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रंगों के त्योहार के लिए कलरफुल हुई देवभूमि, खुशियों के पर्व पर डॉक्टर ने दी सावधान रहने की सलाह

रंगों के त्योहार के लिए कलरफुल हुई देवभूमि खुशियों के पर्व पर डॉक्टर ने दी सचेत रहने की टिप्स

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Published : Mar 18, 2019, 9:57 PM IST

रामपुर: होली का त्योहार नजदीक है और देवभूमि में होली कि तैयारियां शुरू हो गई है. बाजारों में रंग और पिचकारियां बच्चों और बड़ों दोनों को लुभा रही हैं, लेकिन रंगों और खुशियों के इस पर्व में सजग रहने की जरुरत भी है.

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हिमाचल में होली के लिए बाजार सज चुके हैं और हर तरफ रंगों की भरमार है. फुटपाथ से लेकर बड़ी दुकानों में हर तरह के रंग बेचे जा रहे हैं, लेकिन इन रंगों की पहचान किये बगैर अगर आप इन्हें अपने घर ले जा रहे हैं, तो ये आपकी सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. इस खतरे से बचने के लिए कुछ बेहद जरूरी सावधानियां अपनाना आवश्यक है.
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नुकसान पहुंचा सकते हैं सिंथेटिक रंग
महात्मा गांधी अस्पताल खनेरी रामपुर में चरम रोग विशेषज्ञ डॉ. शैल्जा का कहना है कि अगर सिंथेटिक रंगों का इस्तेमाल से मुंह में छाले हो सकते हैं और स्किन में एलर्जी भी हो सकती है. इन रंगों के इस्तेमाल से आंखों में जलन के साथ-साथ आंखों की रोशनी भी टेंपरेरी तौर पर जा सकती है. डॉ. शैल्जा ने बताया कि इसके लिए कुछ सावधानियां बरतनी बेहद जरूरी है.

डॉ. का कहना है कि इन दिनों बाजार में मिलने वाले सिंथेटिक रंगों में टॉक्सिन और रसायन मिलाए जाते हैं. रंगों में ऑक्सीडेंट मेटल्स या इंडस्ट्रियल डाई भी मिलाए जाते हैं, जो सेहत को काफी नुकसान पहुंचा सकता है. डॉ. ने चेताया कि इससे त्वचा बदरंग हो सकती है या त्वचा छिल जाने जैसी समस्या हो सकती है. सिंथेटिक रंगों से अन्य तरीके की समस्या भी आती है. रंगों के इस्तेमाल से आंखों में जलन और इचिंग की शिकायत हो सकती है. इसके अलावा आंखों में सूखापन भी महसूस हो सकता है.

रंगों की पहचान बेहद आसान
डॉ. शैल्जा का कहना है कि इस तरह के रंगों की पहचान बेहद आसान है. किसी भी रंग को खरीदने जाएं तो ये बात सुनिश्चित कर लें कि पक्का रंग बिल्कुल न खरीदें. इसके अलावा रंग खरीदते समय उसको पानी में मिलाकर बदन के किसी हिस्से पर ट्रायल के तौर पर लगा कर देख लें कि वो पक्का रंग तो नहीं है. अगर रंग लगाने के 5 मिनट बाद आसानी से नहीं छूट रहा, तो वो पक्का रंग है.

डॉ. ने कहा कि होली प्राकृतिक रंगों से खेलें. अगर गुलाल में पानी मिलाकर लगाने से वो आसानी से नहीं छूट रहा, तो वो भी अच्छा गुलाल नहीं है. विश्वसनीय दुकान से प्राकृतिक गुलाल खरीदें और उसी से होली मनाएं, जो सेहत के लिए पूरी तरह से सुरक्षित होगा.

रामपुर: होली का त्योहार नजदीक है और देवभूमि में होली कि तैयारियां शुरू हो गई है. बाजारों में रंग और पिचकारियां बच्चों और बड़ों दोनों को लुभा रही हैं, लेकिन रंगों और खुशियों के इस पर्व में सजग रहने की जरुरत भी है.

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हिमाचल में होली के लिए बाजार सज चुके हैं और हर तरफ रंगों की भरमार है. फुटपाथ से लेकर बड़ी दुकानों में हर तरह के रंग बेचे जा रहे हैं, लेकिन इन रंगों की पहचान किये बगैर अगर आप इन्हें अपने घर ले जा रहे हैं, तो ये आपकी सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. इस खतरे से बचने के लिए कुछ बेहद जरूरी सावधानियां अपनाना आवश्यक है.
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नुकसान पहुंचा सकते हैं सिंथेटिक रंग
महात्मा गांधी अस्पताल खनेरी रामपुर में चरम रोग विशेषज्ञ डॉ. शैल्जा का कहना है कि अगर सिंथेटिक रंगों का इस्तेमाल से मुंह में छाले हो सकते हैं और स्किन में एलर्जी भी हो सकती है. इन रंगों के इस्तेमाल से आंखों में जलन के साथ-साथ आंखों की रोशनी भी टेंपरेरी तौर पर जा सकती है. डॉ. शैल्जा ने बताया कि इसके लिए कुछ सावधानियां बरतनी बेहद जरूरी है.

डॉ. का कहना है कि इन दिनों बाजार में मिलने वाले सिंथेटिक रंगों में टॉक्सिन और रसायन मिलाए जाते हैं. रंगों में ऑक्सीडेंट मेटल्स या इंडस्ट्रियल डाई भी मिलाए जाते हैं, जो सेहत को काफी नुकसान पहुंचा सकता है. डॉ. ने चेताया कि इससे त्वचा बदरंग हो सकती है या त्वचा छिल जाने जैसी समस्या हो सकती है. सिंथेटिक रंगों से अन्य तरीके की समस्या भी आती है. रंगों के इस्तेमाल से आंखों में जलन और इचिंग की शिकायत हो सकती है. इसके अलावा आंखों में सूखापन भी महसूस हो सकता है.

रंगों की पहचान बेहद आसान
डॉ. शैल्जा का कहना है कि इस तरह के रंगों की पहचान बेहद आसान है. किसी भी रंग को खरीदने जाएं तो ये बात सुनिश्चित कर लें कि पक्का रंग बिल्कुल न खरीदें. इसके अलावा रंग खरीदते समय उसको पानी में मिलाकर बदन के किसी हिस्से पर ट्रायल के तौर पर लगा कर देख लें कि वो पक्का रंग तो नहीं है. अगर रंग लगाने के 5 मिनट बाद आसानी से नहीं छूट रहा, तो वो पक्का रंग है.

डॉ. ने कहा कि होली प्राकृतिक रंगों से खेलें. अगर गुलाल में पानी मिलाकर लगाने से वो आसानी से नहीं छूट रहा, तो वो भी अच्छा गुलाल नहीं है. विश्वसनीय दुकान से प्राकृतिक गुलाल खरीदें और उसी से होली मनाएं, जो सेहत के लिए पूरी तरह से सुरक्षित होगा.


प्राकृतिक गुलाल से खेलें होली, सिंथेटिक रंगों के इस्तेमाल से  त्वचा को भी हो सकता है नुकसान 

रामपुर बुशहर, 18 मार्च मीनाक्षी 
हर वर्ष की भंती इस वर्ष भी होली नजदीक आ गई है। ऐसे में  जाहिर सी बात है कि लोगों ने होली कि  तैयारियां शुरू कर दी होंगी।  बाजार भी तैयार है रंग और पिचकारियों के साथ। लेकिन, इस त्योहार में सजग रहने की भी जरुरत है। 
हिमाचल में होली  के लिए बाजार सज गया है और रंगों की भरमार है।  फुटपाथ से लेकर बड़ी दुकानों तक हर तरह के रंग बेचे जा रहे हैं, लेकिन इन रंगों की पहचान किए बगैर अगर आप इन्हें अपने घर ले जा रहे हैं तो ये आपके लिए खतरनाक भी साबीत हो सकते है। जिसके लिए बेहद जरूरी कुछ सावधानियों को अपनाना भी जरूरी है। 


सिंथेटिक रंगों के इस्तेमाल से  त्वचा को भी हो सकता है नुकसान
महात्मा गांधी अस्पताल खनेरी रामपुर चरम रोग विशेषज्ञ  डा शैल्जा ने जानकारी देते हुए बताया कि  अगर सिंथेटिक रंगों का इस्तेमाल किया तो मुंह में छाले हो सकते हैं और स्किन में एलर्जी भी हो सकती है और आंखों में जलन के साथ-साथ आंखों की रोशनी भी टेंपरेरी तौर पर जा सकती है। उन्होंने बताया कि इसके लिए कुछ सावधानियां बरतनी बेहद जरूरी है। 
 डा शैलजा चरम रोग विशेषज्ञ ने बताया कि इन दिनों बाजार में मिलने वाले सिंथेटिक रंगों में टॉक्सिन और रसायन मिलाए जाते है। जानकारी के अनुसार  रंगों में ऑक्सीडेंट मेटल्स या इंडस्ट्रियल डाई भी मिलाए जाते है। जो सेहत को काफी नुकसान पहुंचा सकता है।  उन्होंने चेताया कि इससे त्वचा बदरंग हो सकती है या त्वचा छिल जाने जैसी समस्या हो सकती है।  सिंथेटिक रंगों से अन्य तरीके की समस्या भी आती है । रंगों के इस्तेमाल से इरिटेशन, आंखों में जलन और इचिंग की शिकायत हो सकती है. इसके अलावा आंखों में सूखापन भी महसूस हो सकता है। 


रंगों की पहचान बेहद आसान है
डा शैल्जा  का कहना है कि इस तरह के रंगों की पहचान बेहद आसान है. किसी भी रंग को खरीदने जाएं तो ये बात सुनिश्चित कर लें कि पक्का रंग बिल्कुल न खरीदें. इसके अलावा रंग खरीदते समय उसको पानी में मिलाकर बदन के किसी हिस्से पर ट्रायल के तौर पर लगा कर देख लें कि वो पक्का रंग तो नहीं है. अगर रंग लगाने के 5 मिनट बाद आसानी से नहीं छूट रहा तो पक्का रंग है। डा ने कहा कि जब होली खेलें उससे पहले अपनी त्वच्चा 

प्राकृतिक गुलाल से खेलें होली
इसके अलावा गुलाल भी आजकल सिंथेटिक आ रहा है। गुलाल के साथ भी यही प्रक्रिया अपनाई जा सकती है।  अगर गुलाल में पानी मिलाकर लगाने से वो आसानी से नहीं छूट रहा है तो वो भी अच्छा गुलाल नहीं है, इसलिए विश्वसनीय दुकान से प्राकृतिक गुलाल खरीदें और उसी से होली मनाएं जो सेहत के लिए पूरी तरह से सुरक्षित होगा। 


बाईट : डा शैल्जा चरम रोग विशेषज्ञ  महात्मा गांधी चिकित्सा परिसर खनेरी रामपुर बुशहर


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