शिमलाः निजी स्कूलों की मनमानी के विरोध में वीरवार को अभिभावकों ने छात्र अभिभावक मंच के बैनर तले प्रदेश विधानसभा के बाहर प्रदर्शन किया. काफी संख्या में अभिभावक इस प्रदर्शन में शामिल हुए और निजी स्कूलों के साथ ही सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.
पुलिस के कड़े पहरे के बीच मंच का यह प्रदर्शन हुआ जिसमें सरकार से निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने की मांग उठाई गई. इस प्रदर्शन के माध्यम से छात्र अभिभावक मंच ने मांग कि है कि इसी विधानसभा सत्र में निजी स्कूलों के संचालकों पर रेगुलेशन के लिए कानून लाया जाए.
मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा कि प्रदेश में निजी स्कूल लगातार मनमानी कर रहे हैं और भारी-भरकम फीस वसूल रहे हैं, लेकिन उन पर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. शिक्षा विभाग प्रदेश सरकार को निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए 1 साल पहले कानून का प्रस्ताव सौंप दिया गया था, लेकिन सरकार अब तक इस प्रस्ताव को विधानसभा में प्रस्तुत नहीं किया है.
उन्होंने कहा कि अगर वास्तव में प्रदेश सरकार निजी स्कूलों के लाखों छात्रों और अभिभावकों के लिए गंभीर है तो इसी विधानसभा सत्र में इस प्रस्ताव को पेश किया जाए और निजी स्कूलों के संचालकों के लिए कानून पारित किया जाए. उनका कहना है कि 1997 के कानून और वर्ष 2003 के नियमों में निजी स्कूलों को संचालित करने का कोई प्रावधान नहीं है. इसके लिए यह आवश्यक हो जाता है कि इन निजी स्कूलों के लिए कानून बनाया जाए.
निजी स्कूलों के संचालन के लिए उच्च शिक्षा विभाग की तर्ज पर रेगुलेटरी कमीशन बनाया जाए. इसके साथ ही राज्य सलाहकार परिषद का गठन करने की मांग भी छात्र अभिभावक मंच ने की है. उनका कहना है कि कोविड-19 के संकट के दौर में सरकार ने जब निजी स्कूलों को मात्र ट्यूशन फीस लेने के आदेश जारी किए थे. इन आदेशों के बाद भी निजी स्कूलों की मनमानी से फीस वसूली. अब उनकी मांग है कि सभी स्कूल अपनी फीस बुकलेट जारी करें जिसमें फीस का ब्यौरा सार्वजनिक किया जाए.
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