शिमला: प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में भले ही आग से जलने वाले मरीजों के इलाज के लिए बर्न वार्ड ना हो, मगर इस बार प्रशासन ने दिवाली के दौरान पटाखों या अन्य कारण से जलने वाले मरीजों के लिए खास इंतजाम कर लिए हैं.
इस बार यहां पर अगर आईजीएमसी में जलने का मामला आता है, तो उसे प्राथमिकता के तौर पर देखा जाएगा. यही नहीं आईजीएमसी में पांच वार्डों में इस बार तैयारियां की गई हैं, जहां पर बर्न केसिस को देखा जाएगा. इसके लिए नर्सिंग सुपरिटेंडेंट को भी आदेश दे दिए गए हैं कि वह सभी नर्सों को इस बारे में सूचित कर दें कि कोई भी बर्न केस आने पर वह संबंधित विभागाध्यक्ष से संपर्क करेंगी और मरीज को जल्द से जल्द इलाज देने के लिए भी कार्रवाई करेंगी.
इससे पहले केवल सर्जरी वार्ड में ही बर्न केसिस को डील किया जाता था. इन वार्डों में देखे जाएंगे बर्न के मामले दीवाली के दिन पांच वार्डों में बर्न के मामले देखे जाएंगे. इसमें कैजुअल्टी के अलावा इमरजेंसी, एचडीयू, इंटेंसिव केयर यूनिट और सर्जरी वार्ड को विशेष और पर तैयार किया गया है. इन सभी में बर्न केसिस के लिए दो-दो बेड खाली रखे गए हैं. जरूरत पड़ेगी तो बेड की संख्या भी बढ़ाई जाएगी.
इमरजेंसी में आने के बाद डॉक्टर यह तय करेंगे कि मरीज को कहां पर भेजना है, ताकि उसे जल्द से जल्द इलाज मिल सके. पहली बार प्रशासन ने इस तरह की व्यवस्था की है, ताकि मरीजों को कोई परेशानी ना हो.
हर साल दिवाली पर बर्न केसिस से जुड़े कई मरीज आईजीएमसी में पहुंचते हैं. इसमें ज्यादात्तर बच्चे होते हैं, जो पटाखों के जलने के बाद आईजीएमसी पहुंचते हैं. हालांकि इसमें ज्यादा मरीज को केवल प्राथमिक इलाज की जरूरत रहती है.
मगर कई बार ऐसे मरीज आते हैं, जिन्हें तुरंत इलाज की जरूरत रही है. ऐसे में यहां पर इंतजाम नाकाफी होने के कारण उन मरीजों को पीजीआई रेफर करना पड़ता था. इस बार प्रशासन ने यहां पर पूरी तरह से इंतजार कर लिए हैं, ताकि मरीजों को रेफर करने की जरूरत ना रहे. बर्न वार्ड आज तक नहीं आईजीएमसी अस्पताल में आज तक स्पेशल बर्न वार्ड भी नहीं बन पाया है. इस कारण जब कोई बर्न का मरीज आईजीएमसी पहुंचता है तो उसे सर्जिकल वार्ड में भर्ती करना पड़ता है या फिर उसे रेफर कर दिया जाता है.
दिवाली के समय में बर्न के मामले सबसे अधिक आते हैं. पटाखों के जलने के कारण कई रोगी आईजीएमसी में पहुंचते हैं, मगर यहां पर उचित व्यवस्था होने के कारण रोगियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. नार्मल बर्न पेशेंट को यहां पर इलाज मिल जाता है, मगर सीरियस केस आने पर रेफर किया जाता है. आईजीएमसी में बर्न मरीजों से निटपने के लिए इस बार पांच वार्डों में बेड लगा दिए गए हैं.
इसमें कैजुअल्टी के अलावा इमरजेंसी, एचडीयू, इंटेंसिव केयर यूनिट और सर्जरी वार्ड को विशेष तौर पर तैयार किया गया है. यहां पर मरीज कितना जला है उस हिसाब से रखा जाएगा. कोशिश की जाएगी कि इस बार बर्न के मरीजों को पूरा इलाज आईजीएमसी में मिल सके, उन्हें रेफर करने की जरूरत ना रहे. लोगों से अपील है कि वह दिवाली सुरक्षित ढंग से मनाएं. पटाखे फोड़ते समय बच्चों के साथ रहें.
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