शिमला: मजदूरों के श्रम कानून को खत्म करने के विरोध मे सीटू ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. दरअसल सीटू इसके विरोध में सड़कों पर उतर कर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करेगी और सीटू अब श्रम कानून के मुद्दे को लेकर विधान सभा बजट सत्र के पहले सप्ताह मे विधान सभा के बाहर प्रदर्शन करेगी.
इन मांगों को लेकर सीटू करेगी प्रदर्शन
चार श्रम संहिताओं के खिलाफ न्यूनतम वेतन 21 हजार रुपये घोषित करना, आंगनबाड़ी, मिड डे मील , आशा कार्यकर्ता को सरकारी कर्मचारी घोषित करना, हरियाणा की तर्ज पर वेतन देना, फिक्स टर्म, ठेका, पार्ट टाइम और आठ के बजाए बारह घंटे डयूटी करना, कोरोना काल में हुई करोड़ों मजदूरों की छंटनी, भारी बेरोजगारी, हर आयकर मुक्त परिवार को 7500 रुपये की आर्थिक मदद.
हर व्यक्ति को दस किलो राशन की सुविधा, मजदूरों के वेतन में कटौती, ईपीएफ व ईएसआई की राशि में कटौती और किसान विरोधी तीन कानूनों व बिजली विधेयक 2020 के खिलाफ हिमाचल प्रदेश के मजदूर सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन करेंगे.
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में मजदूरों व किसानों के इन मुद्दों पर प्रदेशभर में फैक्टरी, उद्योग,एसटीपी,होटल,रेहड़ी-फड़ी,आंगनबाड़ी,मिड डे मील,ट्रांसपोर्ट,स्वास्थ्य विभाग और बिजली विभाग से संबंधित सैंकड़ों कार्यस्थलों पर जोरदार प्रदर्शन किए जाएंगे.
उन्होंने कहा कि आंदोलन के अगले चरण में 15 से 31 जनवरी तक प्रदेश के विभिन्न जिलों में जत्थे चलाकर केंद्र व राज्य सरकार की मजदूर व किसान विरोधी नीतियों का पर्दाफाश किया जाएगा.
विधानसभा सत्र के दौरान होगा महा प्रदर्शन
शिमला,कुल्लू व हमीरपुर से विभिन्न जिलों के लिए तीन जत्थे चलाए जाएंगे विधानसभा सत्र के दौरान विधानसभा में मजदूरों का महाप्रदर्शन होगा, जिसमें हजारों मजदूर विधानसभा पर हल्ला बोलेंगे और सरकार को मांगे मानने के लिए मजबूर करेंगे.
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