शिमला: देशभर में 12 नवंबर को दीपों का त्योहार दिवाली मनाई जाएगी. दिवाली की रौनक बाजारों में साफ नजर आ रही है. तरह-तरह के दीये, लाइट्स और सजावट का सामान बाजार में उपलब्ध है. बीते कुछ सालों में गोबर के दीयों का चलन भी बढ़ा है. बढ़ते शहरीकरण के बीच इन्हें पसंद भी किया जा रहा है लेकिन हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में गोबर से कई ऐसे उत्पाद बनाए गए हैं जो इस बार की दिवाली को खास बना देंगे.
गोबर की दीवार घड़ी और ज्वैलरी बॉक्स:आपने आज तक गोबर के दीये तो बहुत देखे होंगे लेकिन शिमला के टुटू में स्थित श्री कामना पूर्ण गौशाला समिति ने गाय के गोबर से ऐसी शानदार चीजें बनाई गई हैं. जो किसी को भी आकर्षित कर सकती हैं. इन उत्पादों में गोबर की घड़ी से लेकर ज्वैलरी बॉक्स और पेन स्टैंड तक शामिल हैं. वैसे तो बाजार में प्लास्टिक से बने ऐसे उत्पादों की भरमार है लेकिन गोबर के बने ये उत्पाद बहुत खास हैं.
गोबर का शिवलिंग और शतरंज की मोहरें: समिति की ओर से गोबर के कई खास उत्पाद बनाए गए हैं. इनमें गोबर के शिवलिंग से लेकर शतरंज की मोहरें और गमलों से लेकर कई तरह के बॉक्स और दिवाली के लिए सजावट का सामान बनाया गया है. ये गौशाला हर साल गोबर से बने उत्पाद बनाती है लेकिन इस बार कई नए उत्पाद भी बनाए गए हैं. इस बार समिति का लक्ष्य 2 लाख रुपये के उत्पाद बेचने का है.
'गोबर से बने दीये बाती जलने के बाद पूरी तरह से जल जाते हैं, जिससे पर्यावरण को कोई हानि नहीं पहुंचती है. उनकी गौशाला में सभी पहाड़ी गाय हैं, जिनके गोबार से ये सभी उत्पाद बनाए गए हैं'. - रंजन शर्मा, प्रधान, श्री कामना पूर्ण गौशाला समिति
गोबर से बने प्रोडक्ट्स की कीमत: समिति की ओर से ये दीये शिमला में ही गौशाला के पास बेचे जाएंगे. गौशाला समिति पिछले 5 सालों से लगातार गोबर के दीये बना रही है, लेकिन इस बार समिति ने कई नए प्रोडक्ट भी बनाए हैं, जो अपने आप में अद्भुत कला को दर्शाते हैं. इसके अलावा समिति ने धूप, अगरबत्ती सहित अन्य पूजा का सामान भी गौशाला में तैयार किया है. गोबर से बने इन उत्पादों की कीमत भी बाजार में बिकने वाले उत्पादों से काफी कम है. गोबर का दीपक 5 रुपए जबकि ज्वैलरी बॉक्स की कीमत 350 रुपए है. इसके अलावा दीवार घड़ी 900 रुपए और पैन स्टैंड 350 रुपए का है. शतरंज की मोहरों की कीमत समिति ने 40 रुपए प्रति पैकेट रखी है.
'ये गौशला पिछले 14 साल से चल रही है, जहां गौवंश की अच्छी तरह से देखभाल की जाती है. मेरी अपील है कि गायों को लावारिस ना छोड़ें. गौशालाओं में गायों के लिए नए शेड भी तैयार किये जा रहे हैं इसलिये मदद के लिए गौशालाओं में दान करें.'- रंजन शर्मा, प्रधान, श्री कामना पूर्ण गौशाला समिति
ईको फ्रेंडली प्रोडेक्ट: समिति की ओर से बनाए गए ईको फ्रेंडली प्रोडक्ट्स गौशाला में रहने वाली गायों के गोबर से बनाए गए हैं. गोबर के दीपक समेत अन्य प्रोडक्ट तैयार कर रहे रंजन शर्मा ने बताया कि ये सभी उत्पाद बहुत खास हैं, क्योंकि इन सभी उत्पादों से पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है.
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