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7 नवंबर से पहले निराश्रित बच्चों के प्रमाणपत्र करें जारी- मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 7 नवंबर तक अनाथ बच्चों को समयबद्ध प्रमाण पत्र जारी करने के निर्देश दिए गए हैं. पढ़ें पूरी खबर... (cm sukhvinder singh sukhu).

cm sukhvinder singh sukhu
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (फाइल फोटो).
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Oct 15, 2023, 6:59 PM IST

शिमला: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने प्रदेश के सभी उपायुक्तों को 'मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना' के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए इस वर्ष 7 नवंबर तक अनाथ बच्चों को समयबद्ध प्रमाण पत्र जारी करने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की इस महत्त्वाकांक्षी योजना के अंतर्गत प्रदेश के 4000 से अधिक अनाथ बच्चों को सहायता प्रदान की जा रही है. मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार द्वारा अनाथ बच्चों को 'चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट' के रूप में नामित करते हुए उनके लिए कानून बनाया गया है, जिससे सरकार की उनके अभिभावक के रूप में कानूनी जिम्मेवारी निर्धारित की गई है. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार अनाथ बच्चों को अभी तक 4.68 करोड़ रुपये के वित्तीय लाभ प्रदान कर चुकी है.

योजना के तहत बाल देखभाल संस्थानों में रहने वाले 1,199 बच्चों को लाभान्वित करने के उद्देश्य से 1.12 करोड़ रुपये की राशि हस्तांतरित की गई है. यह राशि जिला बाल संरक्षण अधिकारी के साथ संयुक्त रूप से संचालित आवर्ती जमा (आरडी) खातों में जमा की गई है. इसके अंतर्गत 14 वर्ष तक की आयु के बच्चों को 1,000 रुपये प्रतिमाह और 15 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों को 2,500 प्रति माह राज्य सरकार द्वारा प्रदान किए जाएंगे. इसके अलावा 48 लाभार्थियों को उनकी उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए संस्थागत शुल्क 15.52 लाख रुपये और प्रति व्यक्ति 4,000 रुपये प्रति माह की दर से व्यक्तिगत खर्च के लिए 11.52 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की गई है.

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इसके अलावा व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले 17 लाभार्थियों को पाठ्यक्रम शुल्क (कोर्स फीस) के लिए 7.02 लाख रुपये और जेब खर्च के रूप में 4.08 लाख रुपये प्रदान किए गए हैं. एक पात्र को कौशल विकास पाठ्यक्रम के लिए 17,500 रुपये प्रदान किए गए हैं. इसके अलावा औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में व्यावसायिक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के अंतर्गत प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले बाल देखभाल केंद्रों के 62 बच्चों को संस्थान की फीस के रूप में 15.66 लाख रुपये और जेब खर्च के रूप में 14.88 लाख रुपये प्रदान किए गए हैं. सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना के माध्यम से वंचित बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है. इन बच्चों को घर बनाने के लिए वित्तीय सहायता और 3 बिस्वा जमीन प्रदान की जा रही है. इसके अतिरिक्त इनके लिए हवाई किराया और तीन सितारा होटलों में रहने की सुविधा के साथ शैक्षणिक भ्रमण प्रायोजित किए जा रहे हैं.

योजना के अंतर्गत अब तक 3 लाभार्थियों को अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए 6 लाख रुपये दिए गए हैं. अपने रिश्तेदारों के साथ रहने वाले 1106 बच्चों को उनकी शिक्षा, पोषण और स्वास्थ्य आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए 2.65 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए गए हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि शपथ लेने के बाद उन्होंने सर्वप्रथम शिमला में बालिका आश्रम टूटीकंडी का दौरा कर उनकी आवश्यकताओं को जाना. यहीं से वह अधिकारों से वंचित अनाथ बच्चों के लिए एक योजना बनाने के लिए प्रेरित हुए. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार समाज के समग्र विकास के लिए प्रतिबद्ध है और वंचित वर्गों विशेषकर जरूरतमंदों के कल्याण के लिए प्रतिबद्धता से कार्य कर रही है.

ये भी पढ़ें- Shikari Temple Snowfall: पहले नवरात्रि में बर्फबारी, 'चांदी' से सजा शिकारी माता का मंदिर

शिमला: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने प्रदेश के सभी उपायुक्तों को 'मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना' के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए इस वर्ष 7 नवंबर तक अनाथ बच्चों को समयबद्ध प्रमाण पत्र जारी करने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की इस महत्त्वाकांक्षी योजना के अंतर्गत प्रदेश के 4000 से अधिक अनाथ बच्चों को सहायता प्रदान की जा रही है. मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार द्वारा अनाथ बच्चों को 'चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट' के रूप में नामित करते हुए उनके लिए कानून बनाया गया है, जिससे सरकार की उनके अभिभावक के रूप में कानूनी जिम्मेवारी निर्धारित की गई है. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार अनाथ बच्चों को अभी तक 4.68 करोड़ रुपये के वित्तीय लाभ प्रदान कर चुकी है.

योजना के तहत बाल देखभाल संस्थानों में रहने वाले 1,199 बच्चों को लाभान्वित करने के उद्देश्य से 1.12 करोड़ रुपये की राशि हस्तांतरित की गई है. यह राशि जिला बाल संरक्षण अधिकारी के साथ संयुक्त रूप से संचालित आवर्ती जमा (आरडी) खातों में जमा की गई है. इसके अंतर्गत 14 वर्ष तक की आयु के बच्चों को 1,000 रुपये प्रतिमाह और 15 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों को 2,500 प्रति माह राज्य सरकार द्वारा प्रदान किए जाएंगे. इसके अलावा 48 लाभार्थियों को उनकी उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए संस्थागत शुल्क 15.52 लाख रुपये और प्रति व्यक्ति 4,000 रुपये प्रति माह की दर से व्यक्तिगत खर्च के लिए 11.52 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की गई है.

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इसके अलावा व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले 17 लाभार्थियों को पाठ्यक्रम शुल्क (कोर्स फीस) के लिए 7.02 लाख रुपये और जेब खर्च के रूप में 4.08 लाख रुपये प्रदान किए गए हैं. एक पात्र को कौशल विकास पाठ्यक्रम के लिए 17,500 रुपये प्रदान किए गए हैं. इसके अलावा औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में व्यावसायिक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के अंतर्गत प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले बाल देखभाल केंद्रों के 62 बच्चों को संस्थान की फीस के रूप में 15.66 लाख रुपये और जेब खर्च के रूप में 14.88 लाख रुपये प्रदान किए गए हैं. सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना के माध्यम से वंचित बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है. इन बच्चों को घर बनाने के लिए वित्तीय सहायता और 3 बिस्वा जमीन प्रदान की जा रही है. इसके अतिरिक्त इनके लिए हवाई किराया और तीन सितारा होटलों में रहने की सुविधा के साथ शैक्षणिक भ्रमण प्रायोजित किए जा रहे हैं.

योजना के अंतर्गत अब तक 3 लाभार्थियों को अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए 6 लाख रुपये दिए गए हैं. अपने रिश्तेदारों के साथ रहने वाले 1106 बच्चों को उनकी शिक्षा, पोषण और स्वास्थ्य आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए 2.65 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए गए हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि शपथ लेने के बाद उन्होंने सर्वप्रथम शिमला में बालिका आश्रम टूटीकंडी का दौरा कर उनकी आवश्यकताओं को जाना. यहीं से वह अधिकारों से वंचित अनाथ बच्चों के लिए एक योजना बनाने के लिए प्रेरित हुए. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार समाज के समग्र विकास के लिए प्रतिबद्ध है और वंचित वर्गों विशेषकर जरूरतमंदों के कल्याण के लिए प्रतिबद्धता से कार्य कर रही है.

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