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कोरोना संक्रमित मृतक के अंतिम संस्कार पर जिला प्रशासन और MC शिमला के बीच घमासान

मंगलवार रात को कोरोना संक्रमित युवक की मौत के बाद शव को श्मशान घाट ले जाया गया और अंतिम संस्कार एसडीएम नीरज चांदला की देखरेख में हुआ. पर एसडीएम की मानें तो ये जिम्मेदारी निगम की थी. जिससे पूरी तरह पल्ला झाड़ा गया.

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Published : May 7, 2020, 9:51 PM IST

Conflict between District Administration and MC Shimla
Conflict between District Administration and MC Shimla

शिमला :आईजीएमसी में सरकाघाट के कोरोना संक्रमित युवक की मौत के अंतिम संस्कार को लेकर जिला प्रशासन और नगर निगम आमने सामने हैं. दोनों तरफ से नियमों का हवाला देकर जिम्मेदारी एक-दूसरे पर थोपी जा रही है. सवाल नगर निगम पर उठ रहे हैं, लेकिन निगम की तरफ से साफ किया गया है कि तय कायदों के मुताबिक निगम की तरफ से पूरी जिम्मेदारी निभाई गई.

दरअसल मंगलवार रात को कोरोना संक्रमित युवक की मौत के बाद शव को श्मशान घाट ले जाया गया और अंतिम संस्कार एसडीएम नीरज चांदला की देखरेख में हुआ. पर एसडीएम की मानें तो ये जिम्मेदारी निगम की थी. जिससे पूरी तरह पल्ला झाड़ा गया.

एसडीएम के मुताबिक निगम अधिकारियों को कई बार फोन किया गया लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. हालांकि नगर निगम के संयुक्त आयुक्त ने इस आरोप को सिरे से नकार दिया है. नगर निगम शिमला के मुताबिक ऐसे मामलों में जो नियम बनाए गए हैं. उसके तहत ही निगम ने काम किया.

दरअसल इस पूरे मामले पर एसडीएम नीरज चांदला ने अपनी रिपोर्ट बनाकर जिला उपायुक्त को भेज दी है. जिसके मुताबिक प्रोटोकॉल के मुताबिक इसमें जिम्मेदारी प्रशासन की है और यहां प्रशासन का मतलब जिला प्रशासन और निगम दोनों है.

मामले ने तूल पकड़ा तो सवाल मुख्यमंत्री के सामने भी उठा. हालांकि मुख्यमंत्री ने कहा कि भविष्य में ऐसा ना हो. इसको लेकर जांच की जाएगी और जरूरी कदम उठाए जाएंगे.

शिमला :आईजीएमसी में सरकाघाट के कोरोना संक्रमित युवक की मौत के अंतिम संस्कार को लेकर जिला प्रशासन और नगर निगम आमने सामने हैं. दोनों तरफ से नियमों का हवाला देकर जिम्मेदारी एक-दूसरे पर थोपी जा रही है. सवाल नगर निगम पर उठ रहे हैं, लेकिन निगम की तरफ से साफ किया गया है कि तय कायदों के मुताबिक निगम की तरफ से पूरी जिम्मेदारी निभाई गई.

दरअसल मंगलवार रात को कोरोना संक्रमित युवक की मौत के बाद शव को श्मशान घाट ले जाया गया और अंतिम संस्कार एसडीएम नीरज चांदला की देखरेख में हुआ. पर एसडीएम की मानें तो ये जिम्मेदारी निगम की थी. जिससे पूरी तरह पल्ला झाड़ा गया.

एसडीएम के मुताबिक निगम अधिकारियों को कई बार फोन किया गया लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. हालांकि नगर निगम के संयुक्त आयुक्त ने इस आरोप को सिरे से नकार दिया है. नगर निगम शिमला के मुताबिक ऐसे मामलों में जो नियम बनाए गए हैं. उसके तहत ही निगम ने काम किया.

दरअसल इस पूरे मामले पर एसडीएम नीरज चांदला ने अपनी रिपोर्ट बनाकर जिला उपायुक्त को भेज दी है. जिसके मुताबिक प्रोटोकॉल के मुताबिक इसमें जिम्मेदारी प्रशासन की है और यहां प्रशासन का मतलब जिला प्रशासन और निगम दोनों है.

मामले ने तूल पकड़ा तो सवाल मुख्यमंत्री के सामने भी उठा. हालांकि मुख्यमंत्री ने कहा कि भविष्य में ऐसा ना हो. इसको लेकर जांच की जाएगी और जरूरी कदम उठाए जाएंगे.

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