शिमला: प्रदेश में कोरोना से बढ़ती मौतों के बाद स्वस्थ्य विभाग ने डेथ ऑडिट करवाया है. इस ऑडिट में सामने आया कि झोलाछाप यानी फर्जी डॉक्टरों का उपचार मरीज को मौत की ओर ले जा रहा है. साथ ही लक्षण होने के बावजूद कोरोना टेस्ट न करवाने और देर से उपचार के लिए अस्पताल आने से भी मौतें ज्यादा हो रही हैं.
प्रदेश की क्लीनिकल टीम नियमित रूप से कोरोना संक्रमितों की मौतों का विश्लेषण कर रही है. कोरोना की दूसरी लहर में 40 से 50 वर्ष की आयु के ज्यादातार मरीजों की कोरोना से मौत हो रही है. ज्यादातर मामलों में लोगों में बुखार, खांसी व सर्दी जैसे लक्षण दिखाई दे रहे हैं, लेकिन वे इन पर ध्यान नहीं रहे हैं. घरेलू दवा लेने की कोशिश करते हैं और स्वास्थ्य संस्थानों में देर से रिपोर्ट कर रहे हैं. कुछ लोग जो दुर्भाग्य से इस बीमारी के कारण दम तोड़ चुके हैं, उनका इलाज के लिए झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज करवाने की भी हिस्ट्री रही है.
लक्षण दिखने पर जांच करवाने की अपील
अस्पताल पहुंचने से पहले मरीज के कई अंगों को नुकसान पहुंच चुका होता है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन हिमाचल प्रदेश के निदेशक निपुण जिंदल ने बताया कि प्रदेश की क्लीनिकल टीम ने सिफारिश की है कि यदि किसी में बुखार, खांसी, नाक बहना, सांस लेने में तकलीफ, स्वाद या गंध की कमी आदि जैसे कोई लक्षण हैं तो वे समय पर जांच करवाएं.
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