ETV Bharat / state

कैंसर को मात देगा कुफरी नीलकंठ आलू, 10 साल के शोध का परिणाम किसानों को करेगा मालामाल

सीपीआरआई ने कैंसर से लड़ने वाले आलू की नई किस्म तैयार की है. आलू की ये नई किस्म 8 से 10 साल के शोध के बाद निकाली गई है.

author img

By

Published : Apr 1, 2019, 7:44 PM IST

कुफरी नीलकंठ आलू

शिमला: आम तौर पर हर घर के खाने में इस्तेमाल होने वाला आलू अब और भी फायदेमंद होगा. आलू से कैंसर जैसे गंभीर रोग को दूर भगाया जा सकेगा और ये किसी साधारण आलू से नहीं बल्कि नीले रंग के आलू कुफरी नीलकंठ से संभव हो पाएगा.

Kufari Nilkanth Potato
कुफरी नीलकंठ आलू

सीपीआरआई (केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान) ने कैंसर से लड़ने वाले आलू की नई किस्म तैयार की है. जिसे अब किसानों को उपलब्ध करवाया जाएगा, ताकि वे इस आलू को लगा कर इसके बेहतर दाम मार्केट से प्राप्त कर सकें. आलू की ये नई किस्म 8 से 10 साल के शोध के बाद निकाली गई है. सीपीआरआई के रीजनल सेंटर मोदीपुरम में वैज्ञानिकों ने ये आलू की किस्म निकाली है. इस आलू के छिल्के का रंग बिल्कुल नीला है.

कुफरी नीलकंठ आलू भगाएगा कैंसर (वीडियो)

नीलकंठ आलू इजात होने के बाद किसानों को इस किस्म के आलू के बीज मुहैया करवाने के लिए केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान इसका बीज तैयार कर रहा है, लेकिन इसमें अभी समय लगेगा. एक बार जब बीज किसानों को उपलब्ध करवा दिए जाएंगे तो किसानों को इससे कई लाभ मिलेंगे.

CPRI
सीपीआरआई

कुफरी नीलकंठ की किस्म 1 हेक्टेयर में 38 टन तक उत्पादन देगी जबकि अन्य आलू की किस्में 35 टन तक उत्पादन देती है. पहाड़ी क्षेत्रों के साथ ही मैदानी क्षेत्रों में भी इसकी उपज अच्छी होगी. विशेषज्ञों की रिसर्च कहती है कि इस नीलकंठ आलू में एंटी ऑक्सीडेंट और कैरोटीन एंथोसायनिन तत्व पाया गया है जो कि कैंसर जैसे रोग से लड़ने में मददगार है. अब सीपीआरआई अधिक से अधिक संख्या में किसानों को इस कुफरी नीलकंठ आलू के बीज मुहैया करवा सके, इसके लिए बीज तैयार करने वाली कंपनियों को लाइसेंस दिया जा रहा है.

CPRI
सीपीआरआई

सीपीआरआई के वैज्ञानिक और मीडिया प्रभारी एनके पांडे ने बताया कि कुफरी नीलकंठ आलू का बीज जल्द ही किसानों को दिया जाएगा. ये बात स्पष्ट है कि एक किस्म की बीज को तैयार करने के लिए 4 से 5 साल का समय लगता है. ऐसे में कुफरी नीलकंठ आलू की किस्म के बीज किसानों को मुहैया करवाने के लिए समय लगेगा.

Kufari Nilkanth Potato
कुफरी नीलकंठ आलू

एनके पांडे ने बताया कि रिजनल सेंटर मोदीपुरम ने 10 सालों के अथक प्रयासों के बाद यह नीलकंठ आलू की किस्म तैयार की है. अब सीपीआरआई इस दिशा में प्रयासरत है कि जल्द किसानों को इसका बीज मुहैया करवाया जा सके. उन्होंने कहा कि इस आलू का रंग नीले रंग का है और इसमें कैंसर से लड़ने की क्षमता है.

शिमला: आम तौर पर हर घर के खाने में इस्तेमाल होने वाला आलू अब और भी फायदेमंद होगा. आलू से कैंसर जैसे गंभीर रोग को दूर भगाया जा सकेगा और ये किसी साधारण आलू से नहीं बल्कि नीले रंग के आलू कुफरी नीलकंठ से संभव हो पाएगा.

Kufari Nilkanth Potato
कुफरी नीलकंठ आलू

सीपीआरआई (केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान) ने कैंसर से लड़ने वाले आलू की नई किस्म तैयार की है. जिसे अब किसानों को उपलब्ध करवाया जाएगा, ताकि वे इस आलू को लगा कर इसके बेहतर दाम मार्केट से प्राप्त कर सकें. आलू की ये नई किस्म 8 से 10 साल के शोध के बाद निकाली गई है. सीपीआरआई के रीजनल सेंटर मोदीपुरम में वैज्ञानिकों ने ये आलू की किस्म निकाली है. इस आलू के छिल्के का रंग बिल्कुल नीला है.

कुफरी नीलकंठ आलू भगाएगा कैंसर (वीडियो)

नीलकंठ आलू इजात होने के बाद किसानों को इस किस्म के आलू के बीज मुहैया करवाने के लिए केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान इसका बीज तैयार कर रहा है, लेकिन इसमें अभी समय लगेगा. एक बार जब बीज किसानों को उपलब्ध करवा दिए जाएंगे तो किसानों को इससे कई लाभ मिलेंगे.

CPRI
सीपीआरआई

कुफरी नीलकंठ की किस्म 1 हेक्टेयर में 38 टन तक उत्पादन देगी जबकि अन्य आलू की किस्में 35 टन तक उत्पादन देती है. पहाड़ी क्षेत्रों के साथ ही मैदानी क्षेत्रों में भी इसकी उपज अच्छी होगी. विशेषज्ञों की रिसर्च कहती है कि इस नीलकंठ आलू में एंटी ऑक्सीडेंट और कैरोटीन एंथोसायनिन तत्व पाया गया है जो कि कैंसर जैसे रोग से लड़ने में मददगार है. अब सीपीआरआई अधिक से अधिक संख्या में किसानों को इस कुफरी नीलकंठ आलू के बीज मुहैया करवा सके, इसके लिए बीज तैयार करने वाली कंपनियों को लाइसेंस दिया जा रहा है.

CPRI
सीपीआरआई

सीपीआरआई के वैज्ञानिक और मीडिया प्रभारी एनके पांडे ने बताया कि कुफरी नीलकंठ आलू का बीज जल्द ही किसानों को दिया जाएगा. ये बात स्पष्ट है कि एक किस्म की बीज को तैयार करने के लिए 4 से 5 साल का समय लगता है. ऐसे में कुफरी नीलकंठ आलू की किस्म के बीज किसानों को मुहैया करवाने के लिए समय लगेगा.

Kufari Nilkanth Potato
कुफरी नीलकंठ आलू

एनके पांडे ने बताया कि रिजनल सेंटर मोदीपुरम ने 10 सालों के अथक प्रयासों के बाद यह नीलकंठ आलू की किस्म तैयार की है. अब सीपीआरआई इस दिशा में प्रयासरत है कि जल्द किसानों को इसका बीज मुहैया करवाया जा सके. उन्होंने कहा कि इस आलू का रंग नीले रंग का है और इसमें कैंसर से लड़ने की क्षमता है.

Intro:आमतौर पर हर घर के खाने में इस्तेमाल होने वाला आलू अब ओर फायदेमंद होगा। आलू से कैंसर जैसे गंभीर रोग को दूर भगाया जा सकेगा और यह किसी साधारण आलू से नहीं बल्कि नीले रंग के आलू कुफरी नीलकंठ से संभव हो पाएगा। सीपीआरआई ने कैंसर से लड़ने वाले आलू की नई क़िस्म तैयार की हैं जिसे अब किसानों को उपलब्ध करवाया जाएगा जिससे वो भी इस आलू को लगा कर इसके बेहतर दाम मार्केट से प्राप्त कर सकेंगे। आलू की यह नई किस्म 8 से 10 साल के शोध के बाद निकाली गई है। सीपीआरआई के रीजनल सेंटर मोदीपुरम में वैज्ञानिकों ने यह आलू की किस्म निकाली है। इस आलू की स्किन का रंग बिल्कुल नीला है।


Body:अब इसके इज़ात होने के बाद किसानों को इस किस्म के आलू के बीज मुहैया करवाने के लिए केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान इसका बीज तैयार कर रहा है लेकिन इसमें अभी समय लगेगा पर एक बार जब बीज किसानों को उपलब्ध होगा तो किसानों को इससे कई लाभ मिलेंगे। कुफरी नीलकंठ की किस्म 1 हेक्टेयर में 38 टन तक उत्पादन देगी जबकि अन्य आलू की किस्में 35 टन तक उत्पादन देती है। पहाड़ी क्षेत्रों के साथ ही मैदानी क्षेत्रों में भी इसकी उपज अच्छी होगी। इस नीलकंठ आलू में एंटी ऑक्सीडेंट ओर कैरोटीन एंथोसायनिन तत्व पाया गया है जो कि कैंसर जैसे रोग से लड़ने में मददगार है। अब सीपीआरआई अधिक से अधिक संख्या में इस कुफरी नीलकंठ आलू के बीज मुहैया करवा सके इसके लिए बीज तैयार करने वाली कंपनियों को लाइसेंस दे रही है।


Conclusion:सीपीआरआई के वैज्ञानिक और मीडिया प्रभारी एन.के पांडे ने बताया कि कुफरी नीलकंठ आलू का बीज जल्द ही किसानों को दिया जाएगा। यह बात स्पष्ट है कि एक किस्म की बीज को तैयार करने के लिए 4 से 5 साल का समय लगता है ऐसे में कुफरी नीलकंठ आलू की किस्म के बीज किसानों को मुहैया करवाने के लिए समय लगेगा। रिजनल सेंटर मोदीपुरम ने 10 सालों के अथक प्रयासों के बाद यह नीलकंठ आलू की किस्म तैयार की है और अब सीपीआरआई इस दिशा में प्रयासरत है कि जल्द किसानों को इसका बीज मुहैया करवाया जा सके। उन्होंने कहा कि इस आलू का रंग नीले रंग का है और इसमें कैंसर से लड़ने की क्षमता है।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.