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72 घंटे से आमरण अनशन पर बैठे हैं करुणामूलक आश्रित, सरकार और प्रशासन नहीं ले रहा है सुध - shimla latest news

राजधानी शिमला में करुणामूलक आश्रित आमरण अनशन पर बैठे हैं, लेकिन न तो सरकार का कोई नुमायदा और न ही जिला प्रशासन का कोई अधिकारी इनकी सुध लेने पहुंचा है. वहीं, अब आमरण अनशन पर बैठे आश्रितों ने अब आत्मदाह तक कि चेतावनी दे दी है. अनशन पर बैठे आश्रितों की तबीयत भी बिगड़ने लगी है. हालांकि स्वास्थ्य विभाग से इनके स्वास्थ्य की जांच के लिए डॉक्टर पहुंच रहे हैं, लेकिन सरकार की ओर से अभी तक किसी नुमाइंदे के ना आने से आश्रित आहत है.

Compassionate dependents have been sitting on hunger strike for 72 hours in shimla
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Published : Oct 29, 2020, 4:56 PM IST

शिमला: मांगों को लेकर 72 घंटे से राजधानी शिमला में करुणामूलक आश्रित आमरण अनशन पर बैठे हैं, लेकिन न तो सरकार का कोई नुमायदा और न ही जिला प्रशासन का कोई अधिकारी इनकी सुध लेने पहुंचा है.

वहीं, अब आमरण अनशन पर बैठे आश्रितों ने अब आत्मदाह तक कि चेतावनी दे दी है. अनशन पर बैठे आश्रितों की तबीयत भी बिगड़ने लगी है. हालांकि स्वास्थ्य विभाग से इनके स्वास्थ्य की जांच के लिए डॉक्टर पहुंच रहे हैं, लेकिन सरकार की ओर से अभी तक किसी नुमाइंदे के ना आने से आश्रित आहत है.

वीडियो.

करुणामूलक आश्रित संघ ने मांगे पूरी न होने तक अनशन जारी रखने की बात कही. संघ के अध्यक्ष पमिल कुमार ने कहा कि सात दिन क्रमिक अनशन पर बैठने के बाद आमरण अनशन शुरू किया और आज तीसरा दिन है, लेकिन सरकार का कोई नुमायदां उनसे मिलने तक नहीं आया है.

उन्होंने कहा कि संघ केवल वन टाइम रिलेक्सेशन के तहत सभी आश्रितों को नौकरी दे. लेकिन सरकार उनको मांगो को अनुसना करती आई है. इसके लिए कई बार मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और विधायकों को ज्ञापन सौंपे गए हैं. कोई राहत न मिलने पर उन्हें राजधानी शिमला में आमरण अनशन शुरू करने पर मजबूर होना पड़ा है.

पमिल ने कहा कि आमरण अनशन पर बैठे किसी भी आश्रित के साथ कोई अनहोनी होती है तो इसके लिए प्रदेश सरकार जिम्मेदार होगी. बता दें प्रदेश में 45 सौ के करीब करुणामूलक आश्रित है, जोकि पिछले 15 सालों से नौकरी की आस में बैठे है, लेकिन सरकार करुणामूलक आधार पर भरे जाने वाले पदों को नहीं भर रही है जिसके चलते अब आश्रितों ने आमरण अनशन शुरू किया है.

शिमला: मांगों को लेकर 72 घंटे से राजधानी शिमला में करुणामूलक आश्रित आमरण अनशन पर बैठे हैं, लेकिन न तो सरकार का कोई नुमायदा और न ही जिला प्रशासन का कोई अधिकारी इनकी सुध लेने पहुंचा है.

वहीं, अब आमरण अनशन पर बैठे आश्रितों ने अब आत्मदाह तक कि चेतावनी दे दी है. अनशन पर बैठे आश्रितों की तबीयत भी बिगड़ने लगी है. हालांकि स्वास्थ्य विभाग से इनके स्वास्थ्य की जांच के लिए डॉक्टर पहुंच रहे हैं, लेकिन सरकार की ओर से अभी तक किसी नुमाइंदे के ना आने से आश्रित आहत है.

वीडियो.

करुणामूलक आश्रित संघ ने मांगे पूरी न होने तक अनशन जारी रखने की बात कही. संघ के अध्यक्ष पमिल कुमार ने कहा कि सात दिन क्रमिक अनशन पर बैठने के बाद आमरण अनशन शुरू किया और आज तीसरा दिन है, लेकिन सरकार का कोई नुमायदां उनसे मिलने तक नहीं आया है.

उन्होंने कहा कि संघ केवल वन टाइम रिलेक्सेशन के तहत सभी आश्रितों को नौकरी दे. लेकिन सरकार उनको मांगो को अनुसना करती आई है. इसके लिए कई बार मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और विधायकों को ज्ञापन सौंपे गए हैं. कोई राहत न मिलने पर उन्हें राजधानी शिमला में आमरण अनशन शुरू करने पर मजबूर होना पड़ा है.

पमिल ने कहा कि आमरण अनशन पर बैठे किसी भी आश्रित के साथ कोई अनहोनी होती है तो इसके लिए प्रदेश सरकार जिम्मेदार होगी. बता दें प्रदेश में 45 सौ के करीब करुणामूलक आश्रित है, जोकि पिछले 15 सालों से नौकरी की आस में बैठे है, लेकिन सरकार करुणामूलक आधार पर भरे जाने वाले पदों को नहीं भर रही है जिसके चलते अब आश्रितों ने आमरण अनशन शुरू किया है.

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