शिमला: हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक आपदा के बाद हुई भारी तबाही से उभरने के लिए सीपीआईएम ने कांग्रेस के सुर में सुर मिलाते हुए केंद्र से हिमाचल में राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की है. दरअसल, CPIM ने केंद्र से मिली राहत राशि पर भी सवाल खड़े किए हैं. वहीं, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव ओंकार शाद ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से मिलकर सर्वदलीय बैठक बुलाकर प्रदेश को हुए नुकसान का सांझा आंकलन कर केंद्र को प्रस्ताव भेजने की मांग की है. ओंकार शाद ने कहा कि उनकी पार्टी ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह ठाकुर से मिलकर ज्ञापन देकर सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की है, ताकि सभी दल मिलकर प्रदेश में हुए नुकसान की भरपाई के लिए एक आवाज़ में केंद्र से मदद का प्रस्ताव भेजा जा सके.
दरअसल, ओंकार शाद ने कहा कि केंद्र सरकार से अभी तक किसी भी तरह की मदद नहीं मिल पाई है, जो पैसे मिले हैं वह एसडीआरएफ के तहत हर वर्ष राज्य को मिलते हैं. केंद्र से प्रदेश को 10 हजार करोड़ रूपए की सहायता तुरंत मिलनी चाहिए. हिमाचल को नुकसान से उभारने के लिए सभी के सामूहिक प्रयास की जरूरत है. उन्होंने कहा कि वन संरक्षण कानून 1980 में संशोधन किया जाए और लोगों को वन भूमि में मकान बनाने के लिए भी छूट दी जाए. हिमाचल सरकार एसडीआरएफ के तहत जो राशि दे रही है, वह काफी कम है उसे भी बढ़ाया जाना चाहिए.
सीपीआईएम नेता व पूर्व विधायक राकेश सिंघा ने कहा कि हिमाचल में आपदा से जान माल का भारी नुकसान हुआ है. इसे बिना किसी मांग के भी राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाना चाहिए था, लेकिन इस पर भी राजनीति हो रही है जो गलत है. केंद्र से अभी तक कोई राहत नहीं मिली है. जो किस्त मिली है वह आपदा आए बिना भी मिलनी थी.
सिंघा ने शांता कुमार की तारीफ करते हुए कहा कि वह राजनीति से ऊपर उठ कर प्रदेश के लोगों के लिए सहयोग की बात कर रहे हैं. सिंघा ने कहा कि 7 जुलाई को हिमाचल प्रदेश में आपदा आई और केंद्र ने 11 जुलाई को एसडीआरएफ के तहत मिलने वाली राहत में संशोधन कर दिया. जिसमे क्षतिग्रस्त हुए घरों को मिलने वाली राशि को कम कर दिया गया है जो कि सही नहीं है. केंद्र प्रदेश में हुए नुकसान की या तो भरपाई करें या 10 हजार करोड़ की राहत राशि दे.