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मंडी में होगा अश्वगंधा का प्रचार-प्रसार, वनस्पति वैज्ञानिक डॉ. तारा सेन को मिला प्रोजेक्ट - Promotion of Ashwagandha in Mandi

मंडी में आने वाले एक साल में अश्वगंधा का प्रचार-प्रसार किया जाएगा. वनस्पति वैज्ञानिक डॉ. तारा सेन को भारत सरकार के राष्ट्रीय औषधि पौध बोर्ड की तरफ प्रोजेक्ट मिला है.(National Medicinal Plants Board project)

डॉ. तारा सेन
डॉ. तारा सेन
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Published : Feb 11, 2023, 8:32 AM IST

मंडी: कॉलेज में वनस्पति विज्ञान विभाग की सहायक प्रोफेसर और वनस्पति वैज्ञानिक डॉ. तारा सेन को आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के राष्ट्रीय औषधि पौध बोर्ड की तरफ से महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट मिला है. डॉ. तारा देवी सेन ने बताया कि राष्ट्रीय औषधि पौध बोर्ड की ओर से 18 लाख 90 हजार रुपए का एक मेजर रिसर्च प्रोजेक्ट मंजूर किया है.

मंडी में होगा अश्वगंधा का प्रचार-प्रसार: उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट में हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला के अर्थशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर संजीत सिंह ठाकुर सहयोगी इन्वेस्टिगेटर की भूमिका निभाएंगे. उन्होंने बताया कि वे एक वर्ष के अंदर अश्वगंधा का प्रचार-प्रसार करेगी और अश्वगंधा के औषधीय और पौष्टिक तत्वों के बारे में जिला मंडी के लोगों को जागरूक करेगी.

जंगली खाद्य पौधों पर अनुसंधान: डॉ. तारा सेन लगातार जंगली खाद्य पौधों के ऊपर अनुसंधान कर रही और तकई प्रकार के जंगली खाद्य पौधों के ऊपर अनुसंधान करके आम लोगों तक उनकी जानकारी पहुंचाने का काम भी साथ-साथ कर रही हैं, जिससे न केवल लोगों के स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ रहा ,बल्कि कई स्वयं सहायता समूहों और आम लोगों को आजीविका के साधन भी उपलब्ध हो रहे है.

जोगिंदर नगर में लगेगी अश्वगंधा की नर्सरी: इस प्रोजेक्ट में आरसीएफसी जोगिंदर नगर और बाल वृद्ध अनाथ आश्रम तल्याहार, मंडी भी मुख्य भूमिका में रहेंगे. उन्होंने बताया कि बाल वृद्ध अनाथ आश्रम के अंतर्गत करीब 11 बीघा जमीन है. यहां उपलब्ध भूमि का उपयोग छात्रों के कल्याण के लिए जड़ी-बूटी उद्यान विकसित करने, नर्सरी बनाने या औषधीय और खाद्य पौधों की खेती और विपणन द्वारा आय सृजन के लिए किया जा सकता है. यहां अश्वगंधा की नर्सरी लगाई जाएगी और भविष्य में इसे आरसीएफसी जोगिंद रनगर की सहायता से एक सेल्फ सुसतेनिग हर्बल नर्सरी के रूप में विकसित किया जाएगा.

प्रचार-प्रसार का मकसद: भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा मंजूर किए गए, इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य भारत के गांव-गांव में रहने वाले लोगों को अअश्वगंधा के औषधीय और पौष्टिक तत्वों की जानकारी प्रदान करना है, ताकि गांव-गांव तक रहने वाले लोग अश्वगंधा को अपनी जीवन पद्धति में अपनाएं और बीमारियों से दूर रहें.

क्या है अश्वगंधा: अश्वगंधा विथानिया सोम्निफेरा एक छोटी झाड़ी है. यह जड़ी-बूटी सोलेनेसी परिवार से संबंधित है. यह 1.5 मीटर लंबी और 1000 मीटर की ऊंचाई तक बढ़ सकती है. इसका सामान्य नाम विंटर चेरी और हिंदी नाम असगंध या अश्वगंधा हैं. इसके उपयोगी भाग जड़, पत्ती और बीज है. जिला मंडी की कम ऊंचाई वाली सीमाएं इस पौधे की खेती के लिए उपयुक्त हैं. वर्तमान में इस पौधे की खेती और उपयोग मंडी में नगण्य है.कई बीमारियों में इसका उपयोग लाभादायक माना जाता है.

मंडी: कॉलेज में वनस्पति विज्ञान विभाग की सहायक प्रोफेसर और वनस्पति वैज्ञानिक डॉ. तारा सेन को आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के राष्ट्रीय औषधि पौध बोर्ड की तरफ से महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट मिला है. डॉ. तारा देवी सेन ने बताया कि राष्ट्रीय औषधि पौध बोर्ड की ओर से 18 लाख 90 हजार रुपए का एक मेजर रिसर्च प्रोजेक्ट मंजूर किया है.

मंडी में होगा अश्वगंधा का प्रचार-प्रसार: उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट में हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला के अर्थशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर संजीत सिंह ठाकुर सहयोगी इन्वेस्टिगेटर की भूमिका निभाएंगे. उन्होंने बताया कि वे एक वर्ष के अंदर अश्वगंधा का प्रचार-प्रसार करेगी और अश्वगंधा के औषधीय और पौष्टिक तत्वों के बारे में जिला मंडी के लोगों को जागरूक करेगी.

जंगली खाद्य पौधों पर अनुसंधान: डॉ. तारा सेन लगातार जंगली खाद्य पौधों के ऊपर अनुसंधान कर रही और तकई प्रकार के जंगली खाद्य पौधों के ऊपर अनुसंधान करके आम लोगों तक उनकी जानकारी पहुंचाने का काम भी साथ-साथ कर रही हैं, जिससे न केवल लोगों के स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ रहा ,बल्कि कई स्वयं सहायता समूहों और आम लोगों को आजीविका के साधन भी उपलब्ध हो रहे है.

जोगिंदर नगर में लगेगी अश्वगंधा की नर्सरी: इस प्रोजेक्ट में आरसीएफसी जोगिंदर नगर और बाल वृद्ध अनाथ आश्रम तल्याहार, मंडी भी मुख्य भूमिका में रहेंगे. उन्होंने बताया कि बाल वृद्ध अनाथ आश्रम के अंतर्गत करीब 11 बीघा जमीन है. यहां उपलब्ध भूमि का उपयोग छात्रों के कल्याण के लिए जड़ी-बूटी उद्यान विकसित करने, नर्सरी बनाने या औषधीय और खाद्य पौधों की खेती और विपणन द्वारा आय सृजन के लिए किया जा सकता है. यहां अश्वगंधा की नर्सरी लगाई जाएगी और भविष्य में इसे आरसीएफसी जोगिंद रनगर की सहायता से एक सेल्फ सुसतेनिग हर्बल नर्सरी के रूप में विकसित किया जाएगा.

प्रचार-प्रसार का मकसद: भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा मंजूर किए गए, इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य भारत के गांव-गांव में रहने वाले लोगों को अअश्वगंधा के औषधीय और पौष्टिक तत्वों की जानकारी प्रदान करना है, ताकि गांव-गांव तक रहने वाले लोग अश्वगंधा को अपनी जीवन पद्धति में अपनाएं और बीमारियों से दूर रहें.

क्या है अश्वगंधा: अश्वगंधा विथानिया सोम्निफेरा एक छोटी झाड़ी है. यह जड़ी-बूटी सोलेनेसी परिवार से संबंधित है. यह 1.5 मीटर लंबी और 1000 मीटर की ऊंचाई तक बढ़ सकती है. इसका सामान्य नाम विंटर चेरी और हिंदी नाम असगंध या अश्वगंधा हैं. इसके उपयोगी भाग जड़, पत्ती और बीज है. जिला मंडी की कम ऊंचाई वाली सीमाएं इस पौधे की खेती के लिए उपयुक्त हैं. वर्तमान में इस पौधे की खेती और उपयोग मंडी में नगण्य है.कई बीमारियों में इसका उपयोग लाभादायक माना जाता है.

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