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स्कॉलरशिप स्कैम: हिमाचल समेत पड़ोसी राज्यों में CBI की रेड, जानिए करोड़ों के घोटाले की पूरी कहानी

अमूमन हिमाचल प्रदेश को ईमानदार राज्य माना जाता है, लेकिन देवभूमि हिमाचल की ये पहचान स्कॉलरशिप घोटाले से तार-तार हो गई है. दो सौ करोड़ रुपये से अधिक के स्कॉलरशिप स्कैम में कदम-कदम पर धांधली हुई है. मामला गंभीर होने के कारण जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने मामला सीबीआई जांच को सौंपी.

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Published : May 13, 2019, 9:44 PM IST

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शिमला: हिमाचल प्रदेश के बहुचर्चित स्कॉलरशिप स्कैम को लेकर सोमवार को सीबीआई ने कई संस्थानों में छापेमारी की. मामले में सीबीआई ने पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ में स्थित करीब 22 शैक्षणिक संस्थानों के परिसरों की तलाशी ली है.

छात्रवृति घोटाले को लेकर सीबीआई द्वारा की गई कार्रवाई से संस्थानों में हड़कंप मच गया. इस रेड में जम्मू चंडीगढ़ और शिमला से टीमो ने भाग लिया है. ये रेड हिमाचल प्रदेश के कई भागों में भी हुई है. हिमाचल में सीबीआई ने हरोली, बाथू, पंडोगा, सोलन के बद्दी समेत शिमला के भी कॉलेज में भी रेड डाली. जिन संस्थानों में सीबीआई ने रेड हुए उनमें से कई कॉलेजिस के प्रबंधकों के सियासी दलों से नजदीकी रिश्ता है.

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सीबीआई (डिजाइन फोटो)

बता दें कि ये मामला हिमाचल सरकार ने जांच के लिए सीबीआई को सौंपा था. बताया जा रहा है कि छात्रवृति घोटाले के तार पड़ोसी राज्य पंजाब और हरियाणा समेत दूसरे राज्यों में भी फैले हुए हैं. उन सभी संस्थानों पर सीबीआई दबिश दे रही है. छात्रवृति से जुड़े दस्तावेजों को कब्जे में लिया जा रहा है.

पढ़ें- ग्रैंड होटल में आगजनी के कारणों की जांच के लिए समिति का गठन, जल्द रिपोर्ट देने के निर्देश

छात्रवृति घोटाले को लेकर सीबीआई ने पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश यूनियन टेरिटरी चंडीगढ़ के ऊना, करनाल, मोहाली, नवांशहर, अंबाला, शिमला, सिरमौर, सोलन, बिलासपुर, चंबा, गुरदासपुर और कांगड़ा में छापेमारी की. इन निजी शिक्षण संस्थानों में कथित रूप से हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा छात्रवृति राशि का वितरण करने का आरोप है. मौके से सीबीआई ने कंप्यूटर हार्ड डिस्क और अन्य महत्वपूर्ण सामान जब्त किए हैं.

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ये है स्कॉलरशिप घोटाले की पूरी कहानी
अमूमन हिमाचल प्रदेश को ईमानदार राज्य माना जाता है, लेकिन देवभूमि हिमाचल की ये पहचान स्कॉलरशिप घोटाले से तार-तार हो गई है. दो सौ करोड़ रुपये से अधिक के स्कॉलरशिप स्कैम में कदम-कदम पर धांधली हुई है. मामला गंभीर होने के कारण जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने मामला सीबीआई जांच को सौंपा है. अब तक की छानबीन से ये साफ हो गया है कि स्कॉलरशिप के करोड़ों रुपयों की बंदरबांट की गई. दस्तावेजों की जांच किए बिना ही पैसा बांट दिया गया.

पढ़ें- भागासिद्ध खलाड़ा मंदिर प्रतिष्ठा में उमड़ा भक्तों का जनसैलाब, 15 देवी-देवताओं ने हाजिरी भरी

वित्तीय वर्ष 2013-14 में स्कॉलरशिप का ऑनलाइन पोर्टल तैयार हुआ. उसके बाद से अब तक की गतिविधियों की विभागीय जांच बताती है कि स्कालरशिप की 200 करोड़ की रकम निजी शिक्षण संस्थानों के खाते में डाल दी गई. हैरानी की बात है कि कुल 56 करोड़ की राशि ही सरकारी संस्थानों में अध्ययन करने वाले बच्चों के खाते में जमा हुई. अरसे से कई छात्र शिक्षा विभाग में शिकायत कर रहे थे कि उन्हें स्कॉलरशिप का पैसा नहीं मिल रहा है, लेकिन किसी ने भी इन शिकायतों पर कान नहीं धरा.

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हिमाचल प्रदेश के स्कूली छात्र (फाइल फोटो)

शिक्षा विभाग के अनुसार केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं के तहत विभाग छात्रवृत्ति में पहले अपने हिस्से की रकम डाल कर देता है. इसके बाद इस राशि का उपयोगिता प्रमाण (यूसी) पत्र केंद्र को भेजा जाता है. केंद्र सरकार इसके बाद अपने हिस्से की रकम जारी करती है. धांधली ये है कि शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने उपयोगिता प्रमाण पत्र भेजने में भी दस्तावेजों की हेराफेरी की. स्कॉलरशिप की रकम किस संस्थान में पढ़ रहे किस छात्र को दी गई, इसकी कोई जानकारी ही नहीं है. जब कोई रोकटोक नहीं हुई तो भ्रष्ट तंत्र मलाई खाने में बेखौफ होकर जुट गया.

जनजातीय जिलों के छात्रों को नहीं मिली स्कॉलरशिप की राशि
हिमाचल के जनजातीय जिलों के स्टूडेंट्स के नाम पर भी करीब 50 करोड़ की रकम जमा हुई, लेकिन लाहौल स्पीति से शिकायतें आई कि छात्रों को स्कॉलरशिप का भुगतान ही नहीं हुआ है. धीरे-धीरे परतें खुलने लगी और वर्ष 2016 में कैग ने छात्रवृत्ति की 8 करोड़ की रकम गैर यूजीसी मान्यता हासिल संस्थानों को बांटने का मामला उजागर किया. फिर भी शिक्षा विभाग के कानों में जूं नहीं रेंगी.

पढ़ें- शिमला पहुंचे आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत, सैनिक क्षेत्र का लेंगे जायजा

शिक्षा विभाग ने कैग की रिपोर्ट पर जवाब दिया कि छात्रवृत्ति की राशि आबंटन में यह नहीं लिखा गया है कि सिर्फ यूजीसी की तरफ से मान्यता हासिल संस्थानों में पढ़ रहे छात्र-छात्राओं को ही इस राशि का भुगतान किया जा सकता है. बताया जा रहा है कि अनुसूचित जाति, जनजाति व ओबीसी वर्ग के छात्र-छात्राओं को दसवीं से पहले और उसके बाद मिलने वाली स्कॉलरशिप के मामले को ही अभी तक खंगाला गया है. ऐसे में जाहिर है कि अभी इस स्कैम की और भी कई परतें उखड़ेंगी.

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हिमाचल प्रदेश के स्कूली छात्र (फाइल फोटो)

गौर हो कि मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद केंद्र व प्रदेश सरकार की 20 से अधिक योजनाओं के तहत स्कॉलरशिप दी जाती है. स्कॉलरशिप योजना 2013 से पहले ऑनलाइन नहीं थी, लिहाजा इससे पहले के घोटाले को पकड़ पाना खासा मुश्किल है, लेकिन सारी प्रक्रिया ऑनलाइन होने के बाद से ही गैर मान्यता प्राप्त व मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थानों में छात्रों के फर्जी बैंक अकाउंट खोल कर एक ही संपर्क नंबर बताते हुए घोटाला किया गया.

पढ़ें- ऐतिहासिक ग्रैंड होटल इस गवर्नर जनरल का होता था बैंटिक काउंसिल, जानें पूरा इतिहास

एक ही संस्थान में सिर्फ एक साल में अनुसूचित जाति के छात्र-छात्राओं के नाम पर करोड़ों का भुगतान फर्जी तरीके से हुआ. और तो और संस्थानों में प्रवेश लेने वाले सभी छात्रों के बैंक खाते भी एक ही बैंक में दिखाए गए. राज्य सरकार के शिक्षा सचिव डॉ. अरुण शर्मा ने इस घोटाले की परतें उखाड़ने में काफी सक्रियता से काम किया.

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हाल ये था कि पांच साल से चल रही धांधली को सभी आंखें मूंद कर देख रहे थे. इस मामले में राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्री डॉ. रामलाल मारकंडा सहित अन्यों ने भी शिकायत की थी. फिलहाल 200 करोड़ रुपये से अधिक की इस धांधली में अब सीबीआई जांच के बाद ही सारे तथ्यों का खुलासा होगा.

शिमला: हिमाचल प्रदेश के बहुचर्चित स्कॉलरशिप स्कैम को लेकर सोमवार को सीबीआई ने कई संस्थानों में छापेमारी की. मामले में सीबीआई ने पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ में स्थित करीब 22 शैक्षणिक संस्थानों के परिसरों की तलाशी ली है.

छात्रवृति घोटाले को लेकर सीबीआई द्वारा की गई कार्रवाई से संस्थानों में हड़कंप मच गया. इस रेड में जम्मू चंडीगढ़ और शिमला से टीमो ने भाग लिया है. ये रेड हिमाचल प्रदेश के कई भागों में भी हुई है. हिमाचल में सीबीआई ने हरोली, बाथू, पंडोगा, सोलन के बद्दी समेत शिमला के भी कॉलेज में भी रेड डाली. जिन संस्थानों में सीबीआई ने रेड हुए उनमें से कई कॉलेजिस के प्रबंधकों के सियासी दलों से नजदीकी रिश्ता है.

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सीबीआई (डिजाइन फोटो)

बता दें कि ये मामला हिमाचल सरकार ने जांच के लिए सीबीआई को सौंपा था. बताया जा रहा है कि छात्रवृति घोटाले के तार पड़ोसी राज्य पंजाब और हरियाणा समेत दूसरे राज्यों में भी फैले हुए हैं. उन सभी संस्थानों पर सीबीआई दबिश दे रही है. छात्रवृति से जुड़े दस्तावेजों को कब्जे में लिया जा रहा है.

पढ़ें- ग्रैंड होटल में आगजनी के कारणों की जांच के लिए समिति का गठन, जल्द रिपोर्ट देने के निर्देश

छात्रवृति घोटाले को लेकर सीबीआई ने पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश यूनियन टेरिटरी चंडीगढ़ के ऊना, करनाल, मोहाली, नवांशहर, अंबाला, शिमला, सिरमौर, सोलन, बिलासपुर, चंबा, गुरदासपुर और कांगड़ा में छापेमारी की. इन निजी शिक्षण संस्थानों में कथित रूप से हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा छात्रवृति राशि का वितरण करने का आरोप है. मौके से सीबीआई ने कंप्यूटर हार्ड डिस्क और अन्य महत्वपूर्ण सामान जब्त किए हैं.

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ये है स्कॉलरशिप घोटाले की पूरी कहानी
अमूमन हिमाचल प्रदेश को ईमानदार राज्य माना जाता है, लेकिन देवभूमि हिमाचल की ये पहचान स्कॉलरशिप घोटाले से तार-तार हो गई है. दो सौ करोड़ रुपये से अधिक के स्कॉलरशिप स्कैम में कदम-कदम पर धांधली हुई है. मामला गंभीर होने के कारण जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने मामला सीबीआई जांच को सौंपा है. अब तक की छानबीन से ये साफ हो गया है कि स्कॉलरशिप के करोड़ों रुपयों की बंदरबांट की गई. दस्तावेजों की जांच किए बिना ही पैसा बांट दिया गया.

पढ़ें- भागासिद्ध खलाड़ा मंदिर प्रतिष्ठा में उमड़ा भक्तों का जनसैलाब, 15 देवी-देवताओं ने हाजिरी भरी

वित्तीय वर्ष 2013-14 में स्कॉलरशिप का ऑनलाइन पोर्टल तैयार हुआ. उसके बाद से अब तक की गतिविधियों की विभागीय जांच बताती है कि स्कालरशिप की 200 करोड़ की रकम निजी शिक्षण संस्थानों के खाते में डाल दी गई. हैरानी की बात है कि कुल 56 करोड़ की राशि ही सरकारी संस्थानों में अध्ययन करने वाले बच्चों के खाते में जमा हुई. अरसे से कई छात्र शिक्षा विभाग में शिकायत कर रहे थे कि उन्हें स्कॉलरशिप का पैसा नहीं मिल रहा है, लेकिन किसी ने भी इन शिकायतों पर कान नहीं धरा.

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हिमाचल प्रदेश के स्कूली छात्र (फाइल फोटो)

शिक्षा विभाग के अनुसार केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं के तहत विभाग छात्रवृत्ति में पहले अपने हिस्से की रकम डाल कर देता है. इसके बाद इस राशि का उपयोगिता प्रमाण (यूसी) पत्र केंद्र को भेजा जाता है. केंद्र सरकार इसके बाद अपने हिस्से की रकम जारी करती है. धांधली ये है कि शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने उपयोगिता प्रमाण पत्र भेजने में भी दस्तावेजों की हेराफेरी की. स्कॉलरशिप की रकम किस संस्थान में पढ़ रहे किस छात्र को दी गई, इसकी कोई जानकारी ही नहीं है. जब कोई रोकटोक नहीं हुई तो भ्रष्ट तंत्र मलाई खाने में बेखौफ होकर जुट गया.

जनजातीय जिलों के छात्रों को नहीं मिली स्कॉलरशिप की राशि
हिमाचल के जनजातीय जिलों के स्टूडेंट्स के नाम पर भी करीब 50 करोड़ की रकम जमा हुई, लेकिन लाहौल स्पीति से शिकायतें आई कि छात्रों को स्कॉलरशिप का भुगतान ही नहीं हुआ है. धीरे-धीरे परतें खुलने लगी और वर्ष 2016 में कैग ने छात्रवृत्ति की 8 करोड़ की रकम गैर यूजीसी मान्यता हासिल संस्थानों को बांटने का मामला उजागर किया. फिर भी शिक्षा विभाग के कानों में जूं नहीं रेंगी.

पढ़ें- शिमला पहुंचे आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत, सैनिक क्षेत्र का लेंगे जायजा

शिक्षा विभाग ने कैग की रिपोर्ट पर जवाब दिया कि छात्रवृत्ति की राशि आबंटन में यह नहीं लिखा गया है कि सिर्फ यूजीसी की तरफ से मान्यता हासिल संस्थानों में पढ़ रहे छात्र-छात्राओं को ही इस राशि का भुगतान किया जा सकता है. बताया जा रहा है कि अनुसूचित जाति, जनजाति व ओबीसी वर्ग के छात्र-छात्राओं को दसवीं से पहले और उसके बाद मिलने वाली स्कॉलरशिप के मामले को ही अभी तक खंगाला गया है. ऐसे में जाहिर है कि अभी इस स्कैम की और भी कई परतें उखड़ेंगी.

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हिमाचल प्रदेश के स्कूली छात्र (फाइल फोटो)

गौर हो कि मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद केंद्र व प्रदेश सरकार की 20 से अधिक योजनाओं के तहत स्कॉलरशिप दी जाती है. स्कॉलरशिप योजना 2013 से पहले ऑनलाइन नहीं थी, लिहाजा इससे पहले के घोटाले को पकड़ पाना खासा मुश्किल है, लेकिन सारी प्रक्रिया ऑनलाइन होने के बाद से ही गैर मान्यता प्राप्त व मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थानों में छात्रों के फर्जी बैंक अकाउंट खोल कर एक ही संपर्क नंबर बताते हुए घोटाला किया गया.

पढ़ें- ऐतिहासिक ग्रैंड होटल इस गवर्नर जनरल का होता था बैंटिक काउंसिल, जानें पूरा इतिहास

एक ही संस्थान में सिर्फ एक साल में अनुसूचित जाति के छात्र-छात्राओं के नाम पर करोड़ों का भुगतान फर्जी तरीके से हुआ. और तो और संस्थानों में प्रवेश लेने वाले सभी छात्रों के बैंक खाते भी एक ही बैंक में दिखाए गए. राज्य सरकार के शिक्षा सचिव डॉ. अरुण शर्मा ने इस घोटाले की परतें उखाड़ने में काफी सक्रियता से काम किया.

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डिजाइन फोटो

हाल ये था कि पांच साल से चल रही धांधली को सभी आंखें मूंद कर देख रहे थे. इस मामले में राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्री डॉ. रामलाल मारकंडा सहित अन्यों ने भी शिकायत की थी. फिलहाल 200 करोड़ रुपये से अधिक की इस धांधली में अब सीबीआई जांच के बाद ही सारे तथ्यों का खुलासा होगा.

CBI has today conducted searches at the premises of around 22 educational institutions spread over the States of Punjab, Haryana, Himachal Pradesh & UT Chandigarh including Una, Karnal, Mohali, Nawanshahr, Ambala, Shimla, Sirmour, Solan, Bilaspur, Chamba, Gurdaspur, Kangra etc. wherein disbursement of alleged scholarships was obtained by the private educational institutions from the Govt. of Himachal Pradesh.

CBI had registered a case u/s 409, 419, 465, 466 & 471 of IPC alleging fraud in disbursement of Rs. 250 crore (approx) of Pre-Matric & Post-Matric scholarships in the State and Centrally sponsored schemes for SC/ST/OBC/MC students and non-receipt of such scholarships by the students. The investigation of the case was taken up by CBI on the request of Himachal Pradesh Government.

Investigation is continuing.

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