शिमला: सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने जानकारी देते हुए कहा कि सीटू के अखिल भारतीय आह्वान पर मजदूरों के मुद्दों पर आंदोलन को तेज करने का निर्णय लिया गया है. श्रम कानूनों को खत्म कर बनाई गईं मजदूर विरोधी चार श्रम संहिताओं,न्यूनतम वेतन 21 हजार रुपये घोषित करने,आंगनबाड़ी, मिड डे मील व आशा वर्कर को सरकारी कर्मचारी घोषित करने व हरियाणा की तर्ज पर वेतन देने की मांग की है.
सड़कों पर आंदोलन करेंगे मजदूर
इसके साथ ही सीटू ने फिक्स टर्म, ठेका, पार्ट टाइम, टेम्परेरी व कॉन्ट्रैक्ट रोजगार पर अंकुश लगाने, नई पेंशन नीति के बदले ओल्ड पेंशन स्कीम को बहाल करने, मनरेगा में दो सौ दिन का रोजगार देने, आउटसोर्स कर्मियों के लिए नीति बनाने, आठ के बजाए बारह घण्टे ड्यूटी करने के खिलाफ, कोरोना काल में हुई करोड़ों मजदूरों की छंटनी, भारी बेरोजगारी, हर आयकर मुक्त परिवार को 7500 रुपये की आर्थिक मदद, हर व्यक्ति को दस किलो राशन की सुविधा, मजदूरों के वेतन में कटौती, ईपीएफ व ईएसआई की राशि में कटौती, किसान विरोधी तीन कानूनों व बिजली विधेयक 2020 के खिलाफ मजदूर सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेंगे.
24 से 31 जनवरी तक प्रदेश और केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन
उन्होंने कहा है कि हिमाचल प्रदेश में मजदूरों व किसानों के इन मुद्दों पर 30 दिसम्बर को प्रदेशभर में फैक्ट्री, उद्योग, एसटीपी, होटल, रेहड़ी फड़ी, आंगनबाड़ी, मिड डे मील, ट्रांसपोर्ट, हाइड्रो प्रोजेक्ट, स्वास्थ्य, बिजली, निर्माण, मनरेगा आदि से सम्बंधित सैंकड़ों कार्यस्थलों पर जोरदार प्रदर्शन किए जाएंगे. इसी कड़ी में आंदोलन को तेज करते हुए 7-8 जनवरी 2020 को ब्लॉक व जिला मुख्यालयों पर जेल भरो,चक्का जाम व गिरफ्तारियां दी जाएंगी. आंदोलन के अगले पड़ाव में 24 से 31 जनवरी तक प्रदेश के विभिन्न जिलों में जत्थे चलाकर केंद्र व राज्य सरकार की मजदूर व किसान विरोधी नीतियों का पर्दाफाश किया जाएगा.
विधानसभा के अगले सत्र में हल्लाबोल की चेतावनी
इस दौरान शिमला, कुल्लू व हमीरपुर से विभिन्न जिलों के लिए तीन जत्थे चलाए जाएंगे. आंदोलन के पहले चरण का समापन विधानसभा सत्र के दौरान विधानसभा पर मजदूरों के विराट प्रदर्शन के रूप में होगा, जिसमें हजारों मजदूर विधानसभा पर हल्ला बोलेंगे व सरकार को मजदूर मांगों को मानने के लिए मजबूर किया जाएगा.
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