शिमला: 26 जुलाई को पूरा देश करगिल विजय दिवस के रूप में मना रहा है. 26 जुलाई 1999 को भारत में कारगिल तक जीत दर्ज की है और इस दौरान कई जवानों ने अपनी जान भी गवाई थी. वहीं, करगिल युद्ध में बतौर डॉक्टर अपनी सेवा देने वाले डॉक्टर महेश ने करगिल दिवस पर शहीद सैनिकों को नमन किया और सैनिकों के योगदान को याद किया.
डॉक्टर महेश आजकल शिमला आईजीएमसी में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. ईटीवी भारत से बात करते हुए कर्नल महेश ने युद्ध के दौरान उनके सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में बातचीत की. कर्नल महेश ने बताया कि करगिल युद्ध वे कभी नहीं भूल सकते क्योंकि वहां पर सब उन्होंने अपनी आंखों से देखा है. उस दौरान उनका एक ही उद्देश्य था कि घायल जवानों को बचाना.
डॉक्टर महेश ने बताया कि उन्होंने रात दिन ड्यूटी कर कई जवानों का इलाज किया. उनका कहना था उस दौरान सभी जवानों ने यही ठानी थी कि दुश्मनों को हर हालत में हराना है. उन्होंने कहा कि जवानों के बुलंद हौसले ने ये साबित भी किया है. कर्नल महेश ने बताया कि वे घायलों का इलाज करते हुए फक्र महसूस कर रहे थे. खुशी से हमारे जवानों ने जख्म खाकर भी दुश्मन को परास्त कर दिया.
बता दें कि कर्नल महेश बीते 5 सालों से आईजीएमसी में बतौर सीएमओ ड्यूटी दे रहे हैं. इस दौरान आईजीएमसी में भी आने वाले गंभीर मरीजों को वे खुद जाकर चेक करतें हैं और उनका इलाज करते हैं. करगिल विजय दिवस पर कर्नल महेश ने युवाओं को संदेश दिया है कि वह नशे की लत से दूर रहकर देश के लिए काम करें. उन्होंने कहा कि स्कूल और कॉलेज में पढ़ने वाले छात्रों को बढ़-चढ़कर एनसीसी में भाग लेना चाहिए. उन्होंने कहा की एनसीसी युवाओं को अनुशासन सिखाता है जिससे युवा अपने देश के लिए बेहतर कर सकते हैं. उन्होंने भारतीय सेना में अधिक से अधिक युवाओं को जाने की अपील की.
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