रामपुर: प्रदेशभर में रक्षाबंधन के त्योहार की रौनक लगी हुई है. रक्षाबंधन के त्योहार के लिए बाजार सज चुके हैं. इस साल 15 अगस्त को भाई-बहन के प्यार का पवित्र त्योहार रक्षा बंधन मनाया जाना है.
मान्यता के अनुसार रक्षाबंधन के त्योहार का इतिहास काफी रोचक व पुराना है. उल्लेखनीय है कि देवयुग में देवताओं और असुरों में युद्ध हुआ था. असुरों ने देवताओं पर विजय प्राप्त कर ली और देवराज इंद्र के सिंहासन सहित तीनों लोकों को जीत लिया. इसके बाद इंद्रदेव देवताओं के गुरु ग्रह बृहस्पति के पास गए और अपने खोए हुए साम्राज्य को दोबारा हासिल करने के लिए सलाह मांगी.
देवराज इंद्र की आज्ञा पर गुरु बृहस्पति ने इंद्रदेव को मंत्रोच्चारण और रक्षाबंधन करने को कहा. श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन गुरु बृहस्पति ने रक्षाबंधन संस्कार आरंभ किया. इस रक्षा विधान के दौरान मंत्रोच्चारण से रक्षा पोटली को मजबूत किया गया. पूजा के बाद इस पोटली को देवराज इंद्र की पत्नी शचि इंद्राणी ने रक्षा पोटली को देवराज इंद्र के दाहिने हाथ पर बांधा. इसकी ताकत से ही देवराज इंद्र असुरों को हराने और अपना खोया राज्य वापिस हासिल करने में कामयाब हुए. इसी के बाद आज भी यह त्योहार पूरे भारतवर्ष में बड़ी आस्था के साथ मनाया जाता है.
गौर हो कि इस साल स्वतंत्रता दिवस के दिन ही रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाएगा. इस अवसर पर पूरे देश में खुशी का माहौल है. बाजारों में कई तरह की राखियां बेची जा रही हैं. इस अवसर पर दूर-दूर से बहनें राखि बांधने के लिए भाइयों के पास आती है.