शिमला. डॉ. वाईएस परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय (Dr. YS Parmar University of Horticulture and Forestry)के नवनियुक्त कुलपति प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल ने कहा कि आधुनिक और पारंपरिक दोनों ही तकनीकों तथा बीजों का प्रयोग करके बागवानी को और बेहतर बनाया जा सकता है. ईटीवी भारत से बात करते हुए प्रो. चंदेल ने कहा कि आज पूरी दुनिया में पुरातन को संजोए रखने की बात भी चली है. इसके अलावा आधुनिकतम को को कितना प्रयोग करना इसपर भी निर्णय करना ज़रूरी है. प्रो. चंदेल ने कहा कि दोनों का प्रयोग ज़रूरी है चाहे बीज की बात हो, पौधों का विषय हो या फिर तकनीक आधुनिक और पारंपरिक दोनों का सही चयन ज़रूरी है. उन्होंने कहा कि बीज को लेकर प्रदेश सरकार ने एक विस्तरित योजना तैयार की. इस योजना के अनुसार जो पुराना बीज प्रदेश के किसान लम्बे समय से प्रयोग कर रहे हैं उसको रखने और प्रयोग करने में बेहद कम खर्च आता है. इसलिए उसके बेहतर उपयोग पर भी कार्य किया जा रहा है.
प्राकृतिक खेती में हिमाचल के किसान कर रहे देश का नेतृत्व: एक सवाल के जवाब में प्रो. चंदेल ने कहा कि प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना हिमाचल में सफलता से चल रही है. प्रदेश में अधिकांश छोटे किसान है. ऐसे में खेती की यह तकनीक अच्छा परिणाम दे रही है. प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल ने कहा कि भविष्य की खाद्य जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सतत खाद्य प्रणाली और स्व प्रमाणीकरण प्रणाली का प्रारूप तैयार किया है, जिसे देश की नीति निर्धारक संस्था नीति आयोग और दुनिया भर में खाद्य प्रणाली से जुड़ी सबसे बड़ी संस्था संयुक्त राष्ट्र खाद्य संघ, आईफोम इंटरनेशनल, इनरा फ्रांस और बायोविजन समेत नामी संस्थाओं ने सराहा है. प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल वर्तमान में प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना में कार्यकारी निदेशक के पद पर भी तैनात हैं. वहीं .उन्होंने कहा कि आज प्राकृतिक खेती में हिमाचल के किसान देश का नेतृत्व कर रहे हैं.
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