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हिमाचल की सेहत का हाल: सीटी स्कैन मशीन की कीमत 55 लाख, मरम्मत पर खर्च कर दिए 2.77 करोड़

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Published : Mar 9, 2021, 9:41 PM IST

हिमाचल प्रदेश में विभिन्न मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में मशीन की कीमत से अधिक पैसा उसकी मरम्मत पर खर्च हो रहा है. राज्य के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान आईजीएमसी अस्पताल में सीटी (कंप्यूटराइज्ड टोमोग्राफी) स्कैन के मरम्मत पर 2.77 करोड़ रुपए से अधिक खर्च कर दिया. यही नहीं, आईजीएमसी में स्थापित एमआरआई (मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग) मशीन की कुल कीमत 70 लाख बताई गई है और उसकी मरम्मत पर अब तक 2.69 करोड़ रुपए की रकम खर्च कर दी गई.

Health condition of Himachal
डिजाइन फोटो.

शिमलाः मशीन की कीमत से अधिक उसकी मरम्मत पर खर्च हो जाए तो सवाल उठना लाजिमी है. प्रदेश के विभिन्न मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में मशीन की कीमत से अधिक पैसा उसकी मरम्मत पर खर्च हो रहा है. राज्य के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान आईजीएमसी अस्पताल में सीटी (कंप्यूटराइज्ड टोमोग्राफी) स्कैन के मरम्मत पर 2.77 करोड़ रुपए से अधिक खर्च कर दिया.

यही नहीं, आईजीएमसी में स्थापित एमआरआई (मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग) मशीन की कुल कीमत 70 लाख बताई गई है और उसकी मरम्मत पर अब तक 2.69 करोड़ रुपए की रकम खर्च कर दी गई. ये खुलासा विधानसभा में कांग्रेस विधायक सुखविंद्र सिंह सुक्खू व आशीष बुटेल की तरफ से पूछे गए सवाल के जवाब में हुआ है. हैरत की बात यह है कि आईजीएमसी अस्पताल में एक डायगनोस्टिक थाउजेंड एमए एक्सरे मशीन पांच लाख की खरीदी गई और उसकी मरम्मत पर ही 30 लाख रुपए से अधिक खर्च कर दिए गए.

2013-14 से ये मरम्मत खर्च हो रहा है

आईजीएमसी अस्पताल की सीटी स्कैन मशीन की मरम्मत पर कुल 2,76,73,350 (2.77 करोड़) और एमआरआई मशीन की मरम्मत पर 2,68,28,030 (2.69 करोड़) रुपए खर्च हुए हैं. सीटी स्कैन मशीन और एमआरआई मशीन, इन दोनों स्वास्थ्य उपकरणों पर 2013-14 से ये मरम्मत खर्च हो रहा है. इसके लिए एएमसी व सीएमसी यानी सालाना मरम्मत अनुबंध व सतत मरम्मत अनुबंध होता है.

इसके अलावा टांडा मेडिकल कॉलेज अस्पताल, हमीरपुर कॉलेज अस्पताल व अन्य मेडिकल कॉलेज अस्पतालों का भी यही हाल है. सुखविंद्र सिंह सुक्खू व आशीष बुटेल के सवाल के लिखित जवाब में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. राजीव सैजल की तरफ से बताया गया कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कालेज एवं अस्पताल टांडा में भी 2008 में 4.80 करोड़ में स्थापित एमआरआई मशीन की मरम्मत पर 2,39,84,792 (2.40 करोड़) रुपए खर्च हो चुके हैं.

इतनी बड़ी रकम खर्च करने के बाद भी मशीन खराब

इसी तरह यहीं पर 2008 में स्थापित सीटी स्कैन मशीन की मरम्मत पर 2,61,56,592 (2.62 करोड़) रुपए खर्च किए जा चुके हैं. हालत ये हैं कि इतनी बड़ी रकम खर्च करने के बाद भी टांडा में ये मशीन खराब है. वहीं, वर्ष 2008 में ही स्थापित कलर डॉप्लर की मरम्मत पर भी 20,86,324 रुपए खर्च किए जा चुके हैं. यहां तीन 500-एक्सरे मशीन में से एक ही चल रही है. इनकी मरम्मत पर 34,80,497 रुपए खर्च हुए. टांडा में ही 100-एमए एक्स-रे मशीन की मरम्मत पर 8,18,347 खर्च कर दिए गए.

नाहन मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में 2007 में स्थापित सीटी स्कैन मशीन की रिपेयर पर 1,67,64,000 (1.68 करोड़) खर्च हुए हैं और आजकल ये मशीन खराब है. नाहन अस्पताल में ये मशीन 19 सितम्बर 2020 से खराब पड़ी है. हमीरपुर में 2006 में स्थापित सीटी स्कैन मशीन की मरम्मत पर 97,64,560 खर्च करने के बावजूद ये बीते साल से खराब है. चंबा में सीटी स्कैन मशीन की मरम्मत पर 82,74,000 रुपये खर्च करने के बावजूद वो 2016 से बंद पड़ी हैं.

ये भी पढ़ेंः- ABVP धर्मशाला ने जलाया केंद्रीय विश्वविद्यालय प्रशासन का पुतला, उग्र आंदोलन की दी चेतावनी

शिमलाः मशीन की कीमत से अधिक उसकी मरम्मत पर खर्च हो जाए तो सवाल उठना लाजिमी है. प्रदेश के विभिन्न मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में मशीन की कीमत से अधिक पैसा उसकी मरम्मत पर खर्च हो रहा है. राज्य के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान आईजीएमसी अस्पताल में सीटी (कंप्यूटराइज्ड टोमोग्राफी) स्कैन के मरम्मत पर 2.77 करोड़ रुपए से अधिक खर्च कर दिया.

यही नहीं, आईजीएमसी में स्थापित एमआरआई (मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग) मशीन की कुल कीमत 70 लाख बताई गई है और उसकी मरम्मत पर अब तक 2.69 करोड़ रुपए की रकम खर्च कर दी गई. ये खुलासा विधानसभा में कांग्रेस विधायक सुखविंद्र सिंह सुक्खू व आशीष बुटेल की तरफ से पूछे गए सवाल के जवाब में हुआ है. हैरत की बात यह है कि आईजीएमसी अस्पताल में एक डायगनोस्टिक थाउजेंड एमए एक्सरे मशीन पांच लाख की खरीदी गई और उसकी मरम्मत पर ही 30 लाख रुपए से अधिक खर्च कर दिए गए.

2013-14 से ये मरम्मत खर्च हो रहा है

आईजीएमसी अस्पताल की सीटी स्कैन मशीन की मरम्मत पर कुल 2,76,73,350 (2.77 करोड़) और एमआरआई मशीन की मरम्मत पर 2,68,28,030 (2.69 करोड़) रुपए खर्च हुए हैं. सीटी स्कैन मशीन और एमआरआई मशीन, इन दोनों स्वास्थ्य उपकरणों पर 2013-14 से ये मरम्मत खर्च हो रहा है. इसके लिए एएमसी व सीएमसी यानी सालाना मरम्मत अनुबंध व सतत मरम्मत अनुबंध होता है.

इसके अलावा टांडा मेडिकल कॉलेज अस्पताल, हमीरपुर कॉलेज अस्पताल व अन्य मेडिकल कॉलेज अस्पतालों का भी यही हाल है. सुखविंद्र सिंह सुक्खू व आशीष बुटेल के सवाल के लिखित जवाब में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. राजीव सैजल की तरफ से बताया गया कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कालेज एवं अस्पताल टांडा में भी 2008 में 4.80 करोड़ में स्थापित एमआरआई मशीन की मरम्मत पर 2,39,84,792 (2.40 करोड़) रुपए खर्च हो चुके हैं.

इतनी बड़ी रकम खर्च करने के बाद भी मशीन खराब

इसी तरह यहीं पर 2008 में स्थापित सीटी स्कैन मशीन की मरम्मत पर 2,61,56,592 (2.62 करोड़) रुपए खर्च किए जा चुके हैं. हालत ये हैं कि इतनी बड़ी रकम खर्च करने के बाद भी टांडा में ये मशीन खराब है. वहीं, वर्ष 2008 में ही स्थापित कलर डॉप्लर की मरम्मत पर भी 20,86,324 रुपए खर्च किए जा चुके हैं. यहां तीन 500-एक्सरे मशीन में से एक ही चल रही है. इनकी मरम्मत पर 34,80,497 रुपए खर्च हुए. टांडा में ही 100-एमए एक्स-रे मशीन की मरम्मत पर 8,18,347 खर्च कर दिए गए.

नाहन मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में 2007 में स्थापित सीटी स्कैन मशीन की रिपेयर पर 1,67,64,000 (1.68 करोड़) खर्च हुए हैं और आजकल ये मशीन खराब है. नाहन अस्पताल में ये मशीन 19 सितम्बर 2020 से खराब पड़ी है. हमीरपुर में 2006 में स्थापित सीटी स्कैन मशीन की मरम्मत पर 97,64,560 खर्च करने के बावजूद ये बीते साल से खराब है. चंबा में सीटी स्कैन मशीन की मरम्मत पर 82,74,000 रुपये खर्च करने के बावजूद वो 2016 से बंद पड़ी हैं.

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