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हिमाचल की आर्थिक गाड़ी को पटरी पर लाने की चुनौती, इनोवेटिव आइडियाज पर काम कर रहे सीएम सुखविंदर सिंह

कांग्रेस की नई सरकार के सामने हिमाचल की आर्थिक गाड़ी को पटरी पर लाना एक बड़ी चुनौती. जिसके लिए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (CM Sukhvinder Singh Sukhu) इनोवेटिव आइडियाज पर काम कर रहे है. इसके अलावा सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू इंडस्ट्री सेक्टर में निवेश की प्रक्रियाओं को सरल बनाना चाहते हैं. निवेश की प्रक्रिया सरल की जाएगी. इसके लिए अफसरों को काम दिया गया है. वहीं, सीएम सुक्खू सामाजिक सुरक्षा के विषय पर भी गंभीर हैं. जिसके लिए सीएम लगातार अधिकारियों के साथ बैठक भी कर रहे हैं. पढ़ें पूरी खबर...

CM Sukhvinder Singh Sukhu
CM Sukhvinder Singh Sukhu
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Published : Dec 30, 2022, 5:40 PM IST

शिमला: करीब सत्तर हजार करोड़ रुपए के कर्ज में डूबे हिमाचल प्रदेश की आर्थिक गाड़ी को पटरी पर लाना नई सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती है. व्यवस्था परिवर्तन की सोच लेकर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू हिमाचल की वित्तीय स्थिति को सुधारने के लिए कुछ इनोवेटिव आइडियाज पर काम कर रहे हैं. इसके अलावा सीएम सामाजिक सुरक्षा के विषय पर भी गंभीर हैं. इसका पता अनाथ आश्रमों, बालिका आश्रम व वृद्ध आश्रमों के प्रति उनकी संवेदनशीलता से चल रहा है.

सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू कह चुके हैं कि ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली उनके लिए मॉनिटरी बेनेफिट से अधिक सोशल सिक्योरिटी का मामला है. फिलहाल, सीएम सुखविंदर सिंह इन दिनों सरकारी कामकाज का सिस्टम समझते हुए अपने रोडमैप को लागू करने की संभावनाओं पर काम कर रहे हैं. उन्होंने न केवल विधायकों बल्कि अफसरों को भी कुछ विशेष कार्यों पर लगाया है. मुख्यमंत्री पर्यटन, हाइड्रो पावर, इंडस्ट्री, ग्रीन ट्रांसपोर्ट पर काम कर रहे हैं.

उनका मानना है कि पर्यटन सेक्टर से आर्थिकी को मजबूत किया जा सकता है. यही कारण है कि पर्यटकों की सुविधा के लिए वे हवाई यात्रा के विकल्पों पर काम करना चाहते हैं. इसके लिए उन्होंने सभी जिलों के आयुक्तों को हेलीपोर्ट के लिए जगह तलाशने के लिए कहा है. इसी तरह इंडस्ट्री सेक्टर्स के लिए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू निवेश प्रक्रियाओं को आसान बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं. परिवहन सेक्टर में सीएम इलेक्ट्रिक वाहनों की तरफ जाएंगे. इससे न केवल इंधन में खर्च होने वाली भारी-भरकम रकम बचेगी, बल्कि पर्यावरण भी सहेजा जा सकेगा.

उदाहरण के लिए शिमला के उपनगर संजौली से लक्कड़ बाजार तक चलने वाली इलेक्ट्रिक सरकारी टैक्सी एक बार में सिर्फ ढाई सौ रुपए में चार्ज हो जाती है, लेकिन वो एचआरटीसी को अपने रूट से एक दिन में 2400 रुपए कमा कर देती है. यदि इसमें से ढाई सौ रुपए चार्जिंग और 1500 रुपए प्रति दिन चालक के मानदेय के तौर पर निकाल दें तो भी एक दिन में साढ़े छह सौ रुपए मात्र एक छोटे से रूट पर बचते हैं. यानी महीने में साढ़े उन्नीस हजार रुपए कमाई केवल एक वाहन से होती है. (Electric vehicle policy in Himachal).

यदि रूट पर पांच छोटी इलेक्ट्रिक टैक्सी चले तो ये कमाई लाख रुपए महीना है. वहीं, डीजल अथवा पेट्रोल का खर्च अधिक है. उससे चालक का वेतन भी नहीं निकलता है. इसी तरह प्रदेश भर में एचआरटीसी की बसों में महीने में दो करोड़ रुपए का डीजल खर्च है. इलेक्ट्रिक वाहन होने से ये खर्च बच जाएगा. यही कारण है कि सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अफसरों को चार्जिंग स्टेशन अधिक से अधिक स्थापित करने की संभावनाओं को तलाशने के लिए कहा है.

मुख्यमंत्री सरकार के पास मौजूदा संसाधनों से ही आर्थिक आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढऩे की सोच लिए हुए हैं. यही निर्देश उन्होंने अफसरों को ही दिए हैं कि कैसे उपलब्ध संसाधनों से ही मैक्सिमम लाभ उठाना है. सरकारी खर्च को कम करने की दिशा में भी प्लान तैयार किया जा रहा है. टेंडर प्रक्रिया को भी पारदर्शी और सरल बनाया जाएगा, ताकि रेवेन्यू बचाया जा सके. इसके अलावा सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू इंडस्ट्री सेक्टर (Industry sector in Himachal) में निवेश की प्रक्रियाओं को सरल बनाना चाहते हैं. निवेश की प्रक्रिया सरल की जाएगी. इसके लिए अफसरों को काम दिया गया है.

हर जिला में वहां की परिस्थितियों के हिसाब से उद्योग लगाने की प्राथमिकता रहेगी. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू इसके अलावा एजूकेशन व हेल्थ सेक्टर के लिए भी कुछ नया करना चाहते हैं. उन्होंने अफसरों को निर्देश दिए हैं कि ऐसी व्यवस्था बनानी है, जिसमें अंतिम पंक्ति में खड़े इंसान को लगे कि सरकार उसकी चिंता कर रही है. वरिष्ठ मीडिया कर्मी धनंजय शर्मा का कहना है कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आगाज तो अच्छा किया है. वे सिस्टम को जवाबदेह बनाने के लिए गंभीरता से काम कर रहे हैं. ओपीएस बहाली को लेकर उनके अब तक के प्रयासों से कर्मचारियों में भी अच्छा संकेत गया है. ये देखना वाकई जिज्ञासा का विषय रहेगा कि आर्थिक गाड़ी को सीएम व उनकी टीम कैसे पटरी पर लाते हैं.

ये भी पढ़ें: 'ISBT पार्किंग में शिफ्ट होंगे किराए के भवनों में चल रहे सरकारी ऑफिस, CM हेल्पलाइन को किया जाएगा मजबूत'

शिमला: करीब सत्तर हजार करोड़ रुपए के कर्ज में डूबे हिमाचल प्रदेश की आर्थिक गाड़ी को पटरी पर लाना नई सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती है. व्यवस्था परिवर्तन की सोच लेकर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू हिमाचल की वित्तीय स्थिति को सुधारने के लिए कुछ इनोवेटिव आइडियाज पर काम कर रहे हैं. इसके अलावा सीएम सामाजिक सुरक्षा के विषय पर भी गंभीर हैं. इसका पता अनाथ आश्रमों, बालिका आश्रम व वृद्ध आश्रमों के प्रति उनकी संवेदनशीलता से चल रहा है.

सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू कह चुके हैं कि ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली उनके लिए मॉनिटरी बेनेफिट से अधिक सोशल सिक्योरिटी का मामला है. फिलहाल, सीएम सुखविंदर सिंह इन दिनों सरकारी कामकाज का सिस्टम समझते हुए अपने रोडमैप को लागू करने की संभावनाओं पर काम कर रहे हैं. उन्होंने न केवल विधायकों बल्कि अफसरों को भी कुछ विशेष कार्यों पर लगाया है. मुख्यमंत्री पर्यटन, हाइड्रो पावर, इंडस्ट्री, ग्रीन ट्रांसपोर्ट पर काम कर रहे हैं.

उनका मानना है कि पर्यटन सेक्टर से आर्थिकी को मजबूत किया जा सकता है. यही कारण है कि पर्यटकों की सुविधा के लिए वे हवाई यात्रा के विकल्पों पर काम करना चाहते हैं. इसके लिए उन्होंने सभी जिलों के आयुक्तों को हेलीपोर्ट के लिए जगह तलाशने के लिए कहा है. इसी तरह इंडस्ट्री सेक्टर्स के लिए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू निवेश प्रक्रियाओं को आसान बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं. परिवहन सेक्टर में सीएम इलेक्ट्रिक वाहनों की तरफ जाएंगे. इससे न केवल इंधन में खर्च होने वाली भारी-भरकम रकम बचेगी, बल्कि पर्यावरण भी सहेजा जा सकेगा.

उदाहरण के लिए शिमला के उपनगर संजौली से लक्कड़ बाजार तक चलने वाली इलेक्ट्रिक सरकारी टैक्सी एक बार में सिर्फ ढाई सौ रुपए में चार्ज हो जाती है, लेकिन वो एचआरटीसी को अपने रूट से एक दिन में 2400 रुपए कमा कर देती है. यदि इसमें से ढाई सौ रुपए चार्जिंग और 1500 रुपए प्रति दिन चालक के मानदेय के तौर पर निकाल दें तो भी एक दिन में साढ़े छह सौ रुपए मात्र एक छोटे से रूट पर बचते हैं. यानी महीने में साढ़े उन्नीस हजार रुपए कमाई केवल एक वाहन से होती है. (Electric vehicle policy in Himachal).

यदि रूट पर पांच छोटी इलेक्ट्रिक टैक्सी चले तो ये कमाई लाख रुपए महीना है. वहीं, डीजल अथवा पेट्रोल का खर्च अधिक है. उससे चालक का वेतन भी नहीं निकलता है. इसी तरह प्रदेश भर में एचआरटीसी की बसों में महीने में दो करोड़ रुपए का डीजल खर्च है. इलेक्ट्रिक वाहन होने से ये खर्च बच जाएगा. यही कारण है कि सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अफसरों को चार्जिंग स्टेशन अधिक से अधिक स्थापित करने की संभावनाओं को तलाशने के लिए कहा है.

मुख्यमंत्री सरकार के पास मौजूदा संसाधनों से ही आर्थिक आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढऩे की सोच लिए हुए हैं. यही निर्देश उन्होंने अफसरों को ही दिए हैं कि कैसे उपलब्ध संसाधनों से ही मैक्सिमम लाभ उठाना है. सरकारी खर्च को कम करने की दिशा में भी प्लान तैयार किया जा रहा है. टेंडर प्रक्रिया को भी पारदर्शी और सरल बनाया जाएगा, ताकि रेवेन्यू बचाया जा सके. इसके अलावा सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू इंडस्ट्री सेक्टर (Industry sector in Himachal) में निवेश की प्रक्रियाओं को सरल बनाना चाहते हैं. निवेश की प्रक्रिया सरल की जाएगी. इसके लिए अफसरों को काम दिया गया है.

हर जिला में वहां की परिस्थितियों के हिसाब से उद्योग लगाने की प्राथमिकता रहेगी. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू इसके अलावा एजूकेशन व हेल्थ सेक्टर के लिए भी कुछ नया करना चाहते हैं. उन्होंने अफसरों को निर्देश दिए हैं कि ऐसी व्यवस्था बनानी है, जिसमें अंतिम पंक्ति में खड़े इंसान को लगे कि सरकार उसकी चिंता कर रही है. वरिष्ठ मीडिया कर्मी धनंजय शर्मा का कहना है कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आगाज तो अच्छा किया है. वे सिस्टम को जवाबदेह बनाने के लिए गंभीरता से काम कर रहे हैं. ओपीएस बहाली को लेकर उनके अब तक के प्रयासों से कर्मचारियों में भी अच्छा संकेत गया है. ये देखना वाकई जिज्ञासा का विषय रहेगा कि आर्थिक गाड़ी को सीएम व उनकी टीम कैसे पटरी पर लाते हैं.

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