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इसलिए सीएम सुखविंदर को है निराश्रित बच्चों से स्नेह, सत्ता में आते ही पूरा किया कॉलेज में लिया संकल्प

नए साल में हिमाचल सरकार ने अनाथ आश्रमों सहित अन्य संस्थानों में रह रहे निराश्रित बच्चों के लिए 101 करोड़ रुपए के मुख्यमंत्री सुखाश्रय कोष की स्थापना की है. रविवार को साल के पहले दिन सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शिमला में मीडिया से बातचीत के दौरान उक्त फंड और अनाथ बच्चों के लिए सरकार की प्राथमिकताओं को साझा किया. यहां जिज्ञासा ये पैदा होती है कि सीएम सुखविंदर सिंह को निराश्रित बच्चों से स्नेह क्यों है? इसका खुलासा मुख्यमंत्री ने खुद प्रेस वार्ता के दौरान किया. जब उनसे इस संबंध में सवाल पूछा गया. पढ़ें पूरी खबर...

सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू
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Published : Jan 1, 2023, 7:55 PM IST

शिमला: सत्ता के साथ संवेदनाओं का संयोग हो जाए तो पीड़ित मानवता की सेवा का मार्ग प्रशस्त हो जाता है. हिमाचल प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू (CM sukhvinder singh sukhu) ने अल्प समय में ही सत्ता और संवेदना का संयोग प्रदर्शित किया है. सत्ता संभालने के बाद नए साल में नए फैसले से सीएम सुखविंदर सिंह ने उम्मीद की किरण दिखाई है. निराश्रित बच्चों, युवक-युवतियों व एकल नारियों के लिए सुख आश्रय योजना इसका प्रमाण (mukhyamantri sukhashraya kosh) है.

यहां जिज्ञासा पैदा होती है कि सीएम सुखविंदर सिंह को निराश्रित बच्चों से स्नेह क्यों है? मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह ने रविवार को नए साल के पहले दिन शिमला में मीडिया से बातचीत के दौरान इसका खुलासा किया. एक सवाल के जवाब में सीएम ने कहा कि जब वे कॉलेज में अध्ययनरत थे तो दीवाली के दिन एक निराश्रित सहपाठी ने त्यौहार के दौरान अपने बेसहारा होने और घर न होने का दर्द साझा किया. सीएम ने कहा कि वे अपने ऐसे सहपाठियों को साथ घर ले आया करते थे. तब उस सहपाठी ने कहा था कि मैं अकेला नहीं हूं, मेरे जैसे चालीस और साथी हैं.

सीएम ने कहा कि निराश्रित बच्चों को स्नेह नहीं मिलता. उनके मन में ये भाव रहता है कि उनका कोई घर नहीं है. सीएम ने खुलासा किया कि उन्होंने कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ये संकल्प ले लिया था कि जीवन में कभी मौका मिला तो ऐसे बच्चों के लिए जरूर कुछ करूंगा. अब वे राज्य के मुखिया हैं और मौका मिलते ही उनके कल्याण के लिए काम करने का सुख हासिल हुआ है. सीएम ने दोहराया कि ये ऐसे बच्चों पर कोई अहसान या करूणा के वशीभूत किया गया काम नहीं है, वरन उन बच्चों का हक है.

उल्लेखनीय है कि नए साल के पहले दिन सीएम सुखविंदर सिंह ने प्रदेश में निराश्रित बच्चों, युवाओं, एकल नारियों के लिए मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना शुरू की. इसके लिए शुरुआती तौर पर एक सौ एक करोड़ रुपए का फंड स्थापित किया गया है. यदि कोई निराश्रित बच्चा मेडिकल, इंजीनियरिंग या अन्य किसी कोर्स की पढ़ाई कर रहा है को उसे प्रति माह चार हजार रुपए पॉकेट मनी मिलेगी. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह का कहना था कि निराश्रित बच्चों को प्रेम और सहयोग की जरूरत होती है.

सीएम सुखविंदर सिंह ने बताया कि कॉलेज समय में उनके साथ पढ़ाई करने वाले निराश्रित बच्चे खेल और अन्य गतिविधियों में बेहतरीन होते थे. ऐसे बच्चों को समाज में सम्मानजनक स्थान मिलना चाहिए और इसके लिए सभी को सहयोग करना चाहिए. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के सभी चालीस विधायक अपने पहले वेतन से एक लाख रुपए का अंशदान सुख आश्रय कोष में करेंगे. उन्होंने भाजपा के विधायकों से भी आग्रह किया कि वे इस मुहिम में अपना योगदान करें.

ये भी पढ़ें: अनाथ बच्चों का सारा खर्च उठाएगी सुक्खू सरकार, 101 करोड़ से मुख्यमंत्री सुखाश्रय कोष की स्थापना

शिमला: सत्ता के साथ संवेदनाओं का संयोग हो जाए तो पीड़ित मानवता की सेवा का मार्ग प्रशस्त हो जाता है. हिमाचल प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू (CM sukhvinder singh sukhu) ने अल्प समय में ही सत्ता और संवेदना का संयोग प्रदर्शित किया है. सत्ता संभालने के बाद नए साल में नए फैसले से सीएम सुखविंदर सिंह ने उम्मीद की किरण दिखाई है. निराश्रित बच्चों, युवक-युवतियों व एकल नारियों के लिए सुख आश्रय योजना इसका प्रमाण (mukhyamantri sukhashraya kosh) है.

यहां जिज्ञासा पैदा होती है कि सीएम सुखविंदर सिंह को निराश्रित बच्चों से स्नेह क्यों है? मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह ने रविवार को नए साल के पहले दिन शिमला में मीडिया से बातचीत के दौरान इसका खुलासा किया. एक सवाल के जवाब में सीएम ने कहा कि जब वे कॉलेज में अध्ययनरत थे तो दीवाली के दिन एक निराश्रित सहपाठी ने त्यौहार के दौरान अपने बेसहारा होने और घर न होने का दर्द साझा किया. सीएम ने कहा कि वे अपने ऐसे सहपाठियों को साथ घर ले आया करते थे. तब उस सहपाठी ने कहा था कि मैं अकेला नहीं हूं, मेरे जैसे चालीस और साथी हैं.

सीएम ने कहा कि निराश्रित बच्चों को स्नेह नहीं मिलता. उनके मन में ये भाव रहता है कि उनका कोई घर नहीं है. सीएम ने खुलासा किया कि उन्होंने कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ये संकल्प ले लिया था कि जीवन में कभी मौका मिला तो ऐसे बच्चों के लिए जरूर कुछ करूंगा. अब वे राज्य के मुखिया हैं और मौका मिलते ही उनके कल्याण के लिए काम करने का सुख हासिल हुआ है. सीएम ने दोहराया कि ये ऐसे बच्चों पर कोई अहसान या करूणा के वशीभूत किया गया काम नहीं है, वरन उन बच्चों का हक है.

उल्लेखनीय है कि नए साल के पहले दिन सीएम सुखविंदर सिंह ने प्रदेश में निराश्रित बच्चों, युवाओं, एकल नारियों के लिए मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना शुरू की. इसके लिए शुरुआती तौर पर एक सौ एक करोड़ रुपए का फंड स्थापित किया गया है. यदि कोई निराश्रित बच्चा मेडिकल, इंजीनियरिंग या अन्य किसी कोर्स की पढ़ाई कर रहा है को उसे प्रति माह चार हजार रुपए पॉकेट मनी मिलेगी. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह का कहना था कि निराश्रित बच्चों को प्रेम और सहयोग की जरूरत होती है.

सीएम सुखविंदर सिंह ने बताया कि कॉलेज समय में उनके साथ पढ़ाई करने वाले निराश्रित बच्चे खेल और अन्य गतिविधियों में बेहतरीन होते थे. ऐसे बच्चों को समाज में सम्मानजनक स्थान मिलना चाहिए और इसके लिए सभी को सहयोग करना चाहिए. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के सभी चालीस विधायक अपने पहले वेतन से एक लाख रुपए का अंशदान सुख आश्रय कोष में करेंगे. उन्होंने भाजपा के विधायकों से भी आग्रह किया कि वे इस मुहिम में अपना योगदान करें.

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