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Shimla International Film Festival: कार एक्सीडेंट के बाद सिविल सर्विस की तैयारी, दिव्यांग श्रुति की साहस भरी कहानी बनी प्रेरणा

अगर कुछ करने की चाह हो तो हर मुश्किल आसान हो जाती है. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है श्रुति ने. शिमला इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में श्रुति के संघर्ष की कहानी को डॉक्यूमेंट्री के जरिए दिखाया गया कि कैसे एक दिव्यांग लड़की ने सफलता की सीढ़ी चढ़ी और सबके लिए प्रेरणा बनी. (Shimla International Film Festival)

Shimla International Film Festival
शिमला अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 25, 2023, 7:00 AM IST

शिमला: राजधानी शिमला के गेयटी थिएटर में तीन दिवसीय फिल्म फेस्टिवल का आयोजन किया गया. इस दौरान भारत समेत अन्य देशों की 10 फिल्मों को दिखाया गया. वहीं, डॉक्यूमेंट्री के तौर पर मनोज बाड़कया द्वारा निर्देशित मोटिवेशनल स्टोरी स्क्रीन पर लगते ही दर्शक शुरुआत से ही कहानी से जुड़ गए. मनोज बाड़कया ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल शिमला में एक महिला की कहानी को दिखाया गया है कि किस प्रकार से उसने अपनी जिंदगी का संघर्ष किया है.

एक्सीडेंट ने तोड़ा सपना: मनोज बाड़कया ने बताया कि 36 मिनिट की यह कहानी आईएएस बनने की चाह रखने वाली श्रुति की है. जिसने 20 साल की उम्र में यूपीएससी परीक्षा पास की थी. इसके अलावा भी श्रुति ने एक एग्जाम और क्लियर किया. जिसके लिए वह इंटरव्यू की तैयारी कर रही थी, लेकिन इंटरव्यू से कुछ दिन पहले ही कार एक्सीडेंट में उसकी रीढ़ की हड्डी टूट गई. खुद को कुछ दिन बाद एक पद पर देखने वाली लड़की अब व्हीलचेयर पर आ गई थी.

आपदा को अवसर में बदला: श्रुति ने अपने जीवन की सबसे बड़ी बाधा को अवसर में बदलने का साहस जुटाया. श्रुति ने व्हील चेयर पर बैठकर ही छात्रों के लिए मोटिवेशनल स्पीच देनी शुरू की और उनकी दी स्पीच से आज कई स्टूडेंट्स प्रतिष्ठित पदों पर बैठे हैं. डायरेक्टर मनोज का कहना है कि उन्होंने इस डॉक्यूमेंट्री को डेढ़ महीने में तैयार किया. जिसे लोग काफी पसंद कर रहे हैं.

इस श्रेणी की फिल्मों का चयन: इस फिल्म फेस्टिवल में 20 देशों और 21 राज्यों की फिल्मों के विविध चयन शामिल किए गए थे. जिनमें लघु, वृत्तचित्र और फीचर फिल्में शामिल हैं. जो दर्शकों को सिनेमा के अनुभवों की एक मनोरम श्रृंखला पेश करती हैं. इस साल प्रतियोगिता के लिए आधिकारिक तौर पर 38 अंतरराष्ट्रीय श्रेणी, 62 राष्ट्रीय और 5 फिल्मों को राज्य श्रेणी में चुना गया है.

इन देशों ने लिया भाग: अंतर्राष्ट्रीय श्रेणी में संयुक्त राज्य अमेरिका, बेल्जियम, ईरान, कनाडा, चीन, चेक गणराज्य, तुर्की, नेपाल, मिस्र, बांग्लादेश, इटली, पोलैंड, अर्जेंटीना, स्वीडन, अफगानिस्तान, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस और दुबई के फिल्मकारों ने भाग लिया. जबकि भारत से 21 राज्यों ने हिस्सा लिया- केरल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, मणिपुर, असम, दिल्ली, पंजाब, पश्चिम बंगाल, कश्मीर, उत्तराखंड, उड़ीसा, झारखंड, छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश. शिमला में स्थित एक प्रतिष्ठित विरासत स्थल गेयटी थिएटर इस सिनेमा के असाधारण प्रदर्शन के लिए एक आदर्श पृष्ठभूमि है.

ये भी पढे़ं: Shimla International Film Festival: शिमला का अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में राज्यपाल ने सम्मानित किए बेहतरीन फिल्मकार

शिमला: राजधानी शिमला के गेयटी थिएटर में तीन दिवसीय फिल्म फेस्टिवल का आयोजन किया गया. इस दौरान भारत समेत अन्य देशों की 10 फिल्मों को दिखाया गया. वहीं, डॉक्यूमेंट्री के तौर पर मनोज बाड़कया द्वारा निर्देशित मोटिवेशनल स्टोरी स्क्रीन पर लगते ही दर्शक शुरुआत से ही कहानी से जुड़ गए. मनोज बाड़कया ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल शिमला में एक महिला की कहानी को दिखाया गया है कि किस प्रकार से उसने अपनी जिंदगी का संघर्ष किया है.

एक्सीडेंट ने तोड़ा सपना: मनोज बाड़कया ने बताया कि 36 मिनिट की यह कहानी आईएएस बनने की चाह रखने वाली श्रुति की है. जिसने 20 साल की उम्र में यूपीएससी परीक्षा पास की थी. इसके अलावा भी श्रुति ने एक एग्जाम और क्लियर किया. जिसके लिए वह इंटरव्यू की तैयारी कर रही थी, लेकिन इंटरव्यू से कुछ दिन पहले ही कार एक्सीडेंट में उसकी रीढ़ की हड्डी टूट गई. खुद को कुछ दिन बाद एक पद पर देखने वाली लड़की अब व्हीलचेयर पर आ गई थी.

आपदा को अवसर में बदला: श्रुति ने अपने जीवन की सबसे बड़ी बाधा को अवसर में बदलने का साहस जुटाया. श्रुति ने व्हील चेयर पर बैठकर ही छात्रों के लिए मोटिवेशनल स्पीच देनी शुरू की और उनकी दी स्पीच से आज कई स्टूडेंट्स प्रतिष्ठित पदों पर बैठे हैं. डायरेक्टर मनोज का कहना है कि उन्होंने इस डॉक्यूमेंट्री को डेढ़ महीने में तैयार किया. जिसे लोग काफी पसंद कर रहे हैं.

इस श्रेणी की फिल्मों का चयन: इस फिल्म फेस्टिवल में 20 देशों और 21 राज्यों की फिल्मों के विविध चयन शामिल किए गए थे. जिनमें लघु, वृत्तचित्र और फीचर फिल्में शामिल हैं. जो दर्शकों को सिनेमा के अनुभवों की एक मनोरम श्रृंखला पेश करती हैं. इस साल प्रतियोगिता के लिए आधिकारिक तौर पर 38 अंतरराष्ट्रीय श्रेणी, 62 राष्ट्रीय और 5 फिल्मों को राज्य श्रेणी में चुना गया है.

इन देशों ने लिया भाग: अंतर्राष्ट्रीय श्रेणी में संयुक्त राज्य अमेरिका, बेल्जियम, ईरान, कनाडा, चीन, चेक गणराज्य, तुर्की, नेपाल, मिस्र, बांग्लादेश, इटली, पोलैंड, अर्जेंटीना, स्वीडन, अफगानिस्तान, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस और दुबई के फिल्मकारों ने भाग लिया. जबकि भारत से 21 राज्यों ने हिस्सा लिया- केरल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, मणिपुर, असम, दिल्ली, पंजाब, पश्चिम बंगाल, कश्मीर, उत्तराखंड, उड़ीसा, झारखंड, छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश. शिमला में स्थित एक प्रतिष्ठित विरासत स्थल गेयटी थिएटर इस सिनेमा के असाधारण प्रदर्शन के लिए एक आदर्श पृष्ठभूमि है.

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