शिमला: ग्रीन कवर के लिए देश-विदेश में विख्यात हिमाचल प्रदेश के फॉरेस्ट कवर एरिया में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. हिमाचल प्रदेश के क्षेत्रफल का 66 फीसदी से अधिक क्षेत्र वनों से ढंका है. देवभूमि के लिए खुशी की बात है कि इंडियन स्टेट फॉरेस्ट रिपोर्ट 2019 के अनुसार राज्य के फॉरेस्ट कवर एरिया में 333.52 वर्ग किलोमीटर की बढ़ोतरी हुई है.
हालांकि दक्षिण भारत के राज्यों के मुकाबले ये बढ़ोतरी अपेक्षाकृत कम है, लेकिन हिमाचल का पहले ही ग्रीन कवर एरिया उल्लेखनीय है. फॉरेस्ट सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक जनवरी 2015 से फरवरी 2019 के दौरान हिमाचल प्रदेश में 959.63 हैक्टेयर वन भूमि को गैर वानिकी कार्यों के लिए परिवर्तित किया गया.
वर्ष 2017 की रिपोर्ट के मुकाबले राज्य में वन क्षेत्र में 333.52 वर्ग किलोमीटर का इजाफा हुआ. वन क्षेत्र बढ़ने की वजह प्रदेश सरकार के वन विभाग के सघन पौधरोपण कार्यक्रम को माना गया है. उल्लेखनीय है कि हिमाचल में 2017-18 में कैंपा सहित 9725 हैक्टेयर भूभाग में पौधरोपण किया गया.
वर्ष 2019 में वन विभाग ने जनता, सामाजिक संस्थाओं, शैक्षणिक संस्थाओं आदि के सहयोग से 25 लाख 34 हजार से अधिक पौधों को रोपा. रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में फारेस्ट एरिया 37,033 वर्ग किमी है. इसमें से 1898 वर्ग किमी रिजर्व फारेस्ट है. इसके अलावा 33130 वर्ग किमी संरक्षित व 2005 वर्ग किमी अवर्गीकृत वन क्षेत्र है. राज्य में संरक्षित वन क्षेत्र में 5 नेशनल पार्क, 28 वन्य प्राणी अभ्यारण्य तथा 3 संरक्षण क्षेत्र हैं. अर्थात इन क्षेत्रों में वन्य प्राणियों व प्राकृतिक वनस्पतियों को संरक्षित रखा गया है.
रिपोर्ट के मुताबिक दिसंबर 2017 में राज्य में फारेस्ट कवर 15433.52 वर्ग किमी था. यह राज्य के क्षेत्रफल का 27.72 फीसदी है. रिकार्डड फारेस्ट एरिया 37033 वर्ग किलोमीटर है. यह प्रदेश के कुल क्षेत्रफल का 66.52 फीसदी है. प्रदेश के जंगलों में पेड़ों की 116 प्रजातियां मौजूद हैं. औषधीय प्रजातियों के 109 व 99 प्रजातियों की झाडिय़ां अथवा छोटे पेड़ हैं. यदि फॉरेस्ट फायर यानी जंगल की आग की दृष्टि से देखें तो प्रदेश के जंगलों का 4.6 फीसदी हिसासा अति संवेदनशील है. 220 वर्ग किमी से अधिक के जंगल दावानल के मामले में संवेदनशील है.
यहां बता दें कि हिमाचल प्रदेश एशिया का पहला राज्य है, जिसे कार्बन क्रेडिट हासिल हुआ है. कार्बन को कम करके ऑक्सीजन को बढ़ाने में हिमाचल के योगदान पर विश्व बैंक से हिमाचल को कार्बन क्रेडिट के तौर पर ईनाम मिल चुका है. हिमाचल में ग्रीन फैलिंग यानी हरे पेड़ों को काटने पर रोक है. यहां कई जंगल ऐसे हैं, जिनका स्वामीत्व देवताओं के पास है और वहां से एक टहनी भी नहीं काटी जा सकती.