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सीएम साहब, ये कलयुग है सब जानते हैं... ये पब्लिक है, सब जानती है

सीएम जयराम ठाकुर ने कहा ये कलयुग है जहां विकास के नाम पर वोट नहीं मिलते. जमाना बदल गया है. कलयुग की याद जयराम ठाकुर को उस साल आई है जब राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं. कलयुग है ये तो सब जानते हैं और चुनाव है ये भी सब जानते हैं. इस वक्त में जयराम ठाकुर का ये बयान आना भले सुर्खियां बटोर ले लेकिन ये पब्लिक है, जो सब जानती है. बात पते की बता रहे हैं प्रदीप सिंह रावत

बात पते की
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Published : Feb 12, 2022, 8:36 PM IST

शिमला : ज़माना बदल गया है, जमाना खराब है या ये कलयुग है... इस तरह की बातें आपके माता-पिता या बड़ों ने आपको समझाते वक्त जरूर कही होंगी और उनके माता-पिता या बड़ों ने उन्हें भी कही होंगी. यानी ये बात तय है कि जमाना हमेशा से खराब रहा है और कलयुग भी हजारों साल से चल रहा है. लेकिन अगर कोई मुख्यमंत्री विकास और वोट के नाम पर कलयुग की दुहाई दे, तो चर्चा होना लाजमी है.

दरअसल हिमाचल के मुख्यमंत्री ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि "ये बात पक्की है, मुझे कोई गलत फहमी नहीं है. जहां ज्यादा काम होते हैं वहां ज्यादा वोट पड़ते हैं, वो जमाना चला गया है बहुत पहले. अब वो जमाना नहीं रहा. लाहौल को हमने 3500 करोड़ रुपये की टनल बनाकर दी. जब वोट देने की बारी आई तो अभी देखा आपने हाल में, लोग याद रखते हैं क्या चीजों को ? मैं किसी को दोष नहीं दे रहा हूं ये पूरे देश, प्रदेश और हर जगह की परिस्थिति है क्योंकि सतयुग चला गया है ये कलयुग है." (this is kalyug not satyug)

टीस, अहसास और सच्चाई: मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (CM Jairam thakur) के बयान में ये तीनों चीजें एक साथ हैं. बीते साल के आखिर में हुए उपचुनाव में बीजेपी की हार और लाहौल से वोट ना मिलने की टीस है. लेकिन साथ में इस बात का अहसास भी है कि इसमें जनता का दोष नहीं है और आखिर में सार्वभौमिक सत्य कि सतयुग चला गया, ये कलयुग है.

वैसे सीएम साहब, कलयुग हजारों साल से चल रहा है और ये जनता भी जानती है. हां, किसी नेता की जुबान पर कलयुग या काम करने पर वोट ना मिलने का दर्द बहुत कम ही आता है. क्योंकि नेता वादे करके चले जाते हैं और जनता सड़क, पानी, स्कूल जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए सालों साल तरसती रहती है.

वीडियो.

वैसे भी सिर्फ चुनावों में जनता के द्वार जाने वाले नेताओं को भुगत रही जनता तो ये दर्द सालों से भुगतती आ रही है. नेता चुनावों के दौरान आते हैं, बड़े-बड़े वादे करते हैं और फिर 5 साल बाद ही जनता को नजर आते हैं. जनता हर बार खुद को ठगा हुआ महसूस करती है, ऐसे में उनसे ज्यादा कलयुग किसने भोगा होगा. और आप हैं कि एक उपचुनाव में जनता ने अपने वोट की ताकत क्या दिखा दी, आप कलयुग और सतयुग (kalyug and satyug) की दुहाई देने लगे.

तब भी कलयुग था: मीठा-मीठा गप और कड़वा-कड़वा थू वाला मुहावरा तो आपने भी सुना होगा सीएम साहब. आप पांच बार विधायक बने हैं, इनमें से कोई भी चुनाव सतयुग, द्वापर या त्रेता युग में नहीं हुआ था. हर बार कलयुग था और जनता ने आपको अपना नुमाइंदा चुना.

आप धूमल सरकार में मंत्री भी रहे, तब भी कलयुग था और 2017 में उन्हीं प्रेम कुमार धूमल की हार के बाद आप मुख्यमंत्री बने, तब भी कलयुग ही चल रहा था. भाजयुमो के प्रदेश अध्यक्ष बनने से लेकर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बनने तक आपका पूरा सियासी रिपोर्ट कार्ड कलयुग में चमका और इसी हिमाचल की जनता ने चमकाया, फिर ऐसा क्या हो गया कि आप कलयुग की दुहाई दे रहे हैं

कमबख्त नवंबर डराता है: सीएम साहब के बयान के पीछे बीते साल का नवंबर है, जो उनको गहरी चोट दे गया. एक लोकसभा और तीन विधानसभा सीटों (himachal by election result 2021) पर हुए उपचुनाव में हार मिली तो आह निकलना तो बनता है. बीता नवंबर हार का जख्म दे गया और इस साल का नवंबर भी हर बीतते रोज़ के साथ करीब आ रहा है. बीते साल तो उपचुनाव था, इस बार तो असली परीक्षा है, कुर्सी जो दांव पर होगी. इसलिये और किसी चीज से डर नहीं लगता, नवंबर से डर लगता है. लेकिन इस डर के बीच सीएम साहब को 2017 का वो हसीन दिसंबर भी याद आता होगा जब हिमाचल की सत्ता का ताज उनके सिर सजा.

कुछ भी हो, मगर सीएम साहब आप सच बोलते हैं: वैसे सीएम जयराम ठाकुर कुछ भी कहें सच्चाई उनकी जुबां पर आ ही जाती है. वजह जो भी हो लेकिन सच बोलने से उन्हें जरा भी गुरेज नहीं. नवंबर 2021 में जब उपचुनाव के नतीजे आए और हिमाचल के साथ देशभर में बीजेपी का प्रदर्शन गिरा तो सबसे पहले सीएम जयराम ठाकुर ही थे जिन्होंने कहा कि बीजेपी की हार के पीछे बढ़ती महंगाई सबसे बड़ी वजह है. असर जिसका भी रहा हो लेकिन इस बयान के कुछ घंटों बाद ही केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर लगने वाला टैक्स कम कर दिया, फिर बीजेपी शासित राज्यों ने भी वैट कम किया और कई राज्यों में पेट्रोल की कीमत 100 रुपये प्रति लीटर से नीचे पहुंच गई.

इस बार भी सीएम साहब की जुबां से सच ही निकला है. कलयुग तो चल ही रहा है लेकिन जनता भी समझदार हो गई है. जो अब सिर्फ वादों, भाषणों और झुनझुनों पर यकीन नहीं रखती, उसे वोट की ताकत पता है. जिस ताकत के दम पर उसने आपको ये बयान देने पर मजबूर कर दिया है. वैसे सीएम साहब ये पब्लिक है, ये सब जानती है.

ये भी पढ़ें: जयराम ठाकुर EXCLUSIVE: पांचों राज्यों में खिलेगा कमल, हिमाचल में फिर बनेगी बीजेपी सरकार

शिमला : ज़माना बदल गया है, जमाना खराब है या ये कलयुग है... इस तरह की बातें आपके माता-पिता या बड़ों ने आपको समझाते वक्त जरूर कही होंगी और उनके माता-पिता या बड़ों ने उन्हें भी कही होंगी. यानी ये बात तय है कि जमाना हमेशा से खराब रहा है और कलयुग भी हजारों साल से चल रहा है. लेकिन अगर कोई मुख्यमंत्री विकास और वोट के नाम पर कलयुग की दुहाई दे, तो चर्चा होना लाजमी है.

दरअसल हिमाचल के मुख्यमंत्री ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि "ये बात पक्की है, मुझे कोई गलत फहमी नहीं है. जहां ज्यादा काम होते हैं वहां ज्यादा वोट पड़ते हैं, वो जमाना चला गया है बहुत पहले. अब वो जमाना नहीं रहा. लाहौल को हमने 3500 करोड़ रुपये की टनल बनाकर दी. जब वोट देने की बारी आई तो अभी देखा आपने हाल में, लोग याद रखते हैं क्या चीजों को ? मैं किसी को दोष नहीं दे रहा हूं ये पूरे देश, प्रदेश और हर जगह की परिस्थिति है क्योंकि सतयुग चला गया है ये कलयुग है." (this is kalyug not satyug)

टीस, अहसास और सच्चाई: मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (CM Jairam thakur) के बयान में ये तीनों चीजें एक साथ हैं. बीते साल के आखिर में हुए उपचुनाव में बीजेपी की हार और लाहौल से वोट ना मिलने की टीस है. लेकिन साथ में इस बात का अहसास भी है कि इसमें जनता का दोष नहीं है और आखिर में सार्वभौमिक सत्य कि सतयुग चला गया, ये कलयुग है.

वैसे सीएम साहब, कलयुग हजारों साल से चल रहा है और ये जनता भी जानती है. हां, किसी नेता की जुबान पर कलयुग या काम करने पर वोट ना मिलने का दर्द बहुत कम ही आता है. क्योंकि नेता वादे करके चले जाते हैं और जनता सड़क, पानी, स्कूल जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए सालों साल तरसती रहती है.

वीडियो.

वैसे भी सिर्फ चुनावों में जनता के द्वार जाने वाले नेताओं को भुगत रही जनता तो ये दर्द सालों से भुगतती आ रही है. नेता चुनावों के दौरान आते हैं, बड़े-बड़े वादे करते हैं और फिर 5 साल बाद ही जनता को नजर आते हैं. जनता हर बार खुद को ठगा हुआ महसूस करती है, ऐसे में उनसे ज्यादा कलयुग किसने भोगा होगा. और आप हैं कि एक उपचुनाव में जनता ने अपने वोट की ताकत क्या दिखा दी, आप कलयुग और सतयुग (kalyug and satyug) की दुहाई देने लगे.

तब भी कलयुग था: मीठा-मीठा गप और कड़वा-कड़वा थू वाला मुहावरा तो आपने भी सुना होगा सीएम साहब. आप पांच बार विधायक बने हैं, इनमें से कोई भी चुनाव सतयुग, द्वापर या त्रेता युग में नहीं हुआ था. हर बार कलयुग था और जनता ने आपको अपना नुमाइंदा चुना.

आप धूमल सरकार में मंत्री भी रहे, तब भी कलयुग था और 2017 में उन्हीं प्रेम कुमार धूमल की हार के बाद आप मुख्यमंत्री बने, तब भी कलयुग ही चल रहा था. भाजयुमो के प्रदेश अध्यक्ष बनने से लेकर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बनने तक आपका पूरा सियासी रिपोर्ट कार्ड कलयुग में चमका और इसी हिमाचल की जनता ने चमकाया, फिर ऐसा क्या हो गया कि आप कलयुग की दुहाई दे रहे हैं

कमबख्त नवंबर डराता है: सीएम साहब के बयान के पीछे बीते साल का नवंबर है, जो उनको गहरी चोट दे गया. एक लोकसभा और तीन विधानसभा सीटों (himachal by election result 2021) पर हुए उपचुनाव में हार मिली तो आह निकलना तो बनता है. बीता नवंबर हार का जख्म दे गया और इस साल का नवंबर भी हर बीतते रोज़ के साथ करीब आ रहा है. बीते साल तो उपचुनाव था, इस बार तो असली परीक्षा है, कुर्सी जो दांव पर होगी. इसलिये और किसी चीज से डर नहीं लगता, नवंबर से डर लगता है. लेकिन इस डर के बीच सीएम साहब को 2017 का वो हसीन दिसंबर भी याद आता होगा जब हिमाचल की सत्ता का ताज उनके सिर सजा.

कुछ भी हो, मगर सीएम साहब आप सच बोलते हैं: वैसे सीएम जयराम ठाकुर कुछ भी कहें सच्चाई उनकी जुबां पर आ ही जाती है. वजह जो भी हो लेकिन सच बोलने से उन्हें जरा भी गुरेज नहीं. नवंबर 2021 में जब उपचुनाव के नतीजे आए और हिमाचल के साथ देशभर में बीजेपी का प्रदर्शन गिरा तो सबसे पहले सीएम जयराम ठाकुर ही थे जिन्होंने कहा कि बीजेपी की हार के पीछे बढ़ती महंगाई सबसे बड़ी वजह है. असर जिसका भी रहा हो लेकिन इस बयान के कुछ घंटों बाद ही केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर लगने वाला टैक्स कम कर दिया, फिर बीजेपी शासित राज्यों ने भी वैट कम किया और कई राज्यों में पेट्रोल की कीमत 100 रुपये प्रति लीटर से नीचे पहुंच गई.

इस बार भी सीएम साहब की जुबां से सच ही निकला है. कलयुग तो चल ही रहा है लेकिन जनता भी समझदार हो गई है. जो अब सिर्फ वादों, भाषणों और झुनझुनों पर यकीन नहीं रखती, उसे वोट की ताकत पता है. जिस ताकत के दम पर उसने आपको ये बयान देने पर मजबूर कर दिया है. वैसे सीएम साहब ये पब्लिक है, ये सब जानती है.

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