हिमाचल के मॉडल को अपना रहे हैं.

ये भी पढ़ें :शिमला फल मंडी में चेरी के बाद बादाम और खुमानी की एंट्री, अच्छे दाम मिलने से बागवान खुश

शिमला. डॉ. वाईएस परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय (Dr. YS Parmar University of Horticulture and Forestry)के नवनियुक्त कुलपति प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल ने कहा कि आधुनिक और पारंपरिक दोनों ही तकनीकों तथा बीजों का प्रयोग करके बागवानी को और बेहतर बनाया जा सकता है. ईटीवी भारत से बात करते हुए प्रो. चंदेल ने कहा कि आज पूरी दुनिया में पुरातन को संजोए रखने की बात भी चली है. इसके अलावा आधुनिकतम को को कितना प्रयोग करना इसपर भी निर्णय करना ज़रूरी है. प्रो. चंदेल ने कहा कि दोनों का प्रयोग ज़रूरी है चाहे बीज की बात हो, पौधों का विषय हो या फिर तकनीक आधुनिक और पारंपरिक दोनों का सही चयन ज़रूरी है. उन्होंने कहा कि बीज को लेकर प्रदेश सरकार ने एक विस्तरित योजना तैयार की. इस योजना के अनुसार जो पुराना बीज प्रदेश के किसान लम्बे समय से प्रयोग कर रहे हैं उसको रखने और प्रयोग करने में बेहद कम खर्च आता है. इसलिए उसके बेहतर उपयोग पर भी कार्य किया जा रहा है.


प्राकृतिक खेती में हिमाचल के किसान कर रहे देश का नेतृत्व: एक सवाल के जवाब में प्रो. चंदेल ने कहा कि प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना हिमाचल में सफलता से चल रही है. प्रदेश में अधिकांश छोटे किसान है. ऐसे में खेती की यह तकनीक अच्छा परिणाम दे रही है. प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल ने कहा कि भविष्य की खाद्य जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सतत खाद्य प्रणाली और स्व प्रमाणीकरण प्रणाली का प्रारूप तैयार किया है, जिसे देश की नीति निर्धारक संस्था नीति आयोग और दुनिया भर में खाद्य प्रणाली से जुड़ी सबसे बड़ी संस्था संयुक्त राष्ट्र खाद्य संघ, आईफोम इंटरनेशनल, इनरा फ्रांस और बायोविजन समेत नामी संस्थाओं ने सराहा है. प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल वर्तमान में प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना में कार्यकारी निदेशक के पद पर भी तैनात हैं. वहीं .उन्होंने कहा कि आज प्राकृतिक खेती में हिमाचल के किसान देश का नेतृत्व कर रहे हैं.

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कृषि और वानिकी में रिसर्च को देंगे और बढ़ावा: प्रो. चंदेल ने कहा कि बागवानी और कृषि दोनों में ही रिसर्च का महत्व बेहद अहम है. विश्विद्यालय में इसपर वर्षों से काम हो भी रहा है. रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे. प्रो. चंदेल देश भर के कृषि और वानिकी विश्वविद्यालयों में प्राकृतिक खेती विषय का पाठ्यक्रम तैयार करने वाली कमेटी के भी सदस्य सचिव हैं. दो दर्जन से अधिक पुस्तकों का सफल प्रकाशन, 200 से अधिक रिसर्च पेपर, 22 प्रोजेक्ट रिपोर्ट प्रकाशित करने सहित विभिन्न नामी समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में लेख प्रकाशित किए हैं. प्रो. चंदेल देश-विदेश की नामी संस्थाओं द्वारा पोषित परियोजनाओं के प्रमुख और विविध टीमों के सदस्य हैं. इसके अलावा वे कई शोध पत्रिकाओं के संपादक और संपादन समीति के सदस्य भी रहे हैं. प्रो. चंदेल को उनके कृषि, बागवानी, शिक्षण, अनुसंधान और किसान कल्याण के लिए कई नामी संस्थाओं की ओर से दर्जनों प्रशस्ति पत्र और पुरस्कार देकर भी सम्मानित किया गया. प्रो चंदेल कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सेमीनार में प्रमुख वक्ता के तौर पर व्याख्यान दे चुके हैं. इसके साथ ही वे भारत सरकार की कृषि प्रमाणीकरण कमेटी के भी सदस्य हैं. प्राकृतिक खेती के प्रसार के लिए प्रो चंदेल के प्रयासों की सराहना देश के प्रधानमंत्री कई मंचों में कर चुके हैं. ये प्रो चंदेल के प्रयासों का ही नतीजा है कि आज हिमाचल प्रदेश प्राकृतिक खेती राज्य बनने की ओर अग्रसर है. देश के अन्य राज्यों के लिए आदर्श राज्य बनकर उभरा व ये राज्य हिमाचल के मॉडल को अपना रहे हैं.

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