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डीजीपी संजय कुंडू और कारोबारी विवाद पर बोले सीएम सुक्खू, तथ्यों की जांच होनी चाहिए, कोई भी कानून से ऊपर नहीं

CM Sukhu on DGP Sanjay Kundu Controversy: डीजीपी संजय कुंडू और कारोबारी निशांत शर्मा विवाद पर सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा डीजीपी के खिलाफ मिली शिकायत के आधार पर एफआईआर दर्ज करने से पहले तथ्यों की जांच करनी चाहिए. कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है.

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By PTI

Published : Nov 11, 2023, 10:59 PM IST

शिमला: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शनिवार को एम्स दिल्ली से शिमला लौटे. इस दौरान उन्होंने डीजीपी संजय कुंडू और कारोबारी निशांत शर्मा विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि व्यवसायी ने डीजीपी से अपनी जान और संपत्ति को खतरा होने का आरोप लगाया है, लेकिन शिकायत के आधार पर प्राथमिकी दर्ज करने से पहले तथ्यों को सत्यापित किया जाना चाहिए. बता दें कि मामले में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने बीते ही दिन राज्य पुलिस को नोटिस जारी कर व्यवसायी द्वारा डीजीपी के खिलाफ दायर शिकायत पर स्थिति रिपोर्ट मांगी है.

हिमाचल प्रदेश के डीजीपी संजय कुंडू के खिलाफ शिकायत पर मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए सीएम सुक्खू ने कहा "एफआईआर दर्ज करने से पहले शिकायत के तथ्यों को सत्यापित करना होगा. उन्होंने कहा यह कानून की सामान्य प्रक्रिया है और हम हाईकोर्ट में भी यही जवाब देंगे. सीएम ने कहा कोई भी मुख्यमंत्री और कैबिनेट मंत्रियों सहित किसी के भी खिलाफ शिकायत दर्ज कर सकता है, लेकिन एफआईआर दर्ज करने से पहले तथ्यों का पता लगाना और सत्यापित करना होगा. उन्होंने कहा कोई भी कानून से ऊपर नहीं है, न तो सीएम और न ही डीजीपी."

शिमला एसपी संजीव कुमार गांधी ने शुक्रवार को 16 नवंबर को मामले में स्थिति रिपोर्ट पेश करने के लिए अदालत से आधिकारिक संचार प्राप्त होने की पुष्टि की थी. शिमला एसपी को दी गई अपनी शिकायत में कारोबारी निशांत शर्मा ने उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को भी चिह्नित किया है और हरियाणा में उन पर क्रूर हमले की एक घटना का हवाला देते हुए उन्हें, उनके परिवार के सदस्यों को डीजीपी और उनके सहयोगियों से संपत्ति को खतरा होने का आरोप लगाया है.

कारोबारी निशांत का आरोप है कि 25 अगस्त को गुरुग्राम जिले में घटना की सीसीटीवी कैमरे के फुटेज में एक पूर्व भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी सहित हिमाचल प्रदेश के दो प्रभावशाली व्यक्तियों की पहचान की गई थी. हमले के बाद मैं कांगड़ा जिले के पालमपुर आया, लेकिन डीजीपी ने मुझे अपने आधिकारिक नंबर से फोन किया और मुझे शिमला आने के लिए मजबूर किया और उसी दिन, दो अपराधियों ने मुझे धर्मशाला के मैक्लोडगंज में रोका और मुझे, मेरे दोनों बच्चे और पत्नी को नुकसान पहुंचाने की धमकी दी.

कारोबारी शर्मा ने दावा किया कि मैं धर्मशाला में कांगड़ा के पुलिस अधीक्षक के घर गया, उन्हें अपनी दुर्दशा बताई और उन्हें अपनी शिकायत दी, लेकिन अभी तक कुछ नहीं किया गया है. व्यवसायी ने सोमवार को पालमपुर में मीडिया से कहा कि उन्हें यह जानकर निराशा हुई कि उनके खिलाफ झूठा और मनगढ़ंत मामला दर्ज किया गया है. कारोबारी ने माममले में स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की मांग की. वहीं, डीजीपी समेत सभी आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है. वहीं, मामले में निशांत शर्मा के खिलाफ प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने और छवि खराब करने के प्रयास के आरोप में डीजीपी संजय कुंडू की शिकायत पर मानहानि का मामला दर्ज किया गया था.

ये भी पढ़ें: स्वस्थ होकर वापस शिमला लौटे सीएम सुक्खू, फूल बरसाकर हुआ स्वागत, कहा- जन सेवा के लिए मैं पूरी तरह स्वस्थ

शिमला: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शनिवार को एम्स दिल्ली से शिमला लौटे. इस दौरान उन्होंने डीजीपी संजय कुंडू और कारोबारी निशांत शर्मा विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि व्यवसायी ने डीजीपी से अपनी जान और संपत्ति को खतरा होने का आरोप लगाया है, लेकिन शिकायत के आधार पर प्राथमिकी दर्ज करने से पहले तथ्यों को सत्यापित किया जाना चाहिए. बता दें कि मामले में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने बीते ही दिन राज्य पुलिस को नोटिस जारी कर व्यवसायी द्वारा डीजीपी के खिलाफ दायर शिकायत पर स्थिति रिपोर्ट मांगी है.

हिमाचल प्रदेश के डीजीपी संजय कुंडू के खिलाफ शिकायत पर मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए सीएम सुक्खू ने कहा "एफआईआर दर्ज करने से पहले शिकायत के तथ्यों को सत्यापित करना होगा. उन्होंने कहा यह कानून की सामान्य प्रक्रिया है और हम हाईकोर्ट में भी यही जवाब देंगे. सीएम ने कहा कोई भी मुख्यमंत्री और कैबिनेट मंत्रियों सहित किसी के भी खिलाफ शिकायत दर्ज कर सकता है, लेकिन एफआईआर दर्ज करने से पहले तथ्यों का पता लगाना और सत्यापित करना होगा. उन्होंने कहा कोई भी कानून से ऊपर नहीं है, न तो सीएम और न ही डीजीपी."

शिमला एसपी संजीव कुमार गांधी ने शुक्रवार को 16 नवंबर को मामले में स्थिति रिपोर्ट पेश करने के लिए अदालत से आधिकारिक संचार प्राप्त होने की पुष्टि की थी. शिमला एसपी को दी गई अपनी शिकायत में कारोबारी निशांत शर्मा ने उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को भी चिह्नित किया है और हरियाणा में उन पर क्रूर हमले की एक घटना का हवाला देते हुए उन्हें, उनके परिवार के सदस्यों को डीजीपी और उनके सहयोगियों से संपत्ति को खतरा होने का आरोप लगाया है.

कारोबारी निशांत का आरोप है कि 25 अगस्त को गुरुग्राम जिले में घटना की सीसीटीवी कैमरे के फुटेज में एक पूर्व भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी सहित हिमाचल प्रदेश के दो प्रभावशाली व्यक्तियों की पहचान की गई थी. हमले के बाद मैं कांगड़ा जिले के पालमपुर आया, लेकिन डीजीपी ने मुझे अपने आधिकारिक नंबर से फोन किया और मुझे शिमला आने के लिए मजबूर किया और उसी दिन, दो अपराधियों ने मुझे धर्मशाला के मैक्लोडगंज में रोका और मुझे, मेरे दोनों बच्चे और पत्नी को नुकसान पहुंचाने की धमकी दी.

कारोबारी शर्मा ने दावा किया कि मैं धर्मशाला में कांगड़ा के पुलिस अधीक्षक के घर गया, उन्हें अपनी दुर्दशा बताई और उन्हें अपनी शिकायत दी, लेकिन अभी तक कुछ नहीं किया गया है. व्यवसायी ने सोमवार को पालमपुर में मीडिया से कहा कि उन्हें यह जानकर निराशा हुई कि उनके खिलाफ झूठा और मनगढ़ंत मामला दर्ज किया गया है. कारोबारी ने माममले में स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की मांग की. वहीं, डीजीपी समेत सभी आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है. वहीं, मामले में निशांत शर्मा के खिलाफ प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने और छवि खराब करने के प्रयास के आरोप में डीजीपी संजय कुंडू की शिकायत पर मानहानि का मामला दर्ज किया गया था.

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