शिमला: ओपीएस बहाली, महिलाओं को 1500 रुपए प्रति माह और 300 यूनिट बिजली नि:शुल्क देने के वादे सहित 10 गारंटियां पूरी करना कांग्रेस सरकार के लिए पहाड़ चढ़ने सरीखा साबित हो रहा है. कांग्रेस ने पहले कहा था कि 5 साल में 5 लाख रोजगार दिए जाएंगे, लेकिन अब ये संख्या 1 लाख रोजगार तक सिमट रही है. इसी तरह महिलाओं को 1500 रुपए प्रति माह देने का फार्मूला भी चेंज हो रहा है.
एक-एक पैसा दांत से पकड़ेगी सरकार: इस पर भी सुखविंदर सिंह सरकार के लिए खजाने को मैनेज करना कठिन होगा. प्रदेश पर करीब 75 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है.अभी कर्मचारियों को एरियर व डीए दिया जाना है. महिलाओं को 1500 रुपए महीना देने के लिए भी सालाना 2500 करोड़ रुपए से अधिक की रकम चाहिए. ऐसे में सुखविंदर सिंह सरकार ने 1-1 पैसे को दांत से पकड़ने का विचार किया है.
सीएम के पास कई योजनाएं: साथ ही कमाई के उपाय तलाशने पर जोर दिया जा रहा है. उल्लेखनीय है कि हाल ही में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बिलासपुर में 1 ढाबे में खाना खाने के दौरान सैलानियों से बात करते हुए दावा किया था कि 2 साल बाद हिमाचल में नया परिवर्तन देखने को मिलेगा. सत्ता संभालने के बाद ही वे निरंतर अधिकारियों से प्रदेश की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए चर्चा कर रहे हैं. खुद सीएम सुखविंदर सिंह कह चुके हैं कि उनके पास आर्थिक मोर्चे पर कई योजनाएं हैं. खैर, इसी कड़ी में सीएम ने अफसरों को कुछ काम दिए हैं, इनमें से सबसे महत्वपूर्ण है कमाई कैसे की जाए.
सरकार की अपने खर्चो पर कटौती: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह के आदेश के बाद राज्य सरकार के मुख्य सचिव ने विभिन्न विभागों के प्रशासनिक सचिवों, अध्यक्षों और डीसी के साथ प्रारंभिक चर्चा कर ली है. मुख्य सचिव ने सभी अफसरों को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के निर्देशों से अवगत करवाया और कहा कि राज्य सरकार अपने खर्च कम करने के अलावा पोटेंशियल डिपार्टमेंट्स से कमाई करना चाहती है. मुख्य सचिव ने अफसरों से कहा कि सीएम सुखविंदर सिंह की मंशा है कि राज्य सरकार के 3 विभाग अपनी कमाई यानी राजस्व बढ़ाएं.
इन विभागों पर राजस्व बढ़ाने की जिम्मेदारी: इन विभागों में आबकारी व कराधान विभाग, उद्योग विभाग और परिवहन विभाग शामिल हैं. आबकारी विभाग टैक्स बढ़ाने के लिए क्या कर सकता है, इस पर विचार किया जाए. उद्योग विभाग को भी माइन्स एंड मिनरल्स में अपना राजस्व बढ़ाने के लिए रिपोर्ट देने को कहा गया है. परिवहन विभाग भी वाहनों का पंजीकरण महंगा कर सकता है. इसके अलावा सीएम ने सत्ता संभालने के बाद ही कृषि और बागबानी विभाग को अपनी बहुत सी योजनाएं समेटकर 1 छतरी तले करने को कहा था. उस पर भी काम चल रहा है. मुख्य सचिव का कहना था कि सरकार अनावश्यक खर्च कम करना चाहती है और अपना राजस्व बढ़ाने की संभावनाओं को परखा जा रहा है.
निगम व बोर्ड को मर्ज करने की तैयारी: इसके अलावा 1 अन्य बड़े कदम के तौर पर राज्य सरकार नुकसान में चल रहे बोर्ड तथा निगमों को आपस में मर्ज करना चाहती है. मुख्य सचिव ने सभी संबंधित विभागों के मुखिया से इस बारे में डिटेल रिपोर्ट मांगी है. रिपोर्ट में ये दर्ज करना होगा कि कौन सा बोर्ड या निगम कितने घाटे में चल रहा और उनमें कितने कर्मचारी हैं. साथ ही ये भी कहा कि आपस में इन्हें किस रूप में मर्ज किया जा सकता है, इस पर भी बिंदुवार रिपोर्ट बनाई जाए. उल्लेखनीय है कि हिमाचल सरकार के कई निगम व बोर्ड घाटे में चल रहे हैं.
हिमाचल में 22 निगम व बोर्ड: इस समय हिमाचल में विभिन्न विभागों से जुड़े करीब 22 निगम व बोर्ड हैं, इनमें कर्मचारियों की संख्या 42 हजार के करीब है. हिमाचल पथ परिवहन निगम, राज्य बिजली बोर्ड, ये 2 प्रमुख निगम व बोर्ड भारी घाटे में हैं. एचआरटीसी का घाटा 1900 करोड़ रुपए से अधिक है. इन्हें आपस में किस रूप में मर्ज किया जाए, ताकि खर्च कम हो सके, इसकी रिपोर्ट तैयार होगी. इसके अलावा बागबानी विभाग को कहा गया है कि वो अपने साथ वाले निगमों जैसे एचपीएमसी के साथ एग्रो इंडस्ट्रीज और अन्य निगमों को समेटा जाए.
एक करने का तरीका पूछा: इसी तरह उद्योग विभाग को एचपीएसआईडीसी, जीआईसी और वित्त निगम जैसे निगमों को एक करने का तरीका पूछा गया है. बागबानी विभाग से ये भी जानकारी मांगी गई है कि क्या हॉर्टिकल्चर यूनिवर्सिटी को केंद्रीय यूनिवर्सिटी बनाया जा सकता है? यहां गौरतलब है कि आयुर्वेद विभाग के तहत आने वाले कांगड़ा जिले के आयुर्वेदिक कॉलेज पपरोला को ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद बनाने की भी बात चल रही है.
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