शिमला: चंडीगढ़ पर हिमाचल की हिस्सेदारी लेने को लेकर सुखविंदर सरकार ने प्रयास तेज कर दिए हैं. इसके लिए कैबिनेट की सब कमेटी कृषि मंत्री चंद्र कुमार की अध्यक्षता में गठित की गई है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि है कि केंद्र शासित चंडीगढ़ में हिमाचल की हिस्सेदारी लेने के लिए सरकार कदम उठा रही है. मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 स्पष्ट रूप से चंडीगढ़ में हिमाचल प्रदेश को 7.19 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिकार देता है. प्रदेश को शुरू से ही इस अधिकार से वंचित रखा गया है, जो हिमाचल और यहां के लोगों के साथ अन्याय है. उन्होंने कहा कि अब राज्य सरकार चंडीगढ़ में 7.19 प्रतिशत हिस्सेदारी सहित राज्य के सभी वैध अधिकारों को प्राप्त करने के लिए विभिन्न मंचों पर अपनी आवाज बुलंद कर रही है.
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार पड़ोसी राज्यों के साथ हिमाचल के अधिकारों से संबंधित सभी लंबित मुद्दों का सर्वमान्य समाधान निकालने के लिए दृढ़ता से कदम उठा रही है. अरसे से यह मुद्दे लंबित होने के कारण हिमाचल और यहां के लोगों को वांछित लाभ नहीं मिल पाए हैं. वर्तमान प्रदेश सरकार कार्यभार संभालने के बाद ही राज्य हित से जुड़े मुद्दे विभिन्न मंचों पर केंद्र सरकार और संबंधित राज्यों के साथ उठा रही है. मुख्यमंत्री ने कहा कि भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) से बिना अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) के बोर्ड की परियोजनाओं से जल प्राप्त करने की व्यवस्था हिमाचल के हितों की बेहतरीन पैरवी से ही संभव हुई है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार ने इस मामले से संबधित सभी पहलुओं पर विचार करने के लिए एक कैबिनेट सब कमेटी का गठन किया है. सब कमेटी द्वारा विस्तृत चर्चा के बाद कैबिनेट के समक्ष एक रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी. सरकार कैबिनेट सब कमेटी के निष्कर्षों और सिफारिशों पर विचार करने के बाद आगे की कार्रवाई तय करेगी.
'बिजली हिस्सेदारी में प्रदेश के बकाया की वसूली के लिए कदम उठा रही सरकार': मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार बिजली हिस्सेदारी में प्रदेश के बकाया की वसूली के लिए सभी विकल्प तलाश कर रही है. उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने नवंबर, 2011 में प्रदेश में बीबीएमबी की सभी परियोजनाओं में 7.19 प्रतिशत बिजली हिस्सेदारी देने का निर्णय दिया था. वर्तमान में, हिमाचल को अपना हिस्सा तो मिल रहा है, लेकिन राज्य को 13,066 मिलियन यूनिट बिजली का बकाया अभी भी जारी नहीं किया गया है. इसके अलावा, राज्य ने प्रदेश में स्थापित सभी बीबीएमबी परियोजनाओं में न्यायोचित ढंग से अपनी बिजली हिस्सेदारी बढ़ाने की भी मांग की है, क्योंकि राज्य के प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग से ही इन परियोजनाओं के माध्यम से विद्युत उत्पादन किया जा रहा है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि बीबीएमबी की बिजली परियोजनाओं से वर्तमान में पंजाब को 51.8 प्रतिशत, हरियाणा को 37.51 प्रतिशत और हिमाचल प्रदेश को केवल 7.19 प्रतिशत बिजली आवंटित होती है. उन्होंने कहा कि भागीदार राज्यों द्वारा हिमाचल प्रदेश के लिए उदारतापूर्वक हिस्सेदारी बढ़ाने पर विचार किया जाए, क्योंकि इन बिजली परियोजनाओं के निर्माण के कारण प्रदेश के हजारों परिवारों को विस्थापन का दंश झेलना पड़ा और प्रदेश की हजारों हेक्टेयर भूमि भी जलमग्न हो गई थी. उन्होंने इन परियोजनाओं में भागीदार राज्यों के बीच समान वितरण की आवश्यकता पर बल देते हुए दोहराया कि राज्य सरकार प्रदेश की उचित हिस्सेदारी प्राप्त करने के लिए दृढ़ता से कार्य कर रही है और न्याय मिलने तक राज्य के मुद्दों को विभिन्न मंचों पर पूरी शिद्दत से उठाया जाएगा.
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