शिमला: हिमाचल प्रदेश के अस्पतालों में तैनात कोविड वॉरियर्स की नौकरी पर फिर से खतरा मंडराने लगा है. प्रदेश सरकार ने इन कर्मचारियों को 30 सितंबर तक ही सेवा विस्तार देने के साथ ही इसके बाद इनकी सेवाएं समाप्त करने का फरमान जारी किया हैं. सरकार के इस आदेश से एकाएक 1800 से ज्यादा कोविड कर्मचारी बेरोजगारी की कगार पर खड़े हो गए हैं. नौकरी जाने से डरे हुए सैकड़ों कर्मचारी आज शिमला पहुंचे और यहां राज्य सचिवालय के बाहर धरना दिया. कर्मचारियों ने सरकार से उनको सेवाएं समाप्त न कर अन्य आउटसोर्स कर्मचारियों की दर्ज पर उनकी सेवाएं जारी रखने की मांग की.
हिमाचल प्रदेश के अस्पतालों में कोविड काल से सेवाएं देने वाले सैंकड़ों कोरोना वॉरियर्स शिमला पहुंचे. इस दौरान भारी तादाद में कोविड वॉरियर्स ने अपनी मांगों को लेकर टॉललैंड से सचिवालय तक यात्रा निकाली और राज्य सचिवालय के बाहर धरना प्रदर्शन कर सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू से सेवा विस्तार की गारंटी मांगी. दरअसल राज्य की सुखविंदर सरकार ने कोविड वॉरियर्स को 30 सितंबर तक सेवा विस्तार देते हुए साथ ही सेवा समाप्त करने के निर्देश भी जारी कर दिए हैं.
जिससे एक साथ 1800 से ज्यादा कर्मचारी बेरोजगार होने की कगार पर खड़े हैं. पूर्व सरकार ने कोरोना काल के दौरान आउटसोर्स के जरिए इन कर्मचारियों को स्वास्थ्य विभाग के अधीन भर्ती किया था. ये कर्मचारी जिला अस्पतालों और अन्य बड़े अस्पतालों में काम कर रहे हैं, जहां कोविड मरीज भर्ती होते थे. हालांकि कोविड अब तकरीबन खत्म हो गया है. इसके बाद अब इन कर्मचारियों की सेवाएं अस्पतालों में दूसरी जगह ली जा रही हैं.
ये कर्मचारी प्रदेश में 40000 कर्मचारी आउटसोर्स में ही हैं. हालांकि इन कर्मचारियों को हर तीन माह में सेवाविस्तार दिया जाता रहा है, लेकिन अबकी बार सरकार ने उनको सेवा विस्तार देने के साथ ही 30 सितंबर के बाद सेवाएं खत्म करने के भी आदेश जारी किए हैं. अपनी नौकरी पर आए संकट को देखते हुए ही आज कोविड वॉरियर्स आज सचिवालय पहुंचे और उनकी सेवाएं भी अन्य आउटसोर्स कर्मचारियों की तर्ज पर ही जारी रखने की गुहार लगाई.
कोविड वॉरियर्स ने कांग्रेस की 10 गारंटियों को याद करते हुए कहा कि उन्हें भी सेवा विस्तार की गारंटी दी जाए. उन्होंने सुक्खू सरकार से उम्मीद जताते हुए कहा कि प्रदेश सरकार उन्हें सेवा विस्तार दे और कोविड वॉरियर्स के लिए एक पॉलिसी भी बनाएं. कोविड कर्मचारी अमनदीप ने कहा उन लोगों ने ऐसे समय सेवाएं दी हैं, जब परिवार के सदस्य भी अपने कोविड मरीज से दूर हो जाते थे. लोग उनसे दूरियां बनाते थे कि कहीं उनको कोविड न हो जाए. उन्होंने कहा कि आज प्रदेश में आपदा आई है और उससे प्रभावित लोगों में से कुछ उनमें से भी हैं, लेकिन सरकार ने उनका टर्मिनेशन लेटर जारी किया है. कोविड कर्मचारी संघ की जिला कांगड़ा अध्यक्ष मोनिका ने कहा सरकार ने उनको एक्सटेंशन भी दी है, लेकिन साथ में 30 सितंबर के बाद रिलीव करने को भी कह दिया है. उन्होंने कहा कि सरकार उनको नौकरी से निकालने की बजाए स्वास्थ्य विभाग में रखे या उनके लिए भी कोई स्थायी नीति लाए.
आईजीएमसी में स्टाफ नर्स के पद पर तैनात मोनिका कहती हैं कि वे जानते हैं कि सरकार आपदा के समय वितीय संकट से गुजर रही है, इसके लिए हम सरकार के साथ खड़े हैं. इससे पहले भी कोरोना काल में भी वे सरकार के साथ खड़े थे, लेकिन सरकार को उनको नौकरी से नहीं निकालना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार जहां 40 हजार आउटसोर्स कर्मचारियों को रखे हुए, वहीं 1800 कर्मचारियों से कौन से बड़ा बोझ सरकार पर आएगा. उन्होंने कहा कि वे सैलरी बढ़ाने की मांग नहीं कर रहे केवल अपनी नौकरी बचाने की गुहार लगा रहे हैं. यही नहीं अगर सरकार उनकी सेवाएं लेती हैं तो, उनको अच्छा अनुभवी स्टाफ कम पैसे में मिलेगा. कोविड वॉरियर के तौर पर सेवाएं रहीं महक ने कहा सरकार सीधा उनको बाहर का रास्ता दिखा रही है, जो सही नहीं है. उन्होंने सरकार से मांग की कि उनको आउटसोर्स पॉलिसी के अधीन लाया जाए.
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