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NSUI ने किया सचिवालय का घेराव, पुलिस और स्टूडेंट्स के बीच हुई धक्कामुक्की

शिमला सचिवालय के बाहर एनएसयूआई कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच धक्कामुक्की हुई. छात्र अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहा थे. पुलिस के रोकने पर स्टूडेंट्स ने पुलिस के बेरिकेट्स को बलपूर्वक लांघने का प्रयास किया. पुलिस ने कानून नियम तोड़ने के लिए 20 छात्रों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है.

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Published : Sep 26, 2019, 7:55 PM IST

शिमला: प्रदेश के कॉलेजों में लागू वार्षिक रूसा प्रणाली के तहत 22 हजार छात्रों के भविष्य को लेकर और छात्र संघ चुनाव को बहाल न करने के विरोध में एनएसयूआई ने गुरुवार को शिमला में सचिवालय का घेराव किया.

गुरुवार को काफी संख्या में छात्र पहले तो कांग्रेस पार्टी कार्यालय शिमला में इकट्ठे हुए और उसके बाद सचिवालय की ओर अपनी मांगों को लेकर मार्च करने लगे. एनएसयूआई के इन छात्रों को पुलिस ने पहले हाईकोर्ट के पास रोका, लेकिन छात्र वहां से भागकर सचिवालय पहुंच गए.

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पुलिस ने छोटा शिमला के पास छात्रों को सचिवालय गेट से पीछे रोक लिया. इस दौरान छात्रों ने पुलिस के बैरिकेट्स को बलपूर्वक हटाने का प्रयास किया, जिसमें स्टूडेंट्स की पुलिस के साथ हल्की धक्कामुकी भी हुई. एनएसयूआई के एचपीयू अध्यक्ष वीनू मेहता ने कहा कि सरकार ने रूसा को समाप्त करने का वादा किया था, लेकिन सरकार ने इस प्रणाली को वार्षिक करके छोड़ दिया.

छात्र संघ ने एचपीयू प्रबंधन पर स्टूडेंट्स के भविष्य को दांव पर लगाने का आरोप लगाया है. हाल ही में वार्षिक प्रणाली के तहत आए एचपीयू के रिजल्ट में प्रदेशभर के कॉलेजों के करीब 22 हजार छात्र फेल हो गए हैं, जिन्हें दोबारा से पहले वर्ष में बैठना पड़ रहा है.

एनएसयूआई ने मांग की है रूसा के तहत रीएवेलुएशन फीस 300 रुपये और करेक्शन फीस 600 रुपये ली जा रही है जिसे कम किया जाए. इसके साथ ही एनएसयूआई ने प्रदेश सराकर से छात्र संघ चुनाव को बहाल करने की मांग की है.
वहीं, उप पुलिस अधीक्षक प्रवीर ठाकुर ने कहा की एनएसयूआई के पास सचिवालय के घेराव कि अनुमति नहीं थी. ऐसे में जब छात्र कांग्रेस कार्यालय से सचिवालय कि ओर चले तो मुख्यमंत्री आवास के पास बेरिगेट्स लगाकर रोकने का प्रयास किया गया, लेकिन छात्र वहां से भाग गए. छात्र कानून का उल्लंघन कर सचिवालय तक पहुंचे और सचिवालय का घेराव किया. उन्होंने कहा कि कानून तोड़ने की कोशिश करने के चलते करीब 20 छात्रों पर मामला दर्ज किया गया है.

शिमला: प्रदेश के कॉलेजों में लागू वार्षिक रूसा प्रणाली के तहत 22 हजार छात्रों के भविष्य को लेकर और छात्र संघ चुनाव को बहाल न करने के विरोध में एनएसयूआई ने गुरुवार को शिमला में सचिवालय का घेराव किया.

गुरुवार को काफी संख्या में छात्र पहले तो कांग्रेस पार्टी कार्यालय शिमला में इकट्ठे हुए और उसके बाद सचिवालय की ओर अपनी मांगों को लेकर मार्च करने लगे. एनएसयूआई के इन छात्रों को पुलिस ने पहले हाईकोर्ट के पास रोका, लेकिन छात्र वहां से भागकर सचिवालय पहुंच गए.

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पुलिस ने छोटा शिमला के पास छात्रों को सचिवालय गेट से पीछे रोक लिया. इस दौरान छात्रों ने पुलिस के बैरिकेट्स को बलपूर्वक हटाने का प्रयास किया, जिसमें स्टूडेंट्स की पुलिस के साथ हल्की धक्कामुकी भी हुई. एनएसयूआई के एचपीयू अध्यक्ष वीनू मेहता ने कहा कि सरकार ने रूसा को समाप्त करने का वादा किया था, लेकिन सरकार ने इस प्रणाली को वार्षिक करके छोड़ दिया.

छात्र संघ ने एचपीयू प्रबंधन पर स्टूडेंट्स के भविष्य को दांव पर लगाने का आरोप लगाया है. हाल ही में वार्षिक प्रणाली के तहत आए एचपीयू के रिजल्ट में प्रदेशभर के कॉलेजों के करीब 22 हजार छात्र फेल हो गए हैं, जिन्हें दोबारा से पहले वर्ष में बैठना पड़ रहा है.

एनएसयूआई ने मांग की है रूसा के तहत रीएवेलुएशन फीस 300 रुपये और करेक्शन फीस 600 रुपये ली जा रही है जिसे कम किया जाए. इसके साथ ही एनएसयूआई ने प्रदेश सराकर से छात्र संघ चुनाव को बहाल करने की मांग की है.
वहीं, उप पुलिस अधीक्षक प्रवीर ठाकुर ने कहा की एनएसयूआई के पास सचिवालय के घेराव कि अनुमति नहीं थी. ऐसे में जब छात्र कांग्रेस कार्यालय से सचिवालय कि ओर चले तो मुख्यमंत्री आवास के पास बेरिगेट्स लगाकर रोकने का प्रयास किया गया, लेकिन छात्र वहां से भाग गए. छात्र कानून का उल्लंघन कर सचिवालय तक पहुंचे और सचिवालय का घेराव किया. उन्होंने कहा कि कानून तोड़ने की कोशिश करने के चलते करीब 20 छात्रों पर मामला दर्ज किया गया है.

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प्रदेश के कॉलेजों में लागू वार्षिक रूसा प्रणाली के तहत 22 हजार छात्रों के भविष्य को लेकर ओर छात्र संघ चुनावों को बहाल ना करने के विरोध में एनएसयूआई ने आज सचिवालय का घेराव किया। काफी संख्या में छात्र कांग्रेस पार्टी कार्यालय शिमला में एकत्र हुए ओर उसके बाद सचिवालय की ओर एनएसयूआई ने अपनी मांगों को लेकर मार्च किया। एनएसयूआई के इन छात्रों को पहले तो पुलिस ने हाई कोर्ट के पास ही रोक दिया लेकिन इसके बाद छात्रों को सचिवालय की ओर बढ़ने दिया गया। छोटा शिमला के पास छात्रों को सचिवालय के गेट से पीछे पुलिस बल ने रोक लिया।


Body:इस दौरान छात्रों ने पुलिस के बैरिकेट्स को बलपूर्वक हटाने का प्रयास किया जिसमें हल्की धक्कामुक्की भी पुलिस और छात्रों के बीच हुई। काफी समय तक छात्रों के पुलिस के बीच यह दौर चलता रहा। छात्रों सचिवालय के गेट तक जाने जा प्रयास करते रहे लेकिन क्यूआरटी टीम ओर पुलिस बल के जवानों ने छात्रों को आगे जाने से रोका। इस जोरआजमाइश में छात्रों और पुलिस के बीच धक्कामुक्की भी हुई। तो वहीं पुलिस के जवानों ने भी छात्रों को नियंत्रित करने के लिए उन्हें घसीट कर भी पीछे किया। पुलिस को भी छात्रों को नियंत्रित करने के लिए जोराआजमाना पड़ा जिसमें कुछ एक छात्रों के कपड़े भी फटे है लेकिन किसी भी तरह का लाठीचार्ज छात्रों पर पुलिस ने नहीं किया।


Conclusion:एनएसयूआई के एचपीयू अध्यक्ष वीनू मेहता ने कहा कि सरकार ने रूसा को समाप्त करने का वादा किया था लेकिन सरकार ने मात्र इस प्रणाली को वार्षिक किया गया जबकि रूसा को वापिस नहीं लिया गया। अब जो वार्षिक परिणाम एचपीयू ने घोषित किया है उसमें 22 हजार छात्र फैल है। इन सभी छात्रों का भविष्य दाव पर है। अब जब छात्र दूसरे वर्ष में बैठ गए है तो उन्हें वापिस पहले वर्ष में वापिस बैठना पड़ रहा है लेकिन सरकार इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया है। एनएसयूआई ने मांग की है रूसा के तहत रीएवेलुएशन फ़ीस 300 रूपए ओर करेक्शन फीस 600 रुपए ली जा रही है उसे कम किया जाए। इसके साथ ही एनएसयूआई छात्र संघ चुनावों के बहाल ना करने का विरोध भी करती है और सरकार से मांग करती है कि एनएसयूआई की मांगों को पूरा किया जाए अगर ऐसा नहीं होगा तो एनएसयूआई आगामी समय में छात्रों को एकत्र कर मुख्यमंत्री सहित सभी मंत्रियों के घरों पर प्रदर्शन करेंगे।

बॉक्स:
एनएसयूआई के प्रदर्शन को लेकर उप पुलिस अधीक्षक प्रवीर ठाकुर ने कहा की एनएसयूआई के पास सचिवालय के घेराव कि अनुमति नहीं थी। ऐसे में जब छात्र कांग्रेस कार्यालय से सचिवालय कि ओर चले तो मुख्यमंत्री आवास के पास बेरिगेट्स लगाकर रोकने का प्रयास किया गया लेकिन छात्र वहां से भाग गए। छात्र कानून का उल्लंघन कर सचिवालय तक पहुंचे और सचिवालय का घेराव किया। प्रवीर ठाकुर ने कहा कि पुलिस ने केवल छात्रों को बेरिगेट्स तोड़ने से रोका है। इसके साथ ही बिना अनुमति के धरना प्रदर्शन करने और कानून तोड़ने की कोशिश करने के चलते 20 के करीब छात्रों के खिलाफ़ मुकदमा दर्ज किया गया है।
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