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राखियों से बाजारों में बढ़ी रौनक, जानें क्यों मनाया जाता है रक्षाबंधन

प्रदेशभर में रक्षाबंधन की रौनक लगी हुई है. भाई-बहन के पवित्र त्योहार के लिए बाजार सज चुके हैं और पूरे प्रदेश में खूशी का माहौल है. रक्षाबंधन के त्योहार का वर्णन वेदों में भी मिलता है.

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Published : Aug 14, 2019, 7:45 PM IST

राखियों से बाजारों में बढ़ी रौनक.

रामपुर: प्रदेशभर में रक्षाबंधन के त्योहार की रौनक लगी हुई है. रक्षाबंधन के त्योहार के लिए बाजार सज चुके हैं. इस साल 15 अगस्त को भाई-बहन के प्यार का पवित्र त्योहार रक्षा बंधन मनाया जाना है.

मान्यता के अनुसार रक्षाबंधन के त्योहार का इतिहास काफी रोचक व पुराना है. उल्लेखनीय है कि देवयुग में देवताओं और असुरों में युद्ध हुआ था. असुरों ने देवताओं पर विजय प्राप्त कर ली और देवराज इंद्र के सिंहासन सहित तीनों लोकों को जीत लिया. इसके बाद इंद्रदेव देवताओं के गुरु ग्रह बृहस्पति के पास गए और अपने खोए हुए साम्राज्य को दोबारा हासिल करने के लिए सलाह मांगी.

देवराज इंद्र की आज्ञा पर गुरु बृहस्पति ने इंद्रदेव को मंत्रोच्चारण और रक्षाबंधन करने को कहा. श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन गुरु बृहस्पति ने रक्षाबंधन संस्कार आरंभ किया. इस रक्षा विधान के दौरान मंत्रोच्चारण से रक्षा पोटली को मजबूत किया गया. पूजा के बाद इस पोटली को देवराज इंद्र की पत्नी शचि इंद्राणी ने रक्षा पोटली को देवराज इंद्र के दाहिने हाथ पर बांधा. इसकी ताकत से ही देवराज इंद्र असुरों को हराने और अपना खोया राज्य वापिस हासिल करने में कामयाब हुए. इसी के बाद आज भी यह त्योहार पूरे भारतवर्ष में बड़ी आस्था के साथ मनाया जाता है.

गौर हो कि इस साल स्वतंत्रता दिवस के दिन ही रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाएगा. इस अवसर पर पूरे देश में खुशी का माहौल है. बाजारों में कई तरह की राखियां बेची जा रही हैं. इस अवसर पर दूर-दूर से बहनें राखि बांधने के लिए भाइयों के पास आती है.

रामपुर: प्रदेशभर में रक्षाबंधन के त्योहार की रौनक लगी हुई है. रक्षाबंधन के त्योहार के लिए बाजार सज चुके हैं. इस साल 15 अगस्त को भाई-बहन के प्यार का पवित्र त्योहार रक्षा बंधन मनाया जाना है.

मान्यता के अनुसार रक्षाबंधन के त्योहार का इतिहास काफी रोचक व पुराना है. उल्लेखनीय है कि देवयुग में देवताओं और असुरों में युद्ध हुआ था. असुरों ने देवताओं पर विजय प्राप्त कर ली और देवराज इंद्र के सिंहासन सहित तीनों लोकों को जीत लिया. इसके बाद इंद्रदेव देवताओं के गुरु ग्रह बृहस्पति के पास गए और अपने खोए हुए साम्राज्य को दोबारा हासिल करने के लिए सलाह मांगी.

देवराज इंद्र की आज्ञा पर गुरु बृहस्पति ने इंद्रदेव को मंत्रोच्चारण और रक्षाबंधन करने को कहा. श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन गुरु बृहस्पति ने रक्षाबंधन संस्कार आरंभ किया. इस रक्षा विधान के दौरान मंत्रोच्चारण से रक्षा पोटली को मजबूत किया गया. पूजा के बाद इस पोटली को देवराज इंद्र की पत्नी शचि इंद्राणी ने रक्षा पोटली को देवराज इंद्र के दाहिने हाथ पर बांधा. इसकी ताकत से ही देवराज इंद्र असुरों को हराने और अपना खोया राज्य वापिस हासिल करने में कामयाब हुए. इसी के बाद आज भी यह त्योहार पूरे भारतवर्ष में बड़ी आस्था के साथ मनाया जाता है.

गौर हो कि इस साल स्वतंत्रता दिवस के दिन ही रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाएगा. इस अवसर पर पूरे देश में खुशी का माहौल है. बाजारों में कई तरह की राखियां बेची जा रही हैं. इस अवसर पर दूर-दूर से बहनें राखि बांधने के लिए भाइयों के पास आती है.

Intro:रामपुर बुशहर 14 अगस्त मीनाक्षी


Body:रक्षा बंधन का त्योहार आज भी खुब धूम धाम से मनाया जाता है । राखी लेने के लिए महिलाएं बाजारों में दुर दुर से भी पहुंचती है । यह त्योहार भाई बहन के अटूट प्रेम, स्नेह को भी दर्शाता है । इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधने के लिए काफी उत्साहित रहती है ।
बता दें कि रक्षाबंधन का त्यौहार व परम्परा और इतिहास काफी रोचक व पुराना है । उल्लेखनीय है कि देवयुग में देवताओं और असुरों में युद्ध छिडा था। यह युद्ध लगातार चलता गया और अंत में असुरों ने देवताओं पर विजय प्राप्त की
और देवराज इंद्र के सिंहासन सहित तीनों लोगों को जीत लिया इसके बाद इंद्रदेव देवताओं के गुरु ग्रह बृहस्पति के पास गए और सलाह मांगी बृहस्पति ने इन्हें मंत्रोच्चारण के साथ रक्षा बंधन करने को कहा श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन गुरु बृहस्पति ने रक्षाबंधन संस्कार आरंभ किया इस रक्षा विधान के दौरान मंत्रोच्चारण से रक्षा पोटली को मजबूत किया गया। पूजा के बाद इस पोटली को देवराज इंद्र की पत्नी शचि इंद्राणी ने इस रक्षा पोटली को देवराज इंद्र के दाहिने हाथ पर बांधा इसकी ताकत से ही देवराज इंद्र असुरों को हराने और अपना खोया राज्य वापस पाने में कामयाब हुए ।
इसी को लेकर आज भी यह त्योहार आज भी खुब धूम धाम से मनाया जाता है ।
आज बाजार में कई प्रकार की राखियाँ बेची जा रही है जिनमें 10 रुपए से लेकर 3 सो तक इसके साथ बच्चो के लिए भी राखियाँ रखी गई है ।



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