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हिमाचल में 30 दिनों के भीतर क्षतिग्रस्त पेड़ों का करना होगा निपटान, एसओपी जारी - Himachal forest department

हिमाचल प्रदेश सरकार ने क्षतिग्रस्त पेड़ों को लेकर SOP जारी कर दी है. इसके तहत क्षतिग्रस्त पेड़ों को 30 दिनों के अंदर निपटाना होगा. रकार ने जल्द से जल्द काम पूरा करने पर विशेष ध्यान देने के लिए भी सख्त निर्देश जारी किए हैं. पढ़ें पूरी खबर...

Himachal Pradesh News
हिमाचल में 30 दिनों के भीतर क्षतिग्रस्त पेड़ों का करना होगा निपटान
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Aug 27, 2023, 8:47 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश के वनों में क्षतिग्रस्त पेड़ों को लेकर सरकार ने एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया) जारी कर दी है. इसके तहत 30 दिनों के भीतर इन पेड़ों को निपटाना होगा. इससे स्थानीय स्तर पर इमारती लकड़ी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो सकेगी. प्रदेश के वन क्षेत्र में प्राकृतिक कारणों से क्षतिग्रस्त पेड़ों के बचाव एवं इनके समुचित प्रबंधन के लिए प्रदेश सरकार ने एसओपी तैयार की है. इसमें ऐसे पेड़ों के कटान से लेकर इन्हें बिक्री के लिए उपलब्ध करवाने तक की प्रक्रिया को समयबद्ध किया गया गया है. निर्धारित समय अवधि में इस प्रक्रिया की कड़ाई से अनुपालना सुनिश्चित करने के लिए वन विभाग के अधिकारियों की जवाबदेही भी तय की गई है.

इसके तहत किसी वन परिक्षेत्र में 25 से कम क्षतिग्रस्त पेड़ों के निपटाने के लिए एक निश्चित समय सारिणी तैयार की गई है, जिसमें पेड़ों की मार्किंग से लेकर इनके अंतिम निपटान तक 30 दिनों की अवधि तय की गई है. हर माह के पहले सात दिनों में फारेस्ट गार्ड और वन निगम के कर्मचारी आपसी सहयोग से इससे संबंधित ब्यौरा तैयार करेंगे.

आगामी तीन दिनों में डिप्टी रेंजर (उप वन परिक्षेत्राधिकारी ) ऐसे पेड़ों की मार्किंग करेंगे और इससे संबंधित सूची रेंजर (वन परिक्षेत्राधिकारी) को अगले तीन दिनों में सौंपेंगे. रेंजर सात दिनों के भीतर पेड़ों के कटान, इन्हें लट्ठों में बदलने और निर्दिष्ट डिपो तक उत्पाद के परिवहन से संबंधित सभी प्रक्रियाओं को पूर्ण करेंगे. यह सब प्रक्रिया पूर्व निर्धारित दरों के तहत संबंधित वन मंडलाधिकारी के समन्वय से तय समय अवधि में पूरी की जाएगी. प्रभावी निपटान के लिए रेंजर संबंधित मंडलाधिकारी को सूचित करेंगे और वह माह की 22 एवं 23 तारीख को वन निगम में संबधित अधिकारी से संपर्क कर निष्कर्षण लागत और परिवहन व्यय निर्धारित करने के बारे में अवगत करवाएंगे. इसके साथ ही वन मंडलाधिकारी निष्कर्षण, परिवहन लागत और रॉयल्टी के आधार पर बिल तैयार कर इसे वन निगम के मंडलीय प्रबंधक को भेजेंगे. बिल की अदायगी पर माह की 24 से 26 तारीख के मध्य तैयार लकड़ी वन निगम को भेज दी जाएगी. यदि वन निगम इसे लेने से मना करता है तो रेंजर माह की 27 एवं 28 तारीख को विभागीय स्तर पर नीलामी की प्रक्रिया आरंभ करेगा और इसके लिए हिमाचल प्रदेश वन विभाग के प्रबन्धन विंग द्वारा आरक्षित मूल्य निर्धारित किया जाएगा.

नई एसओपी के तहत ऐसे क्षतिग्रस्त पेड़ों का चरणबद्ध तरीके से प्रबंधन सुनिश्चित किया जाएगा. आरंभ में प्रदेश के चार वन सर्कल हमीरपुर, धर्मशाला, सोलन एवं शिमला के पांच वन मंडलों के अन्तर्गत सात वन परिक्षेत्रों में एसओपी पहली सितंबर से से पायलट आधार पर शुरू की जाएगी. इससे अगले चरण में प्रथम जुलाई 2024 से इसे पूरी तरह प्रदेश के छह वन सर्कलों के के 70 वन परिक्षेत्रों में लागू कर दिया जाएगा.

इस प्रक्रिया में पेड़ों की मार्किंग, निष्कर्षण और निपटान से संबंधित डाटा एकत्र करने के लिए एक समर्पित वेब पोर्टल भी विकसित किया जाएगा. क्षतिग्रस्त पेड़ों की जियो टैगिंग के माध्यम से लिए गए फोटो कापी को इस पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा, वहीं परिक्षेत्र डिपो अथवा सड़क किनारे के डिपो में एकत्र की गई इमारती लकड़ियों के लॉट के बारे में भी इसमें जानकारी एकत्र की जाएगी. सूचना प्रौद्योगिकी आधारित इस सेवा से क्षतिग्रस्त पेड़ों के प्रबंधन से जुड़े लागत-लाभ के आकलन की भी सुविधा मिल सकेगी.

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि वनों में प्राकृतिक कारणों से क्षतिग्रस्त पेड़ों के निपटान और बिक्री में देरी से प्रदेश को भारी वित्तीय हानि होती है. उन्होंने कहा कि नई एसोपी से स्थानीय स्तर पर इमारती लकड़ी की उपलब्धता सुनिश्चित होगी और परिवहन व्यय में कमी, राजस्व में वृद्धि और स्थानीय स्तर पर कार्यरत कर्मियों की क्षमता में भी वृद्धि सुनिश्चित होगी.

ये भी पढे़ं- 31 अक्टूबर तक सरकारी कार्यक्रमों में औपचारिक सम्मान की रस्म पर रोक, आपदा के चलते सरकार ने लिया फैसला

शिमला: हिमाचल प्रदेश के वनों में क्षतिग्रस्त पेड़ों को लेकर सरकार ने एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया) जारी कर दी है. इसके तहत 30 दिनों के भीतर इन पेड़ों को निपटाना होगा. इससे स्थानीय स्तर पर इमारती लकड़ी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो सकेगी. प्रदेश के वन क्षेत्र में प्राकृतिक कारणों से क्षतिग्रस्त पेड़ों के बचाव एवं इनके समुचित प्रबंधन के लिए प्रदेश सरकार ने एसओपी तैयार की है. इसमें ऐसे पेड़ों के कटान से लेकर इन्हें बिक्री के लिए उपलब्ध करवाने तक की प्रक्रिया को समयबद्ध किया गया गया है. निर्धारित समय अवधि में इस प्रक्रिया की कड़ाई से अनुपालना सुनिश्चित करने के लिए वन विभाग के अधिकारियों की जवाबदेही भी तय की गई है.

इसके तहत किसी वन परिक्षेत्र में 25 से कम क्षतिग्रस्त पेड़ों के निपटाने के लिए एक निश्चित समय सारिणी तैयार की गई है, जिसमें पेड़ों की मार्किंग से लेकर इनके अंतिम निपटान तक 30 दिनों की अवधि तय की गई है. हर माह के पहले सात दिनों में फारेस्ट गार्ड और वन निगम के कर्मचारी आपसी सहयोग से इससे संबंधित ब्यौरा तैयार करेंगे.

आगामी तीन दिनों में डिप्टी रेंजर (उप वन परिक्षेत्राधिकारी ) ऐसे पेड़ों की मार्किंग करेंगे और इससे संबंधित सूची रेंजर (वन परिक्षेत्राधिकारी) को अगले तीन दिनों में सौंपेंगे. रेंजर सात दिनों के भीतर पेड़ों के कटान, इन्हें लट्ठों में बदलने और निर्दिष्ट डिपो तक उत्पाद के परिवहन से संबंधित सभी प्रक्रियाओं को पूर्ण करेंगे. यह सब प्रक्रिया पूर्व निर्धारित दरों के तहत संबंधित वन मंडलाधिकारी के समन्वय से तय समय अवधि में पूरी की जाएगी. प्रभावी निपटान के लिए रेंजर संबंधित मंडलाधिकारी को सूचित करेंगे और वह माह की 22 एवं 23 तारीख को वन निगम में संबधित अधिकारी से संपर्क कर निष्कर्षण लागत और परिवहन व्यय निर्धारित करने के बारे में अवगत करवाएंगे. इसके साथ ही वन मंडलाधिकारी निष्कर्षण, परिवहन लागत और रॉयल्टी के आधार पर बिल तैयार कर इसे वन निगम के मंडलीय प्रबंधक को भेजेंगे. बिल की अदायगी पर माह की 24 से 26 तारीख के मध्य तैयार लकड़ी वन निगम को भेज दी जाएगी. यदि वन निगम इसे लेने से मना करता है तो रेंजर माह की 27 एवं 28 तारीख को विभागीय स्तर पर नीलामी की प्रक्रिया आरंभ करेगा और इसके लिए हिमाचल प्रदेश वन विभाग के प्रबन्धन विंग द्वारा आरक्षित मूल्य निर्धारित किया जाएगा.

नई एसओपी के तहत ऐसे क्षतिग्रस्त पेड़ों का चरणबद्ध तरीके से प्रबंधन सुनिश्चित किया जाएगा. आरंभ में प्रदेश के चार वन सर्कल हमीरपुर, धर्मशाला, सोलन एवं शिमला के पांच वन मंडलों के अन्तर्गत सात वन परिक्षेत्रों में एसओपी पहली सितंबर से से पायलट आधार पर शुरू की जाएगी. इससे अगले चरण में प्रथम जुलाई 2024 से इसे पूरी तरह प्रदेश के छह वन सर्कलों के के 70 वन परिक्षेत्रों में लागू कर दिया जाएगा.

इस प्रक्रिया में पेड़ों की मार्किंग, निष्कर्षण और निपटान से संबंधित डाटा एकत्र करने के लिए एक समर्पित वेब पोर्टल भी विकसित किया जाएगा. क्षतिग्रस्त पेड़ों की जियो टैगिंग के माध्यम से लिए गए फोटो कापी को इस पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा, वहीं परिक्षेत्र डिपो अथवा सड़क किनारे के डिपो में एकत्र की गई इमारती लकड़ियों के लॉट के बारे में भी इसमें जानकारी एकत्र की जाएगी. सूचना प्रौद्योगिकी आधारित इस सेवा से क्षतिग्रस्त पेड़ों के प्रबंधन से जुड़े लागत-लाभ के आकलन की भी सुविधा मिल सकेगी.

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि वनों में प्राकृतिक कारणों से क्षतिग्रस्त पेड़ों के निपटान और बिक्री में देरी से प्रदेश को भारी वित्तीय हानि होती है. उन्होंने कहा कि नई एसोपी से स्थानीय स्तर पर इमारती लकड़ी की उपलब्धता सुनिश्चित होगी और परिवहन व्यय में कमी, राजस्व में वृद्धि और स्थानीय स्तर पर कार्यरत कर्मियों की क्षमता में भी वृद्धि सुनिश्चित होगी.

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