शिमला: प्रदेश में हर घर जल योजना पर युद्ध स्तर पर कार्य जारी है. हर घर जल योजना के तहत शिमला जिला में 86,096 घरों को समुचित मात्रा में पेयजल मुहैया करवाया जा रहा है. वीरवार को उपायुक्त शिमला आदित्य नेगी ने जल शक्ति विभाग एवं अन्य विभागों के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की समीक्षा बैठक की. इस दौरान अधिकारियों से हर घर जल योजना के तहत कितने घरो को पेयजल मुहैया करवाया गया है उसकी रिपोर्ट ली है और जून, 2022 तक निर्धारित लक्ष्य 1,68,465 घरों को इस सुविधा के माध्यम से ग्रामीण स्तर पर पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए.
आदित्य नेगी ने कहा कि जल शक्ति विभाग जिला में जल जीवन मिशन के सफल कार्यान्वयन के लिए ग्राम पंचायतों, खण्ड विकास अधिकारियों, वन विभाग एवं जिला ग्रामीण विकास अभिकरण के साथ बेहतर समन्वय स्थापित करें ताकि सम्पूर्ण ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ पेयजल की सुविधा उपलब्ध हो सके ओर सरकार का जल जीवन मिशन का उद्देश्य पूर्ण हो सके.
आंगनबाड़ी केन्द्रों के लिए स्वच्छ जल की सुविधा
उपायुक्त ने कहा कि आंगनबाड़ी केन्द्रों के लिए स्वच्छ जल की सुविधा प्रदान की जा रही है और जिला के सभी प्राथमिक, माध्यमिक एवं आंगनबाड़ी केन्द्रों में विभाग द्वारा निःशुल्क स्वच्छ पेयजल की सुविधा दी जा रही है, जिससे वर्तमान प्रदेश सरकार की जन हितैषी नीतियों को सम्बल मिले. उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में श्रम शक्ति की उपलब्धता के मध्य नजर ही कार्य को पूर्ण करने का लक्ष्य निर्धारित किया जाए, जिससे मनरेगा योजना के द्वारा जल शक्ति विभाग के कार्यों का उपेक्षित वर्ग को लाभ मिल सके.
6190 फील्ड टेस्टिंग किट कराए गए उपलब्ध
डीसी शिमला ने बताया कि जल जनित रोगों की रोकथाम एवं स्वस्थ समाज के निर्माण के लिए पेयजल स्त्रोतों का समय-समय पर निरीक्षण किया जाए और विभाग द्वारा पंप ऑपरेटर, फीटरों को टेस्टिंग किट उपलब्ध करवाई गई है, जिसके उचित कार्यान्वयन के लिए विभाग के अधिकारियों को औचक निरीक्षण करने के निर्देश दिए. उन्होंने बताया कि जल गुणवता मानक प्रक्रिया के तहत अभी तक जिला में 9737 पानी के स्त्रोतों एवं अन्य जांच कार्य किए गए हैं. इसके अतिरिक्त विभिन्न क्षेत्रों में पंचायतों को पानी की जांच सुगमता के लिए 6190 फील्ड टेस्टिंग किट उपलब्ध करवाई गई.
उपायुक्त ने खण्ड विकास अधिकारियों एवं पंचायत जन प्रतिनिधियों से आह्वान किया कि वे सीवरेज की पानी से पेयजल स्त्रोतों को दूषित होने से बचाने के लिए स्थानीय लोगों को जागरूक करें और ग्राम स्तर पर कमेटियों का गठन करें, जिससे एक स्वस्थ समाज का निर्माण सम्भव हो सके.
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