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शिमला में SDM के फर्जी हस्ताक्षर से बनाए गए ड्राइविंग लाइसेंस, जांच में जुटी पुलिस

शिमला में एसडीएम के फर्जी हस्ताक्षर कर 6-7 लाइसेंस बनाने का मामला सामने आया है. बता दें कि इसकी शिकायत खुद एसडीएम शहरी नीरज चांदला ने पुलिस में दी है.

शिमला में SDM के फर्जी हस्ताक्षर से बनाए गए ड्राइविंग लाइसेंस, जांच में जुटी पुलिस
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Published : Aug 24, 2019, 7:32 PM IST

शिमला: राजधानी में एसडीएम के फर्जी हस्ताक्षर कर ड्राइविंग लाइसेंस बनाने के मामले सामने आए हैं. इसकी शिकायत खुद एसडीएम शहरी नीरज चांदला ने पुलिस में दी है. उन्होंने पुलिस को बताया कि उनके कार्यालय में 6-7 लाइसेंस फर्जी हस्ताक्षर से बने हैं. इसके बाद से डीसी ऑफिस ही नहीं, बल्कि इस काम से जुड़े सभी कर्मचारियों में हड़कंप मचा हुआ है.

प्रशासन को आशंका है कि शहर में फर्जी लाइसेंस बनाने का कोई रैकेट चल रहा है. एसडीएम शिमला शहरी की शिकायत पर पुलिस धोखाधड़ी सहित विभिन्न आपराधिक धाराओं के तहत केस दर्ज कर तफ्तीश में जुट गई है.

उप पुलिस अधीक्षक प्रमोद शुक्ला ने बताया कि आइपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज कर आगामी कार्रवाई अमल में लाई जा रही है. उन्होंने कहा कि जांच में ही ये पता चलेगा कि जाली लाइसेंस कैसे बनाए गए है. साथ ही कोई गिरोह इस काम में तो नहीं लगा है.

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बता दें कि इस मामले में एसडीएम कार्यालय खुद जांच करने की तैयारी में है. हालांकि कार्यालय को आशंका है कि शहर में लाइसेंस बनाने के काम से जुड़े कुछ लोग ऐसा कर सकते हैं. यहां तक की इस कमाई के धंधे को गति देने के लिए हस्ताक्षर भी खुद करने लगे हैं.

शिमला: राजधानी में एसडीएम के फर्जी हस्ताक्षर कर ड्राइविंग लाइसेंस बनाने के मामले सामने आए हैं. इसकी शिकायत खुद एसडीएम शहरी नीरज चांदला ने पुलिस में दी है. उन्होंने पुलिस को बताया कि उनके कार्यालय में 6-7 लाइसेंस फर्जी हस्ताक्षर से बने हैं. इसके बाद से डीसी ऑफिस ही नहीं, बल्कि इस काम से जुड़े सभी कर्मचारियों में हड़कंप मचा हुआ है.

प्रशासन को आशंका है कि शहर में फर्जी लाइसेंस बनाने का कोई रैकेट चल रहा है. एसडीएम शिमला शहरी की शिकायत पर पुलिस धोखाधड़ी सहित विभिन्न आपराधिक धाराओं के तहत केस दर्ज कर तफ्तीश में जुट गई है.

उप पुलिस अधीक्षक प्रमोद शुक्ला ने बताया कि आइपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज कर आगामी कार्रवाई अमल में लाई जा रही है. उन्होंने कहा कि जांच में ही ये पता चलेगा कि जाली लाइसेंस कैसे बनाए गए है. साथ ही कोई गिरोह इस काम में तो नहीं लगा है.

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बता दें कि इस मामले में एसडीएम कार्यालय खुद जांच करने की तैयारी में है. हालांकि कार्यालय को आशंका है कि शहर में लाइसेंस बनाने के काम से जुड़े कुछ लोग ऐसा कर सकते हैं. यहां तक की इस कमाई के धंधे को गति देने के लिए हस्ताक्षर भी खुद करने लगे हैं.

Intro:राजधानी में चल रहा फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस बनाने का गोरखधंदा
एसडीएम ने करवाई एफआईआर

शिमला।
राजधानी में एसडीएम के फर्जी हस्ताक्षर कर ड्राइविंग लाइसेंस बनाने के
मामले सामने आए हैं। इसकी शिकायत खुद एसडीएम शहरी नीरज चांदला ने पुलिस
में दी है। उन्होंने पुलिस को बताया हैें कि उनके कार्यालय में छह सात
लाइसेंस फर्जी हस्ताक्षर से बने हैं। इसके बाद से डीसी आफिस ही नहीं
बल्कि इस काम से जुड़े सभी कर्मचारियों में हड़कंप मचा है। शहर में फर्जी
लाइसेंस बनाने का कोई रैकेट ही तो काम नहीं कर रहा है। इसकी संभावना पर
प्रशासन काम कर रहा है। एसडीएम शिमला शहरी की शिकायत पर पुलिस धोखाधड़ी
सहित विभिन्न आपराधिक धाराओं के तहत केस दर्ज कर तफ़्तीश में जुट गई है।
एसडीएम शहरी नीरज चांदला ने कहा कि इस मामले में शिकायत पुलिस में दे दी
है।
Body:फर्जी लाइसेंस का मामला पुलिस तक जाने के बाद पिछले एक साल में कितने
लाइसेंस बने हैं। इनका पूरा रिकार्ड खंगालने के बाद प्रशासन की ओर से
बड़ी कार्रवाई अमल में लाई जा सकती है। इसके बाद कुछ ओर बड़े खुलासे भी
हो सकते हैं।

ड्राइविंग लाइसेंस अब आन लाइन बनते हैं। आनलाइन ही जब एसडीएम के बाद
लाइसेंस अंतिम मंजूरी के लिए पहुंचे तो उन्हें अपने हस्ताक्षर सही नहीं
लगे। इस आशंका को कंफर्म करने के लिए पूरे प्रोसेस को जांचा तो पता चला
की लाइसेंस फर्जी पाए गए थे। इनमें एमवीआई के हस्ताक्षर भी चुके थे, महज
एसडीएम के हस्ताक्षर के बाद लाइसेंस जारी हो जाने थे।

पुलिस मुख्यालय शिमला के उप पुलिस अधीक्षक प्रमोद शुक्ला ने
बताया कि आईपीसी की धारा 420, 419, 465 और 120 बी के तहत केस दर्ज कर
आगामी कार्रवाई अमल में लाई जा रही है। इस मामले में शिकायत के बाद ही
कार्रवाई करने के निर्देश जारी कर दिए हैं।

Conclusion:उन्होंने कहा कि तफ़्तीश में ही यह पता चलेगा कि जाली लाइसेंस कैसे बनाए
गए और कोई गिरोह इस काम में तो नहीं लगा है। इस मामले पर भी एसडीएम
कार्यालय खुद जांच करने की तैयारी में है। हालांकि कार्यालय को आशंका है
कि शहर में लाइसेंस बनाने के काम से जुड़े कुछ लोग एेसा कर सकते हैं। ये
लोगों से लाइसेंस बनाने के एवज में पैसे लेते हैं। इस कमाई के धंधे को
गति देने के लिए हस्ताक्षर भी खुद करने लगे हैं। आरटीओ में पहले ऐसा
मामला आ चुका है।
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