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IGMC के इतिहास में पहला केस, बात करता रहा मरीज और हो गया ब्रेन ट्यूमर का सफल ऑपेरशन

हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आइजीएमसी में न्यूरो सर्जरी विभाग ने जागते हुए मरीज के दिगाम का आपरेशन किया. डाक्टरों का दावा है कि ये अपनी तरह का पहला आपरेशन हिमाचल में हुआ है. अस्पताल की ओर से जारी वीडियो में साफ है कि मरीज को हाथ उठाने के लिए कहा गया तो वो हाथ उठा रहा था. वहीं, जीभ बाहर निकालने के लिए कहा तो जीभ भी निकाली.

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Published : Aug 28, 2021, 6:35 PM IST

शिमला: प्रदेश के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान आईजीएमसी अस्पताल के डॉक्टर्स ने एक और ताज अपने सर सजाया है. अस्पताल के न्यूरो सर्जरी डिपार्टमेंट के डॉक्टर्स ने एक जटिल ऑपरेशन किया है. ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित मरीज का जागृत अवस्था में ऑपेरशन किया गया है. अस्पताल के इतिहास में इस किस्म का ये पहला केस है. इस से पहले ऐसे जटिल ऑपरेशन के लिए मरीजों को प्रदेश से बाहर जाना पड़ता था.

हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आइजीएमसी में न्यूरो सर्जरी विभाग ने जागते हुए मरीज के दिगाम का आपरेशन किया. डॉक्टरों का दावा है कि ये अपनी तरह का पहला आपरेशन हिमाचल में हुआ है. अस्पताल के एमएस व न्यूरो सर्जन डॉ. जनक ने बताया कि मरीज के बाए हिस्से में ट्यूमर था. बीमारी की जगह और ऑपरेशन की जटिलता के चलते मरीज के दाए पैर व बाजू के साथ बोलने की क्षमता खोने का डर था. इस तकनीक से ये ऑपरेशन करने की यही वजह रही.

वीडियो.

डॉ. जनक ने कहा कि कोरोना काल में जहां पूरी दुनिया कोरोना से निपट रही थी, वहीं आइजीएमसी प्रशासन की टीम ने अस्पताल में दी जाने वाली सुविधाओं का भी विस्तार किया है. अस्पताल में इस दौरान इमरजेंसी लेबोरेटरी के साथ सुपर स्पेशलिटी कोर्स शुरू किए हैं. ये आपरेशन पूरी तरह से सफल रहा है. इसके लिए पूरी टीम बधाई की पात्र है.



पूरे ऑपरेशन के दौरान मरीज बात भी कर रहा था. अस्पताल की ओर से जारी वीडियो में साफ है कि मरीज को हाथ उठाने के लिए कहा गया तो वो हाथ उठा रहा था. वहीं, जीभ बाहर निकालने के लिए कहा तो जीभ भी निकाली. डॉक्टर्स की टीम मरीज के ब्रेन का ऑपरेशन कर रही थी, वहीं एक डाक्टर मरीज की मांग पर उसे पानी दे रहा था. अपने आप में राज्य में दिमाग का ये पहला आपरेशन था. डॉक्टर्स का दावा है कि इस तकनीक के शुरू होने के बाद न्यूरो सर्जरी के दौरान या बाद में एक साइड के सुन्न होने और जुबान बंद होने का खतरा कम हो जाएगा.

ठियोग के रहने वाले 36 साल के मरीज को पहली बार जुलाई में आइजीएमसी लाया गया था. पहले इनका इलाज चला, लेकिन दिमाग में ज्यादा दिक्कत होने के कारण सर्जरी करने का फैसला लिया. सर्जरी के दौरान ही कहीं एक तरफ की अपंगता न आए जाए. इसलिए डाक्टरों ने मरीज का आपरेशन इस तरह से करने का फैसला लिया. वहीं, मरीज का कहना है कि जून-जुलाई से परेशानी आनी शुरू हुई थी. पहले इसे हलके में लिया. चौथी बार जब जुलाई में फिर से हुआ तो पत्नी के कहने पर अस्पताल आ गया. डॉक्टर्स की हर बात मानी, आज पूरी तरह से स्वस्थ हूं.

ये भी पढ़ें: राजस्थान के एक MLA के बेटे की दादागिरी, टोल देने से किया मना, कर्मचारी के साथ की हाथापाई

शिमला: प्रदेश के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान आईजीएमसी अस्पताल के डॉक्टर्स ने एक और ताज अपने सर सजाया है. अस्पताल के न्यूरो सर्जरी डिपार्टमेंट के डॉक्टर्स ने एक जटिल ऑपरेशन किया है. ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित मरीज का जागृत अवस्था में ऑपेरशन किया गया है. अस्पताल के इतिहास में इस किस्म का ये पहला केस है. इस से पहले ऐसे जटिल ऑपरेशन के लिए मरीजों को प्रदेश से बाहर जाना पड़ता था.

हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आइजीएमसी में न्यूरो सर्जरी विभाग ने जागते हुए मरीज के दिगाम का आपरेशन किया. डॉक्टरों का दावा है कि ये अपनी तरह का पहला आपरेशन हिमाचल में हुआ है. अस्पताल के एमएस व न्यूरो सर्जन डॉ. जनक ने बताया कि मरीज के बाए हिस्से में ट्यूमर था. बीमारी की जगह और ऑपरेशन की जटिलता के चलते मरीज के दाए पैर व बाजू के साथ बोलने की क्षमता खोने का डर था. इस तकनीक से ये ऑपरेशन करने की यही वजह रही.

वीडियो.

डॉ. जनक ने कहा कि कोरोना काल में जहां पूरी दुनिया कोरोना से निपट रही थी, वहीं आइजीएमसी प्रशासन की टीम ने अस्पताल में दी जाने वाली सुविधाओं का भी विस्तार किया है. अस्पताल में इस दौरान इमरजेंसी लेबोरेटरी के साथ सुपर स्पेशलिटी कोर्स शुरू किए हैं. ये आपरेशन पूरी तरह से सफल रहा है. इसके लिए पूरी टीम बधाई की पात्र है.



पूरे ऑपरेशन के दौरान मरीज बात भी कर रहा था. अस्पताल की ओर से जारी वीडियो में साफ है कि मरीज को हाथ उठाने के लिए कहा गया तो वो हाथ उठा रहा था. वहीं, जीभ बाहर निकालने के लिए कहा तो जीभ भी निकाली. डॉक्टर्स की टीम मरीज के ब्रेन का ऑपरेशन कर रही थी, वहीं एक डाक्टर मरीज की मांग पर उसे पानी दे रहा था. अपने आप में राज्य में दिमाग का ये पहला आपरेशन था. डॉक्टर्स का दावा है कि इस तकनीक के शुरू होने के बाद न्यूरो सर्जरी के दौरान या बाद में एक साइड के सुन्न होने और जुबान बंद होने का खतरा कम हो जाएगा.

ठियोग के रहने वाले 36 साल के मरीज को पहली बार जुलाई में आइजीएमसी लाया गया था. पहले इनका इलाज चला, लेकिन दिमाग में ज्यादा दिक्कत होने के कारण सर्जरी करने का फैसला लिया. सर्जरी के दौरान ही कहीं एक तरफ की अपंगता न आए जाए. इसलिए डाक्टरों ने मरीज का आपरेशन इस तरह से करने का फैसला लिया. वहीं, मरीज का कहना है कि जून-जुलाई से परेशानी आनी शुरू हुई थी. पहले इसे हलके में लिया. चौथी बार जब जुलाई में फिर से हुआ तो पत्नी के कहने पर अस्पताल आ गया. डॉक्टर्स की हर बात मानी, आज पूरी तरह से स्वस्थ हूं.

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