शिमला: हिमाचल प्रदेश में आपदा से निपटने के लिए सभी लोग लोग ने आपदा पीड़ित परिवारों की सहायता में योगदान कर रहे हैं. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और उनके परिवार ने इस आपदा में व्यक्तिगत मदद की. मुख्यमंत्री ने अपनी निजी जमा पूंजी से 51 लाख रुपये की राशि आपदा राहत कोष में दान दी है, तो उनकी 88 वर्षीय माता संसार देवी ने भी 50 हजार रुपये का अंशदान कर अपनी उदारता का परिचय दिया है.
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि प्रदेश की जनता मेरा बड़ा परिवार, संकट के समय उनकी मदद करना मेरा फर्ज है. मुख्यमंत्री ने हाल ही में एक चर्चा के दौरान कहा कि स्कूल और कॉलेज के दिनों से ही जरूरतमंदों की मदद और दान उनके व्यक्तित्व का अभिन्न अंग रहा है. जब इस आपदा के दौरान छोटे बच्चों को अपने गुल्लक तोड़कर प्रभावितों के लिए अंशदान देते हुए देखा तो उनमें भी अपनी क्षमता के अनुरूप इसमें सहयोग करने का भाव जगा, क्योंकि दूसरों की मदद से हमें आत्मिक संतुष्टि प्राप्त होती है.
उन्होंने कहा कि स्वेच्छा से किसी की मदद करना मनुष्य का जन्मजात गुण है और किसी का भला चाहने अथवा करने से स्वंय का और समस्त समाज का भी भला होता है. प्रदेश की समस्त जनता मेरा बड़ा परिवार है. उन्हें संकट की इस घड़ी में मदद की आवश्यकता है और ऐसे में आगे बढ़ कर सभी की सहायता करना हमारा कर्त्तव्य है. उन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान दिए गए योगदान का स्मरण करने पर कहा कि यह कार्य बिना किसी श्रेय के केवलमात्र मानवता की सहायता के लिए किए गए हैं.
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री बनने से पहले एक विधायक के रूप में भी सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कोरोना महामारी से निपटने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है. उन्होंने अपने एक वर्ष के वेतन के अलावा अपनी एफडी में से 11 लाख रुपये का अंशदान किया था. इस बरसात के दौरान प्रदेश में जान व माल का भारी नुकसान हुआ है. इस दौरान 441 व्यक्तियों की मृत्यु हुई है और सार्वजनिक व निजी सम्पति को 12 हजार करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है.
लोगों की आजीविका, मूलभूत अधोसंरचना और पर्यटन गतिविधियों पर इस आपदा का भारी प्रभाव पड़ा है. इसके बावजूद इस दौरान प्रदेश के लोगों ने एकजुटता और साहस का परिचय दिया है, जो सराहनीय है. इस मुश्किल घड़ी में मुख्यमंत्री के नेतृत्व ने भी दृढ़ता और करुणा की मिसाल पेश की है, जिसकी सराहना विश्व बैंक, नीति आयोग जैसे संस्थानों सहित पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने भी की है. यह देश में सम्भवतः पहला उदाहरण है कि जब किसी मुख्यमंत्री ने अपने कार्यकाल में अपनी और अपने परिवार की संचित जमा पूंजी जरूरतमंदों की सहायता के लिए दान की हो.