शिमला: विधानसभा में एक प्रश्न का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि करुणामूलक आश्रितों के मसले को प्रदेश सरकार मानवीय आधार पर देखती है. इनकी समस्याओं को हल करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया जाएगा. यह कमेटी जल्द प्रदेश सरकार को रिपोर्ट सौंपे, इसके लिए भी निर्देश दिए जाएंगे. वर्तमान में करुणामूलक आधार पर नौकरी के लिए मानवीय आधार 2779 आवेदन लंबित हैं.
नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री और अन्य सदस्यों द्वारा प्रश्न पूछा गया कि प्रदेश में करुणामूलक आधार पर नौकरी के लिए भारी संख्या में आवेदन लंबित हैं और ये लोग लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं. इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह मामला प्रदेश हाइकोर्ट में भी लगा था. उस समय हाईकोर्ट ने निर्णय दिया कि पेंशन को कुल आय में नहीं जोड़ा जाएगा. लेकिन, इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गया.
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुसार अब पेंशन को भी कुल आय में जोड़ा जाएगा. उन्होंने कहा कि पहले करुणामूलक आश्रितों को नौकरी के लिए कुल आय कम थी. लेकिन, प्रदेश सरकार ने इसे दो बार बढ़ाकर 2.5 लाख किया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि इस मामले को हमारी सरकार ने गंभीरता से लिया है. सरकार ने 7 मार्च 2019 को संशोधित नीति को लागू किया है. पहले करुणामूलक के लिए कर्मचारी की आयु की लिमिट 50 वर्ष रखी गई थी. इसमें मानवीय दृष्टिकोण नहीं था. इसलिए हमने संशोधन किया कि यदि अंतिम दिन भी किसी कर्मचारी की मौत हो जाती है तो उसके परिजन भी करुणामूलक आधार पर नौकरी के पात्र होंगे.
दूसरा मुद्दा आय सीमा का था, प्रदेश सरकार ने संशोधन कर आय सीमा 2.5 लाख किया है. उन्होंने कहा कि जुलाई 2019 तक 4 हजार 40 मामले लंबित थे और यह संख्या घटकर 2779 पेंडिंग एप्लीकेशन ही बची हैं. जहां तक करुणामूलक कोटा कुल रिक्तियों के 5 प्रतिशत से अधिक करने का सवाल है तो यह पूर्व की सरकारों द्वारा निर्धारित किया गया है. इसपर रामलाल ठाकुर ने पूछा कि कितने लोग करुणामूलक आधार पर पात्र थे. लेकिन, उम्र अधिक हो जाने के कारण नौकरी नहीं मिली. मुख्यमंत्री ने जवाब में कहा कि 5 प्रतिशत कोटा पहले से चला आ रहा है. मुख्यमंत्री ने कहा कि अति निर्धन लोगों के लिए ही यह प्रावधान है.
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